27 दिस॰ 2007

Radio Jockey

Subject:- About Trained Radio Jockey (RJ's) & Multimedia Students.



Res. Sir/Madam,

We Are Honored To Inform You That We Are Running An Institution Of Mass Communication, TV Journalism, Broadcast Journalism And New Media From Last Five Years In The Heart Of City On NH-7 And NH-12.

You Are Very Glad To Know That One Of The Unit Of Our Institution Named MEDIA SCHOOL OF MASS COMMUNICATION Running A 3months Course Programe In Voicing For FM. In This Industrial Training We Are Giving Best Skills To The Students. Also We Are Giving Facilities Of Microphones And Mixer Specially Audio Software's Like Sound Forge, Vegas, Neuondo Hot Keys, Principles Of Broadcasting, Jingles, Promo And Humorous Styles Of Presentation. All These Training Are Given In Own Audio-Video Lab And Tracks Are Made With The Help Of Recording In Various Auditions.

We Are Giving Best Qualitative Training To 150 Students According To The Industrial Demand @50 Students In One Batch.

We Are Also Running MULTIMEDIA Course Program In Which We Are Giving Practical Knowledge Of Various Graphic Software's Like Quark Express, Corel Draw-12, Illustrator, Photoshop CS-Cs12,Pagemaker. Audio-Video Editing Software's Like Macromedia Director MX-2004, Sound Forge, Adobe Premier Pro. Web Designing Software's Like Macromedia Flash MX-8, Macromedia Dream weaver. 3D Animation Software's 3D Max-8, Alias Maya-8.

In These Following Fields Media School Of Mass Communication Develop A Professional Procedure And Understanding For Man Power Supply Or Placements. As An Evidence We Are Providing You A CD, As Above Please Share Your Recruitment Needs. For A Long Time Business With You,


Media School Of Mass Communication

DR. P. KAURAW

9425153582

prashant_kauraw@yahoo.com,mediaiskool@gmail.com

Jabalpur Development Authority (JDA)

Plan No-19 Madan Mahal Chowk JDA Building Plan No.19 ,

Four Lane NH-7/NH-12 Madan Mahal Chowk

Jabalpur Madhya Pradesh(India )-482001

26 दिस॰ 2007

कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....?

सव्य साची माँ प्रमिला देवी बिल्लोरे स्मृति दिवस २८/१२/२००७





समय का पहिया कब कैसे घूम जाता है कौन जाने....माँ सव्यसाची भाव की पुनर्स्थापना के लिए जन्मी होशंगाबाद जिले के सिवनी -मालवा में । पिता पन्नालाल दीवान [चौरे]एवं चन्द्र भागा देवी के घर , देवल मोहल्ला शुक्ला गली , आभास-श्रेयस की दादी के एन सामने वाला घर जहाँ उनकी किलकारियाँ गूँज रहीं होगीं , वही सिवनी मालवा तब बानापुरा के नाम से भी जाना जाता है। वही कस्बा जहाँ के शर्मा गुरूजी के पढाए विद्यार्थी उनकी कसौटी पे कसे जाते इतने कि यदि अब के शिक्षा कर्मी तब गुरूजी नहीं होते एक प्रतिशत भी करें तो पिट जाएंगे बेचारे .... जी हाँ माँ १९३७ की पोला अमावश्या को जन्मीं थीं । माँ के साथ अभाव और ईमानदारी स्नेह एक साथ उनके मानस में पल-पुस रहे थे। संघर्ष यहीं से सीख रहीं थी माँ अपने भाई भतीजों के साथ ।
..........निरंतर

20 दिस॰ 2007

प्रेम ही संसार की नींव है


शुक्र और चांद अचानक नहीं इनका मिलाना तयशुदा था। उस दिन जब चंद्रमा और शुक्र का मिलन तय था और मेरे शहर का आकाश अगरचे बादलों भरा न होया तो इस पल को सब निहारते। कईयों ने तो इसे निहारा भी होगा .....उनके आकाश में बादल जो नहीं हैं ।
प्रेम की परिभाषा भी यहीं कहीं मिलती है ....!
"प्रेम"एक ऐसा भाव है जिसको स्वर,रंग ,शब्द , संकेत, यहाँ तक कि पत्थरों ने भी अभिव्यक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ...... खजुराहो से ताजमहल तक उर्वशी से मोनालिसा तक ,जाने कितनी बातें हैं जो प्रेम के इर्दगिर्द घूमतीं हैं ....!
"सच प्रेम ही संसार कि नींव है "......आसक्ति प्रेम है ही नहीं ! प्रेम तो अहो ! अमृत है ! प्रेम न तो पीड़ा देता है न ही वो रुलाता। आशा और विश्वास का अमिय है ..प्रेम सोंदर्य का मोहताज कभी नहीं हो सकता ...परंतु जब यह अभिव्यक्त होता है तो जन्म लेतें कुमारसंभव जैसे महाकाव्य !! किसी ने क्या ख़ूब कहा -"जिस्म कि बात नहीं ये "
सच !यदि दिल तक जाने कि बात हो तो ....आहिस्ता आहिस्ता जो भाव जन्मता है वोही है प्रेम।
अगर आप सच्चा प्रेम देखना चाहतें हैं ..... एक ऐसी मजदूर माँ को देखिए जो मौका मिलते ही अपने शिशु को अमिय पान करा रही है...क्या आप देख नहीं पा रहे हैं अरे ! इसके लिए आपमें वो भाव होना ज़रूरी जो स्तनपान करते शिशु में है।
अगर इसे आप प्रेम का उदाहरण नहीं माने तो फिर आप को एक बार फिर जन्म लेना ही होगा !
शिवाजी ने सिपाही द्वारा लायी गयी विजित राज्य की महिला को "माँ" कहा तो भारत को एक नयी परिभाषा मिल ही गयी प्रेम की।
मैंने प्रेम को लेकर कहां:-
"इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे .... भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है "
इसके कितने अर्थ निकालिए निकलते रहेंगे लगातार गुरु देव शुद्धानन्द नाथ ने आपने सूत्र में कहा :-"दुर्बल व्यक्ति प्रेम नहीं कर सकता प्रेमी दुर्बल नहीं हों सकता "

यदि मैं कहूं कि " मुझे कई स्त्रियों से प्रेम है , मुझे कई पुरुषों से प्रेम है तो इसे फ्रायड के नज़रिये से मत देखो भाई। प्रेम के अध्यात्मिक अर्थ की खोज करते-कराते जाने कितने योगी भारत ही नहीं विश्व के कोने कोने में भटकते रहे.......!ग्रंथ लिखे गए "हेरी मैं तो प्रेम दीवानी" गाया गया .... ये इश्क-इश्क है दुहराया गया.... आज रंग है तो मस्त कर देता है फिर भी हम केवल फ्रायड की नज़र से इश्क को जांचते हैं....? ऐसा क्यों है
क्या हम देह से हट के कभी मानस पर मीरा खुसरो को बैठा कर अपने माशूक या माशूका को निहारिए
यही है तत्व ज्ञान है...!
चिट्ठाजगत

12 दिस॰ 2007

रफी साहब क्यों....?

मेरे मित्र ने रात को फोन लगा के पूछा :-"भाई.... ये रफी साहब ही क्यों "
जी में आया सुना दूं बाप-बेटे और गदहे वाली कहानी जिस में गदहे पर बाप,बेटे, दौनों के बैय्हने पर सवाल खडे किये दुनियाँ ने । भाई साहब दुनियाँ में यही सब चल रहा है आप चाहें तो चटका लगा के सुन लीजिये ये गीत
http://mukul2.blogspot.com/

9 दिस॰ 2007

त्रिलोचन शास्त्री नहीं रहे...


त्रिलोचन शास्त्री नहीं रहे...

जीवन मिला है यह

रतन मिला है यह

धूल में

कि

फूल में

मिला है

तो

मिला है यह

मोल-तोल इसका

अकेले कहा नहीं जाता


(3)


सुख आये दुख आये

दिन आये रात आये

फूल में

कि

धूल में

आये

जैसे

जब आये

सुख दुख एक भी

अकेले सहा नहीं जाता


(4)


चरण हैं चलता हूँ

चलता हूँ चलता हूँ

फूल में

कि

धूल में

चलता

मन

चलता हूँ

ओखी धार दिन की

अकेले बहा नहीं जाता।

साभार :-http://samkaleenjanmat.blogspot.com/2007/12/blog-post_09.html

भड़ास: अब तक की सर्वश्रेष्ठ भड़ास

भड़ास: अब तक की सर्वश्रेष्ठ भड़ास

का खिताब देकर यशवंत जी ने मेरी भावना की कद्र की है
सो मित्रो ...!
भड़ास और गाली-गुफ्तार में यही फर्क है। मीठे वचनों की कठोरता , और कठोर शब्दों की नरमी को परखनें का अब समय आ गया है।
मेरे एक मित्र हैं मीठा-मीठा बोलते हैं ...
धीरे-धीरे ज़हर घोलते हैं ।

इन मित्रों को सबक सिखाने के लिए ज़रूरी कि एक कोचिंग क्लास खोलें हम सब मिल कर ब्लॉग पर ही सही या कि एक अभियान सा छेड़ दें अपने अपने ब्लॉग पर ही सही ।

8 दिस॰ 2007

प्रिय तुमने जबसे मेरी आस्तीन छोड़ी


प्रिय तुमने जबसे मेरी आस्तीन छोड़ी तबसे मुझे अकेलापन खाए जा रहा है । तुम क्या जानो तुम्हारे बिना मुझे ये अकेला पन कितना सालता है । हर कोई ऐरा-गैरा केंचुआ भी डरा देता है।
भैये.....साफ-साफ सुन लो- "दुनियाँ में तुम से बड़े वाले हैं खुले आम घूम रहें हैं तुम्हारा तो विष वमन का एक अनुशासन है इनका....?"
इनका इनका कोई अनुशासन है ही नहीं ,यार शहर में गाँव में गली में कूचों में जितना भी विष फैला है , धर्म-स्थल पे , कार्य स्थल पे , और-तो-और सीमा पार से ये बड़े वाले लगातार विष उगलतें हैं....मित्र मैं इसी लिए केवल तुमसे संबंध बनाए रखना चाहता हूँ तुम मेरी आस्तीन छोड़ के अब कहीं न जाना भाई.... ।
जीवन भर तुम्हारे साथ रह कर कम से कम मुझे इन सपोलों को प्रतिकारात्मक फुंकारने का अभ्यास तो हों ही गया है।
भाई मुझे छोड़ के कहीं बाहर मत जाना । तुम्हें मेरे अलावा कोई नहीं बचा सकता मेरी आस्तीनों के कईयों को महफूज़ रखा है। बाहर तो तुम्हारे विष को डालर में बदलने के लिए लोग तैयार खड़े हैं जी । सूना है तुम्हारे विष की कीमत है । तुम्हारी खाल भी उतार लेंगें ये लोग , देखो न हथियार लिए लोग तुम्हारी हत्या करने घूम हैं ।नाग राज़ जी अब तो समझ जाओ । मैं और तुम मिल कर एक क्रांति सूत्र पात करेंगें । मेरी आस्तीन छोड़ के मत जाओ मेरे भाई।

5 दिस॰ 2007

उफ़...ये चुगलखोरियाँ....!!


मुझे उन चुगली पसंन्द लोगों से भले वो जानवर लगतें हैं जो चुगल खोरी के शगल से खुद को बचा लेतें हैं ।। इंसान नस्ल के बारे में किताबें पड़ते है ....!!
अपने आप को श्रेष्ठ साबित करने चुगली करने वालों की आप किसी तरह की सज़ा दें न दें कृपया उनके सामने केवल जानवरों की तारीफ़ कीजिए। कम-अस-कम इंसानी नस्ल किसी बहाने तो सुधर जाए । आप सोच रहें होंगें मैं भी किसी की चुगली भड़ास पर पोस्ट कर रहा हूँ सो सच है ..परन्तु अर्ध-सत्य है .. परन्तु ये चुगली करने वालों की नस्ल के समूल विनिष्टी-करण की दिशा में किया गया एक प्रयास मात्र है।
अगर मैं किसी का नाम लेकर कुछ पोस्ट करूं तो चुगली समझिए । यहाँ उन कान से देखने वाले लोगों को भी जीते जी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा जो पति धृतराष्ट्र का अनुकरण करते हुए आज भी अपनीं आँखें पट्टी से बाँध के हस्तिनापुर में की साम्राज्ञी बनी कौरवों का पालन पोषण कर रहें है। मेरा सचमुच उनकी चतुरी जिन्दगी में मेरा कोई हस्तक्षेप कतई नहीं है । होना भी नहीं चाहिए । पर एक फिल्म की कल्पना कीजिए जिसमें विलेन नहीं हों हुज़ूर फिल्म को कौन फिल्म मानेगा ...? अपने आप को हीरो-साबित करने मुझे या मुझ जैसों को विलेन बना के पहले पेश करतें है। फिर अपनी जोधागिरी का एकाध नमूना बताते हुए यश अर्जित करने के लिए मरे जातें हैं ।
ऐसा हर जगह हों रहा है....हम-आप में ऐसे अर्जुनों की तलाश है जो सटीक एवं समय पे निशाना साधे ...... हमें चुगलखोरों की दुनियाँ को नेस्तनाबूत जो करना है.....आमीन......
कबिरा चुगली चाकरी चलती संगै-साथचुगली बिन ये चाकरी ,ज्यों बिन घी का भात ।

1 दिस॰ 2007

एंकर बने बावरे-फकीरा के गायक आभास जोशी

स्टार वाइस ऑफ़ इंडिया के ताज के प्रबल दावेदार आभास के साथ जबलपुर ही नहीं समूचे मध्य-प्रदेश के सपनों को पंख लग चुके हैं मानो। आभास जोशी को स्टार प्लस के "छोटे-उस्ताद " संगीत शो के एंकर के रूप में चुना जाना आभास के सुयोग्य होनें का प्रमाण है।

आभास जोशी स्नेह मंच जबलपुर के गोविन्द दुबे जी - चहक उठे कुछ यूँ

''नूर कि एक किरण भी सब पर भारी होगी

रात तुम्हारी थी तो सुबह हमारी होगी ...!!"

हम सभी खुश हैं हमारी खुशी को हम नहीं बयान नहीं कर सकते