बधाई संदेशा!!!
के बाद आपको साफ-साफ बता देता हूँ कि सरकारी कहावत है "बने रहो पगला काम करे अगला "
पिछडे हुऐ होने का सुख इसी में है ।
पागल बनके पेड़े खाने का सुख समझदार बन के पेड़े खाने में कहाँ ...?
"हरियाली-महोत्सव" मनाके तो देखिये जी..........!
मज़ा आया जी......! आया ही होगा ?
जब गिरी भाई साहब की साँझ गुलाबी सी" हों ही चुकी है तो गुलाबी मौसम को और गुलाबी क्यों न बनाएं हम-आप
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
24 नव॰ 2007
23 नव॰ 2007
22 नव॰ 2007
सुदीप एक मिशन
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