29 अप्रैल 2007

ज़रूरी है

ha[kU

Aaja ko samaacaaraoM maoM ja$rI hooooO

AimataBa AiBaYaok eoSa jayaa

vaao BaUKo nagao laaoga

ijana pr hma ek esa ema esa

tIna $peo vaalaa

jaayaa nahI` krto

vao gaOr ja$rI hooooO

gaoro ja$rI hooooO

Aaja ko samaacaaraoM maoM

iSalpa kao caUmata

Bad` doSa ka ABad`

pu$Ya

gaOr ja$rI hooooO

SaadI ko naama po haotI

nanhI baoiTyaao sao ABad`ta

pr samaacaar ivacaar.

žigarISa iballaaoro

28 अप्रैल 2007

मन का पंछी

मन का पंछी
मन का पंछी खोजता ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो,
रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .
मन का पंछी
मन का पंछी खोजता ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो,
रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .

27 अप्रैल 2007

दौर
ये रातों में सूरज के निकलने का दौर हैआस्तीनों में साँपों के पलने का दौर है।।
बेपर्दगी, नुमाइशें और बेशर्म निगाहेंहर दौर से बदतर है, संभलने का दौर है।
तारीफ़ सामने मेरी, फिर ज़हर से बयान,सबको पता है जीभ, फिसलने का दौर है।
हम भी हो नामचीन, सबसे मिले सलाम,ओहदों से पदवियों से, जुड़ने का दौर है।
हर राह कंटीली है, हर साँस है घायल,अपनी ज़मीन छोड़ के, चलने का दौर है।
इस दौर में किस-किस की शिकायत करें 'मुकुल', ये दौर तो बस खुद को, बदलने का दौर है।