30 जन॰ 2010

गीत

संजीव 'सलिल'

निर्झर सम
निर्बंध बहो,
सत नारायण
कथा कहो...
जब से
उजडे हैं पनघट.
तब से
गाँव हुए मरघट.
चौपालों में
हँसो-अहो...
पायल-चूड़ी
बजने दो.
नाथ-बिंदी भी
सजने दो.
पीर छिपा-
सुख बाँट गहो...
अमराई
सुनसान न हो.
कुँए-खेत
वीरान न हो.
धूप-छाँव
मिल 'सलिल' सहो...
*********************************

28 जन॰ 2010

डा० गणेश दत्त सारस्वत नहीं रहे

डा० गणेश दत्त सारस्वत नहीं रहे

(१० दिसम्बर १९३६--२६ जनवरी २०१०)

हिन्दी साहित्य के पुरोधा विद्वता व विनम्रता की प्रतिमूर्ति सरस्वतीपुत्र, डा० गणेश दत्त सारस्वत २६ जनवरी २०१० को हमारे बीच नहीं रहे।

शिक्षा : एम ए, हिन्दी तथा संस्कृत में पी० एच० डी०

प्राप्त सम्मान: उ० प्र० हिंदी संस्थान से अनुशंसा पुरुस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद से साहित्य महोपाध्याय की उपाधि सहित अन्य बहुत से पुरुस्कार।

पूर्व धारित पद: पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग आर० एम० पी० पी० जी० कालेज सीतापुर आप ’हिन्दी सभा’ के अध्यक्ष तथा’ ’मानस चन्दन’ के प्रमुख सम्पादक रहे हैं।

सारस्वत कुल में जनम, हिरदय में आवास..

उमादत्त इनके पिता, सीतापुर में वास.

श्यामल तन झुकते नयन, हिन्दी के विद्वान .

वाहन रखते साइकिल, साधारण परिधान..

कोमल स्वर मधुरिम वचन, करते सबसे प्रीति.

सरल सौम्य व्यवहार से, जगत लिया है जीत..

कर्म साधना में रमे, भगिनी गीता साथ.

मानस चन्दन दे रहे, जनमानस के हाथ..

तजी देह गणतन्त्र दिन, छूट गये सब काज.

हुए जगत में अब अमर, सारस्वत महाराज

हिंदी की सारी सभा, हुई आज बेहाल..

रमारमणजी हैं विकल, साथ निरन्जन लाल..

आपस में हो एकता, अपनी ये आवाज.

आओ मिल पूरित करें, इनके छूटे काज..

अम्बरीष नैना सजल, कहते ये ही बात.

आपस में सहयोग हो, हो हाथों में हाथ..

--अम्बरीष श्रीवास्तव


सारस्वत जी नहीं रहे...

श्री सारस्वत जी नहीं रहे, सुनकर होता विश्वास नहीं.

लगता है कर सृजन रहे, मौन बैठकर यहीं कहीं....


मूर्ति सरलता के अनुपम,

जीवंत बिम्ब थे शुचिता के.

बाधक बन पाए कभी नहीं-

पथ में आडम्बर निजता के.


वे राम भक्त, भारत के सुत,

हिंदी के अनुपम चिन्तक-कवि.

मानस पर अब तक अंकित है

सादगीपूर्ण वह निर्मल छवि.


प्रभु को क्या कविता सुनना है?

या गीत कोई लिखवाना है?

पत्रिका कोई छपवाना है -

या भजन नया रचवाना है?


क्यों उन्हें बुलाया? प्रभु बोलो, हम खोज रहे हैं उन्हें यहीं.

श्री सारस्वत जी नहीं रहे, सुनकर होता विश्वास नहीं...

******************

सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम / दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

आइये! हम उन्हें कुछ श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं।

27 जन॰ 2010

हिंदी चिट्ठाकारिता :आत्म-चिंतन करना ज़रूरी है

मेरे पिछले  और मिसफिट पर शाया  इस आलेख  के बाद जो  भी स्थिति सामने आई उससे एक बात ती साफ़ हो गई कि वास्तव में ब्लॉग जगत भी कुंठा के सैलाब में उमड़-घुमड़ रहा है. और चटकों की दौड़ में सार्थक पोस्ट की जो दुर्दशा हो रही है उस से हिन्दी चिट्ठाकारिता को कोई लाभ नहीं बल्कि उसके पतन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है. प्रिय और आदरणीय साथियो :-आपके मज़बूत कंधों  पे ब्लॉग जगत टिका है . और टिकी है गुरु-शिष्य परम्परा की भारतीय व्यवस्था. किन्तु कबीर की याद आते ही दृश्य एकदम  साफ़ हो जाता है और अपनी दशा हो जाती है नि:शब्द मन में शेष रह जाती है सिर्फ ये ध्वनियाँ : 'चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोय '
जहां तक अनुभव शील व्यक्तित्वों की तलाश की बात है तो लगता है यह तलाश अंतर्जाल पे बंद कर देनी होगी मुझे, हर कोई हर किसी को ज्ञान और चुनौती देने में जुटा है  अगर यही ब्लागिंग है तो तज़ने योग्य है लेकिन तजिए मत हजूर !
@@अनूप जी ने कहा:-''झटकों में ऊर्जा होती है और उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये। यह बात हमने भारतीय ब्लॉग मेला से मिले झटके के संदर्भ में कही थी जिसके बाद हमने चिट्ठाचर्चा शुरू की''
यानी किसी न किसी कारण से कोई न कोई सृजन हो ही जाता है यदि महाराज ने यह कह दिया तो बस अध्यात्म कह दिया इसके बाद कोई बात शेष नहीं रहती कि आने वाली पीढ़ी को बताया जावे कि ''हम तो कह रहे हैं कि चिट्ठाचर्चा,कॉम डोमेन का प्रयोग करके चर्चा करके बतायें छत्तीसगढ़ के साथी कि देखो ऐसे किया जाता है काम। खाली घोषणायें करने से क्या होता है भाई जी!' सुकुल जी आपने यह लिखने के पहले शायद सोच तो लिया होगा कि आपकी इस वाणी के कितने अर्थ निकलते हैं.
चित्र:India Chhattisgarh locator map.svgभारत के   मानचित्र गौर से देखिये विक्की पीडिया ने साफ़ साफ़ बताया कि यह भारत का ही हिस्सा है कोई बाहरी नहीं जहाँ तक मैं सोच रहा हूँ   वो हद है ब्लाग लेखन में संलग्न लोगों के आपसी रिश्ता यानी अपनापन और स्नेह जो भारत की भौगोलिक सीमा के भीतर भी ज़रूरी है बाहर भी . होनी ही चाहिए वर्ना ज्ञान दत्त जी संजीत भाई के ब्लॉग आवारा बंजारा की पोस्ट पर सटीक कह गए:-'
ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey said...फिजिकल और वर्चुअल तौर पर अलग अलग चरित्र रखने वाले परेशान हों। हां यह जरूर है कि हिन्दी ब्लॉगजगत में बहसें कोई बहुत अच्छे स्तर की नहीं हैं।
बहुत संकुचन है। बहुत चिरकुटई।27/1/10 20:02
'
बड़ी गहरी बात है सभी को मानसिक हलचल हो जानी चाहिए यानि हिंदी चिट्ठाकारिता :आत्म-चिंतन करना ज़रूरी है
________________________________________________

उनने मीट की है किसी रियासत पे हमला बोला क्या.............?

'' छत्तीसगढ़ ब्लॉगर बैठक संपन्न, एक रपट: "बांच  के  मन  अति  प्रसन्न  है . फोन पे कानाफूसी हुई थी कि खाना कैसा बना, किधर मीट हो रही है आदि आदि, किन्तु व्यक्तिगत सह सरकारी व्यस्तताओं के चलते  कोई . प्रतिक्रिया न दे सका. संजीत ने कुछ ऐसा नहीं लिखा जिससे ब्लागर्स मीट में कोई संवैधानिक संकट खड़ा हो...! किन्तु फिर भी डोमेन को लेकर जो भी बात पाबला जी ने रखी शायद यह उनका गलत कदम था सुकुल जी की सलाह देखिये कित्ती ज़बरदस्त है :-''लेकिन एक शिकायत यह भी है कि रायपुरिये क्या अपने गुरु/चेला (अनिल पुसदकर/संजीत त्रिपाठी) का घर बसाने के बारे में कुछ क्यों नहीं सोचते! यह भी जरूरी काम है।''
सच किसी के घर बसाने की कित्ती उम्दा सलाह है .............. मुझे मज़ाक सूझ रहा है सो कहे देता हूँ कि घर न होंगे तो बिखराव किसका होगा सो ज़रूरी है घर हों न हों तो बसायें [बुन्देली में बसायें के अन्य अर्थ भी हैं....!] ताकि उनको तोडा जा सके. 
पता नहीं पाबला जी को क्या हो गया डोमेन खरीदे फिर उसे नीलाम करने उतारूं हैं..... ? भला कोई क्यूं खरीदेगा 
सुकुल जी साफ़ कर चुके हैं ''चिट्ठाचर्चा.कॉम जिन लोगों ने खरीदा उनसे अनुरोध है कि वे इसका सही में चर्चा करने में उपयोग करके दिखायें। चर्चा में वह काम करके दिखायें जो इससे पहले कभी नहीं हुये। किसी नीलामी में भाग लेने का हमारा कोई इरादा नहीं है।''.............सुकुल  जी का स्टैंड साफ़ है अब कोई बात ही नहीं रह गई. 
देखिये सुकुल जी कितने स्पष्ट हैं :-'झटकों में ऊर्जा होती है.उसका सदुपयोग किया जाना चाहिये.
इस महान वाक्य को 24 /01 के  सन्दर्भ में देखें तो स्थिति गड्मगड प्रतीत हो रही है . झटका किसे मिला इस बात का पता लगाया जा रहा है. ...जब तक इसका पता नहीं  जाता तब तक आप इस बात पर विचार कर सकतें हैं............कि ''उनने मीट की है किसी रियासत पे हमला बोला क्या.............?''
जे बात कई लोग कह रहे हैं 
इस बीच आपको बता दूं कि बवाल की नानी जी का देहावसान 22 जनवरी 2010 को हो गया तथा डाक्टर मलय जी की सहचरी का भी निधन 24 जनवरी 2010 को गया है. #
ॐ शांति शांति शांति '' 



26 जन॰ 2010

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत:

सारा का सारा हिंदी है

आचार्य संजीव 'सलिल'

जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है.

लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है.

गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल,

ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल.

लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान.

प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान.

स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर.

बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर.

पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार.

गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार.

अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर.

ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर.

कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना.

झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना.

कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान.

गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान.

रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन.

आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन.

शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर.

तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर.

रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....

****************************************
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

25 जन॰ 2010

कौन हूँ मैं

हिन्दु हूँ
या
मुस्लिम हूँ
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
इसे भी पढ़ें : बस! एक गलती
बस!
इतना जानूँ
मानवता
धर्म मेरा
है यही
कर्म मेरा
बहता दरिया,
चलती पौन हूँ
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
इसे भी पढ़ें : एक संवाद, जो बदल देगा जिन्दगी
दुनिया
एक रंगमंच
तो कलाकार हूँ मैं
धर्म रहित
जात रहित
एक किरदार हूँ मैं
जात के नाम पर
अक्सर
होता मौन हूँ मैं
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
इसे भी पढ़ें : फेसबुक एवं ऑर्कुट के शेयर बटन
जिन्दगी
है एक सफर
तो मुसाफिर हूँ मैं
जो छुपता नहीं
धर्म की आढ़ में
वो काफिर हूँ मैं
काट दूँ एकलव्य का अंगूठा
न कोई द्रोण हूँ मैं
मत पूछो,
कहाँ से आया,
कौन हूँ मैं
इसे भी पढ़ें : नेताजी जयंती "तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा" नेताजी और जबलपुर शहर
पौन-पवन,

24 जन॰ 2010

हार्दिक अभिनन्दन है कुलवंत हैप्पी का

भारत ब्रिगेड पर युवा प्रत्रकार एवं ब्लॉगर श्री कुलवंत हैप्पी के आगमन से सम्पूर्ण ब्रिगेड हर्षित है कल ही मेरे मिसफिट ब्लोंग पर उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उनसे हुई बातचीत का लिंक सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है
हार्दिक अभिनन्दन है कुलवंत हैप्पी का

23 जन॰ 2010

नेताजी जयंती "तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा" नेताजी और जबलपुर शहर ....

तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद बोस की आज जयंती है. स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी का यह नारा आज भी जनमानस के दिलो पर छाया हुआ है जो दिलो में जोश और उमंग पैदा कर देता है . वे कांग्रेस के उग्रवादी विचारधारा के सशक्त दमदार नेता थे . उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को खुली चुनौती दी थी . महात्मा गाँधी ने नेताजी को दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर आसीन कराया था पर वे नेताजी की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट थे .दूसरे विश्व युद्ध के समय महात्मा गाँधी अंग्रेजो की मदद करने के पक्ष में थे परन्तु नेताजी गांधीजी की इस विचारधारा के खिलाफ थे और उस समय को वे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उपयुक्त अवसर मानते थे .



सुभाष चंद बोस का जबलपुर प्रवास पॉंच बार हुआ है . स्वतंत्रता के पूर्व सारा देश अंग्रेजो से त्रस्त था . स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित होने वाले वीर क्रांतिकारियो को चुन चुन कर अंग्रेजो द्वारा जेलों में डाला जा रहा था . नेताजी ने भूमिगत होकर अंग्रेजो से लोहा लिया और आजाद हिंद फौज का गठन किया . सबसे पहले सुभाष जी को पहली बार 30 मई 1931 को गिरफ्तार कर जबलपुर स्थित केन्द्रीय जबलपुर ज़ैल लाया गया और यहं उन्हें बंदी बनाकर रखा गया जहाँ की सलाखें आज भी उनकी दास्ताँ बयान कर रही है .. दूसरी बार 16 फ़रवरी 1933 को तीसरी बार 5 मार्च 1939 को त्रिपुरी अधिवेशन मे सुभाष जी का बीमारी की हालत मे नगर आगमन हुआ था.

सन १९३९ में जब कांग्रेस का अध्यक्ष पद चुनने का समय आया तो जबलपुर शहर के पास में स्थित तिलवाराघाट में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में गांधीजी ने नेताजी को इस पद से हटाने का मन बना लिया था और अपना उम्मीदवार सीतारमैय्या को अध्यक्ष पद के लिए अपना उमीदवार घोषित किया . इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में गाँधी खुद त्रिपुरी नहीं आये थे और उस चुनाव में नेताजी ने सीतारमैय्या को २०३ मतों से पराजित किया था . नेताजी सुभाष चंद बोस की जीत से महात्मा गाँधी इतने बौखला गए थे की उन्होंने अपने समर्थको से कह दिया की यदि नेताजी के सिद्धांत पसंत नहीं हैं तो वे कांग्रेस छोड़ सकते है . चौथी और अंतिम बार सुभाष जी 4 जुलाई 1939 को नेशनल यूथ सम्मेलन की अध्यक्षता करने जबलपुर आये थे .. सारा देश और यह जबलपुर शहर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महान देश भक्त का हमेशा कृतज्ञ रहेगा .

आज ऐसे शूरवीर क्रन्तिकारी स्वतंत्रता संग्राम योद्धा नेताजी सुभाष चंद बोस का जयंती के अवसर पर स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत शत नमन .

युवा पीढी को जानकारी देने के उद्देश्य से
आलेख - महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

....

22 जन॰ 2010

माँ नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर नर्मदा तट के किनारे स्थित धार्मिक स्थानों की चर्चा

मेरा जन्म माँ नर्मदा पवित्र नदी के किनारे बसे शहर जबलपुर में हुआ है मुझे बचपन से माँ नर्मदा से काफी लगाव रहा है माँ नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर नर्मदा तट के किनारे स्थित धार्मिक स्थानों की चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ . आज माँ नर्मदा जयंती हैं . आज जबलपुर शहर के नर्मदा तटों पर भारी भीड़ माँ पुन्य सरिता माँ नर्मदा के दर्शनों को उमड़ रही है . श्रद्धा और भक्ति का अदभुत नजारा यहाँ देखा जा सकता है . भक्तगणों द्वारा पुन्य सलिला का १५१ फीट लम्बी चुनरी चढ़ा कर श्रृंगार किया गया और तटों पर साधू संतो का भरी जमावड़ा हैं . तट पर हवन पूजन आदि कार्यक्रमों का सिलसिला चल रहा है . माँ नमामि देवी नर्मदे के उदघोष लगातार गूँज रहे है .

माँ नर्मदा की उत्त्पति

"पुरा शिव शांत तानुश्य चार विपुलं तपः हितार्थ सर्व लोकानाभूमाया सह शंकर"

प्राचीन काल में परम शांत विग्रह सदा शिव ने भगवती सहित सब लोको के हित के लिए रिक्षवान पर्वत पर पर समारूढ़ हो अद्रश्य रूप होकर घोर तप किया और उग्र तप से शंकर जी के शरीर से पसीना निकला जो पर्वत को आद्र करने लगा और उसी से महान पुन्य दिव्य सरिता उत्त्पन्न हुई . उसने कन्या रूप रखकर आदि सतयुग में दस १००००० वर्ष भगवान शंकर का जप तप किया .

भगवान शंकर उसकी भक्ति से प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हारे मन में जो वर हो तो मांग लो . श्री नर्मदा ने हाथ जोड़कर बोली हे पिताजी मै प्रलयकाल में अक्षय बनी रहूँ जो महापात की उपपात से युक्त है वे सभी श्रध्दा पूर्वक मुझमे स्नान कर सर्वपापो से मुक्त हो जावे . मै संसार में दक्षिण गंगा के नाम से सभी देवताओं में पूजित होऊ . पृथ्वी के सभी तीर्थो के स्नानं का जो फल मिलता है जो मुझमे स्नान कर सभी को प्राप्त हो . ब्रम्ह हत्या जैसे पाप मुझमे स्नान कर क्षीण हो जावे . समस्त वेदों और यज्ञादि की संपन्नता के फल के समान फल मुझमे स्नान कर लोगो को प्राप्त हो यही मेरी कामना है तो शंकर जी ने प्रसन्न होकर कहा कि हे पुत्री कल्याणी तूने जैसा वर माँगा है वैसा ही होगा और सभी देवताओ सहित मै तुम्हारे तट पर निवास करूँगा इसीलिए नर्मदा परिक्रमा करने का महत्त्व माना गया है ..

माँ नर्मदा के अनेको नाम - नर्मदा, त्रिकूटा, दक्षिनगंगा, सुरसा, कृपा, मन्दाकिनी ,रेवा, विपापा, करभा, रज्जन,वायुवाहिनी, बालुवाहिनी, विमला आदि .

रेवा कुंड की कथा

मांडोगढ़ की रानी माँ नर्मदा जी की परम भक्त थी . वे प्रतिदिन शाही डोले में सवार होकर माँ नर्मदा में स्नान करती थी और गरीब तथा साधुओ को भोजन बाँटती थी यह उनका प्रतिदिन का कर्म था . रानी जब वृध्दावस्था को प्राप्त हुई . रानी नर्मदा माँ के अन्तिम दर्शन करने गई और हाथ जोड़कर माँ नर्मदा से कहा की माँ मै अब आपके दर्शन करने नही आ सकूंगी आप मुझे क्षमा करना ऐसा कहकर रानी दुखी मन से मांडोगढ़ वापिस लौट गई .

रात्रि में माँ नर्मदा ने रानी को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि महल के सामने एक कुंड बनवाओ और जब कुंड बन जाए तो तुंरत तुम और प्रजाजन कुंड के सामने आकर ऊँचे स्वर में माँ नर्मदे का उच्चारण करना मै उसी समय कुंड में प्रगट हो जावेगी और तुम वही स्नानं करना मै तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ . सुबह रानी ने स्वप्न का हाल राजा को कह सुनाया और राजा ने उसी समय एक कुंड तैयार करने का हुक्म दे दिया .

कुछ दिनों बाद कुंड तैयार हो गया और एक पक्का घाट बनवाया गया . रानी और प्रजाजनों ने कुंड के सामने आकर ऊँचे स्वर में माँ नर्मदा का बारम्बार उच्चारण करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते ही कुंड नर्मदा जल से लबालब भर गया और सबने रानी सहित प्रसन्नतापूर्वक कुंड में स्नान किया . ये कुंड रेवा कुंड के नाम से आज भी विख्यात है . परिक्रमावासियो को इस कुंड में स्नान कर माँ नर्मदा के दर्शन अवश्य करना चाहिए .

नमामि देवी माँ नर्मदा .

श्री हनुमंतेश्वर तीर्थ का महत्त्व

रावण पर और लंका पर विजय प्राप्त करने के पश्चात मर्यादा पुरषोत्तम राम अयोध्या के गद्दी पर आसीन हुए और उनके परमभक्त हनुमान जी उनकी सेवा में रत हो गये . एक श्रीराम से हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा कि मै भगवान शंकर जी के दर्शन करना चाहता हूँ आप मुझे आज्ञा दे . उसी छड़ श्री राम से आज्ञा प्राप्त कर हनुमान जी उड़कर कैलास नगरी पहुंच गए और द्वार पर तैनात नंदी जी से अन्दर जाने की अनुमति मांगी . नंदिकेश्वरजी ने हनुमान जी से कहा तुमने रावण के पुत्रो का वध किया इसीलिए पहिले जाकर तुम ब्रामण हत्या का प्रायश्चित करो तब आपको भोलेनाथ दर्शन देंगे और तब ही तुम्हे मुक्ति मिलेगी . आप नर्मदा तट पर जाकर किसी जगह जाकर आप शिवजी की पिंडी की स्थापना करे और तप करे .

हनुमान जी ने ऐसा ही किया और नर्मदा तट पर जाकर शिवजी की पिंडी की स्थापना की और तप किया . श्री हनुमान जी ने १०० वर्ष तक तपस्या की तब जाकर भगवान शंकर जी प्रगट हुए . हनुमान जी भगवान शंकर के चरणों में लेट गए तब भगवान भोलेनाथ ने हनुमान जी से कहा कि आज आप ब्रामण हत्या से मुक्त हो गए है जो पिंडी आपने नर्मदा तट पर स्थापित की थी यह मूर्ती आज से हनुमंतेश्वर के नाम से विख्यात होगी और जो भी भक्त यहाँ आकर श्रद्धापूर्वक पूजा करेगा वो ब्रामण हत्या से मुक्त हो जावेगा .

शूलपाणी झाड़ी

शूलपाणी की झाड़ी राजघाट (बड़वानी) नामक स्थान से शुरू होती है . इस झाड़ी में नर्मदा भक्त भीलो का राज है . उस क्षेत्र से जो भी परिक्रमावासी निकलते है उनका भील सब कुछ छुडा लेते है और परिक्रमावासी के पास सिर्फ़ पहिनने के लिए लगोटी बचती है . परिक्रमावासी की वहां पर परीक्षा की घड़ी होती है . उस दौरान परिक्रमावासी को अपना धैर्य बनाये रखना चाहिए और सदा की भाति प्रेम से नर्मदा भजन करते रहे . माँ नर्मदा संकट के समय सहारा देती है .
जो परिक्रमावासी का सब कुछ छुडा लेते है और उन्ही से अपने भोजन आदि की व्यवस्था करने का निवेदन करे वो ही नर्मदा भक्त भील आपको खाना और दाना देंगे . आप अपने मन को दुखी न करे और प्रसन्न रहे . ये शरीर नाशवान है जिसका कभी भी अंत नही होता है .
कहा जाता है कि उन झाडियो में श्रीशूलपाणेश्वर भगवान ज्योतिलिंग है उनके दर्शन के लिए भूखे प्यासे रहकर कठोर दुखो को सहनकर प्रेम से झाड़ी के आदि में उनका मन्दिर है......के दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाये . परिक्रमावासियो से अनुरोध है कि वे शूलपाणी की प्रसिद्द झाडियो में अवश्य जाए और दर्शन लाभ प्राप्त करे.

बोलो शूलपाणेश्वर भगवान की जय .

दक्षिण तट - झाड़ी राजघाट बड़वानी से प्रारम्भ होकर शूलपाणेश्वर मन्दिर में समाप्त होती है .
उत्तर तट - गुरुपाणेश्वर से प्रारम्भ होकर कुक्षी चिखलदा पर समाप्त होती है .
दोनों तट की लम्बाई १६० मील है .

रिमार्क - जिन परिक्रमावासियो को अपने समान से लगाव है वो दक्षिण तट राजघाट से तीन किलोमीटर दूर भीलखेडी गाँव में पटेल साहब जो प्राचीन भील राजा के वंशज है उनके पास जमा करा दे और वापिसी के पश्चात प्रमाण देकर अपना सामान वापिस पा सकते है . यदि परिक्रमावासी उस स्थान पर नही जाते है तो उनकी नर्मदा परिक्रमा अधूरी मानी जाती है .
बोलो शूलपाणेश्वर भगवान की जय .

श्री शूलभेद तीर्थ

एक बार काशी नरेश चित्रसेन शिकार करने जंगल की और गए . वहां उन्होंने हिरन के झुंड को देखा . कौतुकवश उस झुंड में ऋषी उग्रतपा के लडके हिरन भेष में जंगल में विचर रहे थे . राजा ने देखा कि हिरन के झुंड चौकडी मारकर भाग रहा है तो राजा ने पीछा किया और निशाना साधकर तीर छोड़ दिया और दुर्भाग्यवश तीर ऋषी पुत्र की छाती में लग गया वो वही गिर गया . अन्तिम समय में ऋषी पुत्र ने देह प्रगट कर कहा कि मै ऋषी उग्रतपा का पुत्र हूँ और मेरा आश्रम पास में ही है . आप मेरी मृत देह को मेरे पिताजी तक पहुँचा दे . ऐसा कहकर ऋषी पुत्र ने देह त्याग दी .

राजा को ब्रामण हत्या का अत्यधिक दुःख हुआ और वे ऋषी पुत्र की देह उठाकर आश्रम तक ले गए और हाथ जोड़कर ऋषी से बोले आपके पुत्र का हत्यारा मै काशी नरेश चित्रसेन हूँ आपका पुत्र धोके से मेरे हाथ से मारा गया है . बदले में जो सजा या श्राप आप देंगे मै भुगतने के लिए तैयार हूँ . अपने प्यारे पुत्र की लाश देखकर ऋषी और पुत्र की माँ भाई वगैरह सभी रोने लगे . अंत में सब बाते जानकर ऋषी ने राजा को सांत्वना देकर कहा की आपका कोई दोष नही है और अब हम सपरिवार जीना नही चाहते है . आत्मदाह द्वारा हम सभी अपने प्राणों का त्याग कर रहे है . आप हमारी अस्थियाँ समेटकर शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर देना ऐसा कहकर ऋषी मुनि ने मय पत्नी लडके तथा समस्त बहुंये समेत आत्मदाह कर लिया .

राजा बेबस मन से यह सब देखते रहे और उन्होंने अस्थियाँ समेटी और धोड़े पर सवार होकर शूलभेद तीर्थ की और निकल पड़े और उन्होंने अस्थियाँ शूलभेद तीर्थ में विसर्जित कर दी . देखते ही देखते ऋषी उनकी पत्नी और बच्चे एक दिव्य विमान में बैठकर आकाशमार्ग से स्वर्ग जा रहे थे . दिव्य विमान से ऋषी ने राजा को आशीर्वाद देकर बोले हम सब शूलभेद तीर्थ की कृपा से हम लोग स्वर्ग जा रहे है राजा तुम ब्रम्ह हत्या से मुक्त हो गए हो .

नमामि माँ नर्मदे ..नर्मदे हर

श्री नंदिकेश्वर तीर्थ की कहानी

कणिका नाम की नगरी में एक ब्रामण रहता था जो वृध्धावस्था में अपने घर की जिम्मेदारी अपने पुत्र सम्वाद को सौप कर काशी चला गया और कुछ समय के पश्चात उसकी मृत्यु हो गई . थोड़े समय के बाद उसकी माँ बीमार हो गई . मृत्यु के पूर्व उसकी माँ ने अपने पुत्र संवाद से अनुरोध किया कि मृत्यु के उपरांत मेरी अस्थियाँ काशी ले जाकर गंगा में विसर्जित कर देना . अपनी माँ की अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिए संवाद अपनी माँ की अस्थियाँ काशी ले गया और वहां वह एक पंडा के घर रुक गया . पंडा जी ने उसे गौशाला में ठहराया .

पंडा जी गाय का दूध दुह रहे थे . गाय का बछडा दूध पीने को आतुर हो रहा था . बछडा जोर से रस्सी खींचकर गाय का दूध पीने लगा इसी खीचातानी में पंडा के हाथ का दूध गिर गया और सब जगह फ़ैल गया और पंडा के पैरो में भी चोट आ गई और क्रोध में उन्होंने बछडे की खूब पिटाई की और वहां से बडबड़ा कर चल दिए . बछडे की पिटाई होती देख गाय से रहा नही गया वह जोर जोर से रोने लगी . गाय बछडे देते हुए बोली की तेरी पिटाई का बदला मै पंडा जी की पिटाई कर लूंगी .

बछडे ने अपनी माँ को समझाते हुए कहा कि माँ मेरे लिए आप बदले में पंडा को न मारे और ब्रम्ह हत्या जैसा जधन्य अपराध न करे . अपना जीवन और ख़राब और हो जावेगा . पंडा जी अपने स्वामी है आज उन्होंने मुझे मारा है कल वे मुझे प्यार भी करेंगे . हे माँ आप उन्हें क्षमा कर दें . गाय ने कहा तू ब्रम्ह हत्या कि चिता न कर माँ नर्मदा का एक तीर्थ नंदिकेश्वर ऐसा है जहाँ स्नान ध्यान आदि करने से ब्रम्ह हत्या जैसे पापो से मुक्ति मिल जाती है यह सब सुनकर बछडा चुपचाप हो गया .

शाम को जैसे ही पंडा जी गौशाला में दाखिल हुए उसी समय गाय ने रस्सी तोड़कर अपने पीने सींगो से पंडा जी पर आक्रमण कर दिया और पंडा को मार डाला और तुंरत वह काशी से नंदिकेश्वर मन्दिर की ओर भागी . यह सब सम्वाद देख सुन रहा था वह भी गाय के पीछे पीछे भागा . कुछ दिन बाद गाय ने नंदिकेश्वर तीर्थ पहुंचकर उसमे डुबकी लगाई . सबके देखते ही देखते ही उसका श्याम वर्ण शरीर पहले की तरह सफ़ेद हो गया . सम्वाद ने नंदिकेश्वर तीर्थ का महत्त्व देखकर जानकर नंदिकेश्वर तीर्थ को नतमस्तक होकर प्रणाम किया ओर जोर जोर से नंदिकेश्वर तीर्थ के जय के नारे लगाये .

हर हर महादेव नर्मदे हर

संत शिरोमणि गौरीशंकर जी महाराज

संत शिरोमणि गौरीशंकर जी महाराज धूनीवाले बाबा के गुरु थे . अभी तक माँ नर्मदा के जितने भी भक्त हुए है . गौरीशंकर जी महाराज का नाम आदर से लिया जाता है . आप श्री कमल भारती के शिष्य थे जिन्होंने माँ नर्मदा की तीन बार परिक्रमा की थी . अपने गुरु के ब्रम्हलीन होने के पश्चात अपने गुरु के पदचिह्नों पर चलना अपना कर्तव्य समझकर एक बड़ी जमात इकठ्ठा कर माँ नर्मदा की परिक्रमा करने निकल पड़े . भण्डार बनाते समय यदि भंडारी यदि कह दे कि घी की कमी है तो आप तुंरत कह देते कि श्रीमान जी घी माँ नर्मदा से उधार मांग लो और एक बड़े पात्र में नर्मदा जल भरकर लाते और जैसे ही कडाही में डालते वह घी हो जाता था . जब कोई भक्त यदि घी अर्पण करने आता तो स्वामी जी आज्ञा से घी माँ नर्मदा की धार में डलवा दिया जाता था . स्वामी जी माँ नर्मदा पर अत्याधिक विश्वास करते थे और माँ नर्मदा के जल में प्रवेश नही करते थे और दूर से ही जल मंगवाकर स्नान कर लेते थे.

कहा जाता है कि एक बार आपकी जमात होशंगाबाद में भजन कीर्तन कर रही थी तो इस जमात की गतिविधियो को एक अंग्रेज कमिश्नर देख रहा था और उसके मन में संदेह हो गया की आखिर स्वामी जी इतनी बड़ी जमात को चलाते कैसे है और एक समूह को खाना कैसे खिलाते है . वह तुंरत स्वामी जी के पास पहुँचा और पुछा की इतनी बड़ी जमात को चलाने के लिए खर्च कहाँ से लाते हो तो स्वामी जी ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि सब माँ नर्मदा जी देती है और उनकी कृपा से हम सभी खाते पीते है . कमिश्नर ने कहा कि ठीक है मै सुबह आकर आपकी परीक्षा लूँगा और देखता हूँ ऐसा कहकर वह चला गया . सुबह वह अधिकारी स्वामी जी को बंधाधान ले गया और तट पर खड़ा होकर स्वामी जी से कहा कि आप अपनी माँ नर्मदा से ग्यारह सौ रुपयों की मांग करे हम देखना चाहते है कि तुम कहाँ तक सत्य कह रहे हो .

स्वामी जी ने माँ नर्मदा को प्रणाम किया और हाथ जोड़कर बोले कि मैंने कभी आपके जल में प्रवेश नही किया है और इन सब के कहने पर आपके जल में प्रवेश कर रहा हूँ और छपाक से माँ नर्मदा के अथाह जल में छलांग लगा दी और जल में डुबकी लगाई और सैकडो लोगो की उपस्थिति में हाथ में ग्यारह सौ रुपयों की थैली लेकर बाहर आये तो उन्होंने साहब को वह थैली थमा दी और कहा गिन लीजिये . सभी की उपस्थिति में उन रुपयों को गिना गया और ग्यारह सौ रुपये पूरे पूरे निकले तो वह अधिकारी काफी शर्मिंदा हुआ और उसने क्षमा याचना की और उसने भविष्य में किसी नर्मदा भक्त को परेशान न करने की शपथ ली और उसने खुश होकर स्वामी जी को सम्मानित किया और अनेको प्रमाण पत्र भी दिए .

एक बार ब्रम्ह मूहर्त में स्वामी जी स्नान करने जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें कांटा लग गया वे दर्द से व्याकुल हो गए और वही बैठ गए . स्वामी जी आश्रम नही पहुंचे तो उनके शिष्य उन्हें खोजते खोजते नर्मदा तट की और गये . रास्ते में उन्हें स्वामी बैठे दिखे . शिष्यों ने स्वामी जी से कांटा निकालने को कहा पर स्वामी जी ने उन्हें मना कर दिया और कहा माँ नर्मदा ही यह कांटा निकालेंगी और उन्होंने अपने शिष्यों को आश्रम लौट जाने का आदेश दिया और वे रास्ते में उसी जगह बैठे रहे.

अपने भक्त का कष्ट माँ नर्मदा जी से देखा नही गया और वे रात्रि १२ बजे मगर पर सवार होकर वहां पहुँची और अपने भक्त गौरीशंकर से कहा कि बेटा मै तुम्हारा कांटा निकालने आ गई हूँ और उन्होंने स्वामी जी के पैर में लगा कांटा निकाल दिया और उन्हें पहले की भांति स्वस्थ कर दिया . स्वामी जी ने माँ नर्मदा से जल समाधी लेने की अनुमति मांगी तो माँ नर्मदा ने उन्हें खोकसर ग्राम में समाधी लेने की आज्ञा प्रदान की और अंतरध्यान हो गई . सुबह सुबह स्वामी जी ने इस सम्बन्ध में अपने भक्तो और शिष्यों को जानकारी दी और समाधी लेने की इच्छा व्यक्त की . एक गहरा गडडा खुदवाया गया और आठ दिनों तक भजन कीर्तन होते रहे और नौबे दिन स्वामी जी अखंड समाधी ले ली जहाँ स्वामी जी ने समाधी ली है वहां माँ नर्मदा का पवित्र मन्दिर बना है .

भडोच में माँ नर्मदा का आगमन

महर्षि भृगु जी का आश्रम भृगुकच्छ जिसे बर्तमान में भडोच के नाम से पुकारा जाता है . कहा जाता है पूर्व में माँ नर्मदा अंकलेश्वर होकर जाती थी . स्नान करने के लिए महर्षि भृगु जी को ५० मील दूर अंकलेश्वर से नर्मदा जल लाना पड़ता था . उनके शिष्यों ने इतने दूर से जल लाने में कठिनाई का अनुभव किया . शिष्यों की समस्या का निराकरण करने के ध्येय से अपने शिष्यों को महर्षि भृगु ने बुलाया और कहा कि आप लोग मेरी लंगोटी लेकर अंकलेश्वर जाए और इसे नर्मदा जल में धोकर लगोटी को एक रस्सी में बांधकर वगैर पीछे देखे मेरे आश्रम में लाये और जब मै कहूँ तब पीछे मुड़कर देखना तो तुम्हे माँ नर्मदा का जल दिखाई देगा . यदि आप लोगो ने पीछे मुड़कर देखा तो सब काम बिगड़ जावेंगे .

अपने गुरु की आज्ञा पाकर सब शिष्य हंशी खुशी अंकलेश्वर गए और नर्मदा जल में लगोटी को धोया और लंगोटी को रस्सी में बांधकर वगैर पीछे मुड़े बिना आश्रम तक लाये और गुरु जी को आवाज दी . महर्षि भृगु जी ने अपनी कुटिया से बाहर आकर अपने शिष्यों को पीछे मुड़कर माँ नर्मदा के दर्शन करने की आज्ञा दी . जब शिष्यों ने पीछे मुड़कर देखा तो अथाह जल में लंगोटी तैरते हुए देखा तो शिष्यों की खुशी का कोई ठिकाना नही रहा . सबने सामूहिक रूप से माँ नर्मदा का पूजन अर्चन किया और माँ नर्मदा के जयकारे के जोर जोर से नारे लगाये .

जब से आज तक माँ नर्मदा भडोच से होकर ही आगे समुद्र तक जाती है .

जय नर्मदे माँ

21 जन॰ 2010

न तुम उदास हो , ना तुम निराश हो.

न तुम उदास हो ,
ना तुम निराश हो.
जीने की राह में
दोस्तों के साथ हो..

जीत में भी हार में भी,
प्यार में भी रार में भी.
मन को न निराश करो,
खुश दिल मिजाज़ बनो..

न तुम स्वयं के लिए जियो,
जियो तो कम से कम आपनो के लिए.
न कभी खुद निराश हो,
न कभी अपनों को निराश करो..

जिन्दगी तो God Gift है,
न जियो आप अपने लिए सही
जियो तो सही हमारे लिए,
हम भी तो आपके ही है..

20 जन॰ 2010

चलो छोडो , रहने दो ...............



तुम क्यों हो,
यूं परेशाँ,
मेरी खातिर,
चलो छोडो,
मेरे जज्बात,
मुझ ही तक,
रहने दो॥

जो अब भी ,
न समझे तुम,
मेरी नज़रों ,
की भाषा ,
ख़त्म करो,
ये बात ,
यहीं तक,
रहने दो॥

मैंने कब कहा,
की तुम,
मुझे अपना,
हमकदम बना लो,
जो रास्ते,
और भी हैं,
चले जाओ खुशी से,
ये साथ,
यहीं तक,
रहने दो॥

मैं जानता हूँ,
तुम चमकता,
चाँद हो,
मैं चमकती रेत,
मगर गर्दिशों की,
तुम रहो,
आसमान में मुस्कुराते,
जमीन तक,
रहने दो॥

मैंने कब,
कहा तुमसे,
की तुम,
रुस्वाइयां झेलो,
हमें तो,
आदत है इसकी,
ये सौगात ,
हमीं तक,
रहने दो॥

चलो छोडो , रहने दो ...............

18 जन॰ 2010

सर्दी की लहर में एक चर्चा मदक कलि और मंहगाई

नसों को हिला देने वाली सर्द हवाएं चल रही थी . करीब एक हफ्ते से पान नहीं खाया था ....यह फ़िल्मी गाना ओ मदकक्ली ओ मदककली गुनगुनाते हुए पान की दुकान पर पहुँच गया . तो पानवाला बड़ा खुश हो गया जैसे कोई मुर्गा हलाल होने पहुँच गया हो .

बनियो की आदत के मुताबिक मुस्कुराकर बोला - बाबू आज बड़ी मस्ती में दिख रहा हो ..आज का बात है .....

मैंने कहा ख़ाक मस्ती कर रहा हूँ . ठण्ड इतनी पड़ रही है की मुंह अपने आप फड़कने लगता है और तुम समझ रहे हो की मै गाना गुनगुना रहा हूँ . अरे उस मंहगाई रूपी मदक कलि की बात करो जो सबको मटक मटक कर हलाकान कर रही है . तुम्हें मालूम है इस फिल्म के डायरेक्टर केन्द्रीय मंत्री पावर साब है . अरे पान वाले एक ज्योतिष ने इनके बारे में यहाँ तक कह दिया है की पवार जी को ये वाला मंत्री नहीं होना था . ये वाले का अर्थ है दाल रोटी वाला विभाग का मंत्री . हर तरफ से ओले पड़ रहे है बस वे फ़िल्मी डायरेक्टर की तरह कह देते है की अभी मंहगाई की फिल्म और चलेगी.

पानवाले ने टोककर कहा - अरे इन बुढऊ को कोई भी विभाग दे दो इनके बस में अब कुछ नहीं है अब इन्हें इस उम्र में अपने घर के नाती पोतो को खिलाना चाहिए .

मैंने कहा - यार पानवाले तुम भी बड़ी मीठी मीठी बात करत हो जिससे तुम्हारी पान की दुकान खूब चलें . पान तो मीठा खिलाते हो पर पान में चूना बहुत डाल देते हो तो पान खाने की इच्छा नहीं होती है . पान वाला था बनिया प्रवृति का ताड़ गया की ये ग्राहक महाराज खिसक लेंगे फिर कभी न आएंगे इसीलिए चेप्टर को फ़ौरन बदल कर बोला - महाराज वो लंगोटा नन्द महाराज नहीं दिख रहे है . कभी उनसे मुलाकात होती है की नहीं ?

मैंने कहा - हाँ पिछले सप्ताह हिमालय पर थे अकेले एक लंगोट पर थे अधिक ठण्ड खा रहे थे . शायद लंगोटी में सिगड़ी बांध कर बैठे होंगें और यह कहते हुए मुश्कुराते हुए मैंने पान की दुकान से अंतिम बिदा ली...

आलेख व्यंग्य - महेंद्र मिश्र
जबलपुर

तेवरी; पाखंडी झंडे लिये --संजीव 'सलिल'

तेवरी

संजीव 'सलिल'

पाखंडी झंडे लिये, रहे देश को लूट.

आड़ एकता की लिये, डाल रहे हैं फूट..

सज्जन पर पाबंदियाँ, लुच्चों को है छूट.

तुलसी बाहर फेंक दी, घर में रक्षित बूट..

चमचम-जगमग कलश तो, बिखरे पल में टूट.

नींव नहीं मजबूत यदि, भरी न जी भर कूट..

गुनी अल्प, निर्गुण करें, उन्हें निरंतर हूट.

ठग पुजता है संत सम, सर पर धरकर जूट..

माप श्रेष्ठता का हुआ, मंहगा चश्मा-सूट.

'सलिल' न कोई देखता, किसकी कैसी रूट?.

****************

17 जन॰ 2010

हिंदी ब्लागिंग पर हुए बेबाक :शरद कोकास [पोडकास्ट साक्षात्कार]

                                           छतीसगढ़ के साहित्यकार एवं हिन्दी ब्लागिंग के लिए एक ज़रूरी और  महत्वपूर्ण ब्लॉगर शरद कोकास से लम्बी बात चीत सुधि पाठको के लिए सादर प्रस्तुत है इस सुनने यहाँ चटका लगाइए
                                                                                                                         
मेरा फोटो
शरद कोकास ने अपने साक्षात्कार में हिन्दी ब्लागिंग पर् खुल   कर अपनी बात कही

 शरद  कोकस  से  साक्षात्कार 


कोकास जी के ब्लॉग लिंक


15 जन॰ 2010

नवगीत: गीत का बनकर / विषय जाड़ा --संजीव 'सलिल'

नवगीत:

संजीव 'सलिल'

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...
कोहरे से
गले मिलते भाव.
निर्मला हैं
बिम्ब के
नव ताव..
शिल्प पर शैदा
हुई रजनी-
रवि विमल
सम्मान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...

फूल-पत्तों पर
जमी है ओस.
घास पाले को
रही है कोस.
हौसला सज्जन
झुकाए सिर-
मानसी का
मान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...

नमन पूनम को
करे गिरि-व्योम.
शारदा निर्मल,
निनादित ॐ.
नर्मदा का ओज
देख मनोज-
'सलिल' संग
गुणगान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
खुदी पर
अभिमान करता है...
******

तारिका-प्रेमी बाबाओं का जमवाडा बनाम भारत-ब्रिगेड

शहर जबलपुर की शान लुकमान  ज़रूर  देखिये   जी  

___________________________________________
अनिल पुसदकर जी को एक बात समझ मे नही आ रही है कि:- ये कथित नेशनल न्यूज़ चैनल वाले लोगों को शिक्षित करने पर क्यों तुले हुये हैं,खासकर हिंदूओं को।सब के सब चिल्ला रहे है ग्रहण के बारे मे धार्मिक या पारंपरिक मान्यताएं बकवास है।सब पानी पी-पी के ग्रहण और ज्योतिषियों के खिलाफ़ आग उगल रहे हैं लेकिन क्या कभी इतनी जागरूकता किसी दूसरे धर्म के अंधविश्वासों के खिलाफ़ दिखाई है।हिंदू मंदिर मे अगर बलि चढ जाये तो सारे देश के नैतिकता और सुधारवाद के ठेकेदार वंहा पंहुच जायेंगे और बतायेंगे सारे हिंदू गलत हैं,सारी मान्यताऐं गलत है।[आगे पढ़िये ]                                     
_____________________________

विशेष सूचना :

भारत-ब्रिगेड के कुछ ब्रिगेडीयर्स ख़ास तौर पर ये और ये न देखें

इधर आदाब-अर्ज़ करते हुए अबयज़ ख़ान ने अर्ज़ है पर अर्ज़ किया की ''चलिए नए साल पर एक खुशख़बरी उन मर्दों के लिए जो शादी के बाद भी पति-पत्नी और वो के चक्कर से निकले नहीं हैं... और खुशख़बरी उनकी पत्नियों के लिए भी जो अपने दिलफेंक मियां से आजिज़ आ चुकी थीं... घबराइये मत... जो काम आपके पति कर रहे हैं वो उनकी ज़िंदगी में तो रंग भर ही रहा है, आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी में भी उससे बहार आ जाएगी... अरे ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं... बल्कि ये नया राग तो अंग्रेज़ों की देन है...''[और आगे देखिये ]
इन शर्तों के साथ हिन्दयुग्म ने  यूनिकवि की तलाश शुरू कर दी है 

_______________________________________________ 
ब्लॉग  जगत  में  इन  दिनों  जाने  किधर  से  बाबाओं  का  सैलाब  सा  आ  गया  है . बाकायदा अपने अपने मठों से ब्लॉगरूपी ''वृक्ष की जड़ों में '' मठा सींचते लोगों की सोच के पौधों की जड़ों में ये लोग बाकायदा हींग डालते नज़र आ रहे हैं .  .
    बाबा झोटा नंद अचारी बाबा भविष्य वक्ता नंद महाराजश्री-श्री १०८ लंगोटानंदजी महाराज
  • स्वामी भविष्यवक्तानंद
  • झोत्तानंद 
  • लंगोटा नंदजी महाराज
  • बाबा निठ्ठल्लानंद जी
  • श्री श्री साढ़े सात हजार बाबा सांडनाथ !!
  • श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज
  • महा मठाधीषसमीरा नन्द जी के आश्रम के मुख्य महंत ताऊ हैं तो महा-प्रबंधक-महंत का दर्जा प्राप्त ललितानंद जी  ताऊ के ही मठा डालते हैं 

    महिला प्रभाग की महा-प्रबंधक
    मां अदा चैतन्य कीर्ति महाराज साहिबा जी

    अर्थ-प्रबंधक
    बाबा स्वामी महफूज़ानंद महाराज
    --बाबा प्रॉडक्टस--


    कुंभ की विशेष छूट
    ~~बेहद सस्ते दामों पर~~
    महा सेल-महा सेल-महा सेल
    नोट: ऐसा मौका फिर १२ साल बाद आयेगा.
    चमत्कारी सर्वसिद्धि यंत्र

    - अभिमंत्रित लॉकेट

    - जागृत अंगूठी

    आर्डर और दाम के लिए इन्तजार किजिये. (डीलरशीप के लिए अन्य बाबा संपर्क करें)
    -घोषणा-
    . हमारी कोई ब्रान्च नहीं है.
    . नकलचियों से सावधान.
    . ब्लॉगजगत के एकमात्र सर्टीफाईड एवं रिक्गनाईज्ड बाबा.
    -सबका कल्याण हो!!
    -सूचना-
    कृप्या यहाँ का कोई प्रोडक्ट चुरा कर अपनी वेब साईट पर न लगायें. बिना प्राण प्रतिष्ठा के यह मात्र फोटो हैं और आप फालतू में कानूनी लफड़े में फंस जायेंगे.
    -आश्रम मेनेजमेन्ट

    उपरोक्त अनुसार  ब्लॉग पर बाबाओं के जमवाड़े के लिए सरकार ने इस जमवाड़े के कुछ सदस्यों जैसे इनकी,
    इनकी  और इनकी हरकतों को देखते हुए बाबा रेग्यूलेटिंग एक्ट 2010 लाने का विचार बना लिया है . जिसका मसौदा तैयार करेंगे पंडित ज्ञानदत्त पांडे जी . इनको  अलाहबाद में रहकर बाबाओं के मनोविज्ञान समझने का लंबा अवसर मिला है. रेलवे बिभाग के सुदृढ़ अधिकारी का चयन अन्य विभाग के शीर्ष अधिकारी ब्लागर्स के लिए मानसिक हल चल का विषय बन सकता है अत: जबलपुर ब्रिगेड ने मकर-संक्रांति के दिन से ''भारत-ब्रिगेड'' का स्वरूप अपने डोमिन पर आकर धारण कर लिया है.जो महाशक्ति के प्रयास का प्रतिफल है.  
    ___________________________________________________________
    [HavanBrigMeditate.jpg] महा मठ वाणी से साभार इस चित्र को ले लिया है तो आपको इस लिंक पर चटका लगाके जाना ज़रूरी क्यों है इब क्किकिया दिए हवें तो जाइए बांचिये देखिये का लिखा है बाबा
    _____________________________________________________________
    भाइयो एवं सजग पाठिकाओं
    मकर संक्रांति की शुभ कामनाएं देना-लेना उतना  ज़रूरी जितना तिल्ली  को पचाना और ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचन-बचाना समयचक्र सदा अपनी गति से उम्दा चलता है किन्तु अगर कोई घडी में ही अंगुली कर दे तो उसका दोष समय चक्र को नहीं दिया जा सकता  . एक बेतरीन पोस्ट के लिए मिश्र जी का आभार .
    इस बीच संजीदा होकर लिखे गए इस ब्लॉग की तारीफ़ ज़रूरी है
     मैं भी
     एक  कारखाना
    बनाना चाहती हूँ.!
      घर बनाकर
    उसकी
    छत होना चाहती हूँ ![आगे पढिये ]

                              आज तो इनकी सराहना भी करनी होगी जिन्हौने चाचा लुकमानचचा  को याद किया 





13 जन॰ 2010

हाल क्या था दिलो का हमसे पूछो न सनम ...उनका पतंग उड़ाना गजब हो गया ....

ओह जब जब मकर संक्रांति आती है तब अपना बचपना भी याद आ जाता है और उन सुखद दिनों की स्मृतियाँ दिलो दिमाग में छा जाती है . वाकया उन दिनों का है जब मै करीब पन्द्रह साल का था . कहते है की जवानी दीवानी होती है . इश्क विश्क का चक्कर भी उस दौरान मेरे सर पर चढ़कर बोल रहा था .




मकरसंक्रांति के दिन हम सभी मित्र पतंग धागे की चरखी और मंजा लेकर अपनी अपनी छतो पर सुबह से ही पहुँच जाते थे और जो पतंगे उड़ाने का सिलसिला शुरू करते थे वह शाम होने के बाद ही ख़त्म होता था . मेरे घर के चार पांच मकान आगे एक गुजराती फेमिली उन दिनों रहती थी . उस परिवार के लोग मकर संक्रांति के दिन अपने मकान की छत पर खूब पतंग उड़ाया करते थे . उस परिवार की महिलाए लड़कियाँ भी खूब पतंगबाजी करने की शौकीन थी .

उस परिवार की एक मेरे हम उम्र की एक लड़की खूब पतंग उड़ा रही थी मैंने उसकी पतंग खूब काटने की कोशिश की पर उसने हर बार मेरी पतंग काट दी . पेंच लड़ाने के लिए बार बार नए मंजे का उपयोग करता .हर बार वह मेरी पतंग काटने के बाद हुर्रे वो काट दी कहते हुए अपनी छत पर बड़े जोर जोर से उछलते हुए कूदती थी और विजयी मुस्कान से मेरी और हंसकर देखती तो मेरे दिल में सांप लोट जाता था .

एक दिन मैंने अपनी पतंग की छुरैया में एक छोटी सी चिट्ठी बांध दी और उसमे अपने प्यार का इजहार का सन्देश लिख दिया और उसमे ये भी लिख दिया की तुमने मेरी खूब पतंगे काटी है इसीलिए तुम्हे मै अपना गुरु मानता हूँ . छत पर वो खड़ी थी उस समय मैंने अपनी वह पतंग उड़ाकर धीरे से उसकी छत पर उतार दी . पतंग अपनी छत पर देखकर लपकी और उसने मेरी पतंग को पकड़ लिया और पतंग की छुर्रैया में मेरा बंधा संदेशा पढ़ लिया और मुस्कुराते हुए काफी देर तक मुझे देखती रही और मुझे हवा में हाथ हिलाते हुए एक फ़्लाइंग किस दी . उस दौरान मेरे दिमाग की सारी बत्तियां अचानक गुल हो गई थी .


मकर संक्रांति के बाद एक दो बार उससे लुक छिपकर मिलना हुआ था . वह शायद मेरा पहला पहला प्यार था शायद उसका नाम न लूं तो भारती था . अचानक कुछ दिनों के बाद बिजनिस के सिलसिले में उनका परिवार गुजरात चला गया और वो भी चली गई उसके बाद उससे कभी मिलना नहीं हुआ . जब जब मकर संक्रांति का पर्व आता है तो उसके चेहरे की मुस्कराहट और और उसका पतंकबाजी करना और ये कह चिल्लाना वो काट दी है बरबस जेहन में घूमने लगता है .
______________________________
jabalpur  is now Bharat-Briged
___________________________

12 जन॰ 2010

श्याम साकल्ले जी की कलम से


 
 
 
नागपुर से प्रकाशित नर्मदा भारती में श्री स्याम साकल्ले (हरदा मध्य-प्रदेश ) का आलेख मंडलेश्वर के सम्बन्ध में सादर प्रस्तुत है
_______________________________________________
इस चर्चा पर भी नज़रें रखिये जी हाँ ये हैं अलबेला खत्री  जो ब्लॉग पर  भी चुटकी लेते हैं

11 जन॰ 2010

बाल गीत: भारत माता --संजीव 'सलिल'

बाल गीत:

भारत माता

संजीव 'सलिल'


मदर इंडिया, भारत माता,

जयकारा मेरे मन भाता

हिन्दी-अंग्रेजी का लड़ना-

मुझको बिल्कुल नहीं सुहाता.

दुनिया की हर भाषा-बोली,

बच्चों की होती हमजोली.

ज्ञान-ध्यान की बात बताएं,

सीख-सिखाएं खुशियाँ पायें.

हम अनेक फ़िर भी हैं एक,

कभी न खोये स्नेहिविवेक.

लिख,पढ़,बढ़ सबको सुख देंगे'

पीड़ित के आंसूं पोछेंगे.

मेहनत ही है सच्ची पूजा.

नहीं साधना का पथ दूजा.

'सलिल' हाथ से हाथ मिलाकर,

हंस तू सबको गले लगाकर...

*****

भारत ब्रिगेड का सपना और आकास्मिक अवकाश के लिये प्रार्थना पत्र

जबलपुर ब्रिगेड मे करीब ढेड़ दर्जन बि‍ग्रेडियरों की भ‍ार्ति हो चुकी है। मुझे सूचना मिली है कि कमान्‍डर साहब के पास काफी रिक्‍वेस्‍ट पेन्‍डिग पड़ी हुई है। कामान्‍डर महोदय से निवेदन है कि जबलपुर ब्रिगेड को भारत ब्रिगेड बनया जाये, क्‍योकि आज जबलपुर बिग्रेड का दायरा सिर्फ जबलपुर तक सीमित न होकर सम्‍पूर्ण भारत तक पहुँच गया है। अत: तुच्‍छ ब्रिगेडियर महाशक्ति का उक्‍त सुझाव पर विचार किया जाये और इसे भारत बिग्रेड का साकार रूप दिया जाये।

आज तक जबलपुर बिग्रेड मे निम्‍न सम्‍मानित ब्रिगेडियर के कारण ब्रिगेड अपनी शोभा बढ़ा रहा है
  1. जी.के. अवधिया
  2. VIJAY TIWARI " KISLAY "
  3. दिव्य नर्मदा
  4. लाल और बवाल (जुगलबन्दी)
  5. Doobe ji
  6. अविनाश वाचस्पति
  7. बवाल
  8. गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल'
  9. बी एस पाबला
  10. समयचक्र
  11. महाशक्ति
  12. Udan Tashtari
  13. शरद कोकास
  14. Dipak 'Mashal'
  15. महफूज़ अली
  16. अजय कुमार झा
  17. Ankur Billore
  18. ललित शर्मा
किन्‍तु खेद हे कि कामान्‍डर समयचक्र, सर्व श्री बिगेडियर मुकुल, दिव्य नर्मदा, ललित शर्मा, बवाल, अविनाश वाचस्पति, डूबे जी, अंकुर बिल्‍लोरे, विजय तिवारी किसलय और महाशक्ति सहित कुल 10 बिग्रेडियरो द्वारा ही ब्रिगेड पर अपने अधिकारो का उपयोग करते हुये अपनी सेवाये ब्रिगे‍ड के लिये उपलब्‍ध करवाई है। बाकी ब्रिगेडियर अपने अधिकारो के प्रति सजग नही दिख रहे है। अत: सभी ब्रिगेडियर साहबान से अनुरोध है कि कम से कम अपने शस्‍त्रो का उपयोग महीने मे एक दो-बार कर ही ले, ताकि आपात स्थिति के समय कोई भी ब्रिगेडियर बहाने बाजी न करे।

आकास्मिक अवकाश के लिये प्रार्थना पत्र
कामान्‍डर महोदय मुझे अनिश्चित कालीन आकास्मिक अवकाश देने का कष्‍ट करे, मै वर्तमान समय मे सक्रिय ब्रिगेडियर के रूप से अपनी सेवाये दे पाने असक्षम हूँ। अपने अवकाश काल के दौरान जब कभी कामान्‍डर अथवा मेरे वरिष्‍ठ ब्रिगेडियर द्वारा मुझे किसी काम के लिये आदेशित किया जायेगा, जहाँ तक सम्‍भव हो सकेगा मै उपलब्‍ध रहेने का प्रयास करूँगा।

ब्रिगेडियर महाशक्ति

8 जन॰ 2010

तेवरी: हुए प्यास से सब बेहाल. -संजीव 'सलिल'

तेवरी:

संजीव 'सलिल'


हुए प्यास से सब बेहाल.
सूखे कुएँ नदी सर ताल..

गौ माता को दिया निकाल.
श्वान रहे गोदी में पाल..

चमक-दमक ही हुई वरेण्य.
त्याज्य सादगी की है चाल..

शंकाएँ लीलें विश्वास.
नचा रहे नातों के व्याल..

कमियाँ दूर करेगा कौन?
बने बहाने हैं जब ढाल..

सुन न सके मौन कभी आप.
बजा रहे आज व्यर्थ गाल..

उत्तर मिलते नहीं 'सलिल'.
अनसुलझे नित नए सवाल..

********************
इसे दिव्य नर्मदा में भी पढिए 

7 जन॰ 2010

बात महिमावान उंगली की ...

बड़ी जोरदार ठण्ड पड़ रही है . घूमते घूमते अपुन आज पान की दूकान पे पहुँच गए . देखा तो पान वाला भी ठण्ड से ठिठुर रहा था . तबई अचानक गिरीश जी की जा बात जेहन में कौंध गई की हमें हर मामले में उंगली करनें में महारत हासिल है और मैंने भी ठान लिया की इस वार्ता को मै आगे बढ़ा दूं.

मैंने सोचा की क्यों न पान वाले को उंगली बताई जाय ... जैसे मैंने उंगली उठाई तो पान वाला बोला - उंगली काय उठा रहे हो ...सीधे सीधे बताओ बाबू कैसा पान लगा दूं .

मैंने डकार लेते हुए कहा जरा पान में कतरी, पिपरमेंट और सौप डाल देना . फिर मैंने पान वाले से कहा तुम्हे मालूम है की मैंने तुम्हे काय उंगली बताई थी . आजकल उंगली की महिमा बढ़ गई है .उंगली है बड़ी काम की चीज . उंगली बताकर किसी को चिढाया जा सकता है .

उंगली बताकर चुनौती भी दी जाती है . श्री कृष्ण ने उंगली बताकर जरासंघ को दो फाड़ करवा दिया था . कोई अच्छा भला खा पी रहा हो तो उसकी गा... एंड में उंगली कर दो बस फिर उसका खूब धुआं देखो और खूब आंच सेको और खूब हा हा हा करो..

कुछ लोगो की बिना बात के उंगुली करने की आदत होती है जो बिना वजह किसी को भी उंगली करते रहते है . देखो जा बात नेट पे तो बहुतई देखी जा रही है....बड़े बड़े पुराने धुरंदर नामी गिरामी चिटठाकार किसी नये या पुराने ब्लागर की खिल्ली उड़ाने के लिए बेवजह उंगली कर देते है . यह बात भी भूलने लायक नहीं है की एक उंगली उठाकर एम्पायर खिलाडी को आउट करार दे देता है ..

विपाशा बासु कम कपडे पहिनकर जब हाथ उठाकर उठाकर उंगली बता कर जब नाचती है तो दीवाने थिरकने लगते है तो दूसरी और संस्कारी बूढ़े विपाशा को कम कपडे पहिनने पर उंगली उठा उठाकर कोसते है . पान वाले ने कहा - भैय्या बहुत तै हो गई...अब जा बताओ भाई ललितजी और बाबा लंगोतानद नहीं दिख रहे है ?

मैंने मुस्कुराकर पान वाले से कहा - भैय्ये ठण्ड ज्यादा पड़ रही है कही उंगली कर रहे होंगे.
इस बात पर पान वाले और मैंने जोर का ठहाका लगाया और मैंने वहां से हंसते हंसते बिदा ली .


चर्चा पान की दूकान पर - महेंद्र मिश्र जबलपुर वालो द्वारा...

हमें हर मामले में उंगली करनें में महारत हासिल है .



अंगुली करने में हम भारत वालों की कोई तोड़ नहीं है ।हमें हर मामले में उंगली करनें में महारत हासिल है .....!गोया कृष्ण जीं ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पे क्या उठाया हमने उनकी तर्ज़ पर हर चीज़ को अंगुली पे उठाना चालू कर दिया है । मेरे बारे मे आप कम ही जानते हैं ...! किन्तु जब अंगुली करने की बात हो तो आप सबसे पहले आगे आ जायेंगें कोई पूछे तो झट आप फ़रमाएंगे "बस मौज ले रहा था ?" अंगुली करने की वृत्ति पर अनुसंधान करना और ब्रह्म की खोज करना दोनों ही मामलों में बस एक ही आवाज़ गूंजती है "नयाति -नयाति" अर्थात "नेति-नेति" सो अब जान लीजियेजिसे जो भी सीखना है सीख सकता है बड़ी आसानी से ...! जानते हैं कैसे ? अरेभाई केवल अंगुली कर कर के !! मुझ जैसे लोग जो कम्प्युटर का कम भी न जानते थे बस अंगुली कर कर के कम्प्युटर-कर्म सीख गया देखिये मेरी अंगुली को आज तक कुछ भी नहीं हुआ ...! ये अलहदा बात है कि कम्प्यूटर ज़रूर थोड़ा खराब हुआ । इससे आप को क्या शिक्षा मिली ......? यही कि "चाहे जहाँ ,जितनी भी अंगुली करो अंगुली का बाल भी बांका नहीं होगा । इतिहास गवाह है कृष्ण जीं की अंगुली याद करिये !इंद्र की बोलती बंद कर दी योगेश्वर ने उनकी अंगुली का कुछ भी न हुआ. होता भी कैसे प्रभु ने अंगुली बनाते वक़्त उसके अनुप्रयोग के बाद किसी भी विपरीत प्रभाव के न पड़ने का अभय दान सिर्फ अँगुलियों को ही दिया था. आज देखिये कितने लोग सिर्फ अंगुली उठा कर जीवन यापन कर रहें  हैं =>  अब खबरिया/जबरिया टी वी चैनल्स को ही देखिये अंगुली दिखा दिखा के उठा आपकी हालत खराब करना इनकी ड्यूटी है आप इनकी अंगुली पे अंगुली नहीं उठा सकते . यदि आप यह करना भी चाहें तो.........संभव नहीं है कि आप कुछ कर पायेंगें .
इस  पोस्ट  का अगला भाग:-यानि ब्रिगेडियर  मिसिर  कृत  आलेख बांचिये इधर =>;;"भाग-02" 
अथवा इधर  

6 जन॰ 2010

सायबर क्राइम :मेरी आई डी का दुरूपयोग


                                                            आज अचानक भोपाल में विभागीय मीटिंग के समय एक +918040932451  से प्राप्त सन्देश का कुछ इस प्रकार था मैं बैंगलोर से बोल रहा हूँ आपके पास ढ़ेड़ करोड़ इ-मेल आई०डी० हैं इस आशय का मेल मुझे मिल गया है मेल के ज़रिये मिले आई डी पर मैंने मेल भेजी है . आपका  उत्तर न मिला इस लिए फोन कर रहा हूँ ?अचानक आए इस फोन का अर्थ अभी तक मुझे समझ न आया लेकिन इस भय से कि फोन करने वाले व्यक्ति किसी साजिश के शिकार  न हों अतएव उनको फ़ौरन sms करके बताया कि यह मेल मेरे आई डी से मेरे द्वारा नहीं किया है ! मित्रों इस घटना का अर्थ जानने की कोशिश कर रहा हूँ किन्तु आप सभी को आगाह कर रहा हूँ इस तरह का कोई भी मेल आप तक पहुंचे तो कृपया तस्दीक ज़रूर कर लीजिए वैसे मैं भी इस घटना की जानकारी सायबर क्राइम विभाग को देना चाहता हूँ यदि बैंगलोर वाले वो फोन कर्ता मुझे कथित रूप से उनको प्राप्त मेल की प्रति भेजें . आप जो भी इस विषय में जानकारी रखतें हैं कृपया तकनीनी आलेख ज़रूर लिखिए

4 जन॰ 2010

सांध्य दैनिक यशभारत का सहयोगी रुख हिन्दी ब्लागिंग के लिए


जबलपुर से निकालने वाला सांध्य दैनिक यशभारत इन दिनों निरंतर हिन्दी ब्लागिंग पर कार्य कर रहा है. आज जब इस अखबार ने एक महत्त्व पूर्ण पोस्ट का प्रकाशन किया तो मुझे लगा कि पोस्ट हू ब हू मुद्रित करना ठीक है किन्तु इस पर चर्चा करना ज़्यादा ज़रूरी है. ताकि प्रिंट मीडिया के पाठकों को ब्लॉग जगत में चल रही गतिविधियों से परिचित कराया जावे. इस हेतु यश्-भारत-परिवार के प्रबधन/स्वामित्व  से जुड़े श्री आशीष शुक्ल जी का मानना है  कि हम "इस विधा के महत्त्व से परिचित हैं तभी तो हम चिट्ठा कारिता को स्थान दे रहें हैं. संपादक जी ने भी ब्रिगेडियर बवाल से प्रकाशनार्थ सामग्री के लिए आग्रह किया है. वहीं आज दिनांक ३ जनवरी २०१० को जिन चिट्ठों के चर्चा यश भारत में हुई उसकी चर्चा ब्रिगेडियर पाबला करने जा रहें हैं =>"यहाँ "
आप में से कोई अगर अपना आलेख भेजना चाहतें हैं तो कृपया अपना आलेख जो किन्हीं ब्लाग्स से सम्बंधित   अपना आलेख yashbharat_press@yahoo.co.in /मेरे  अथवा बवाल के मेल पते पर भेज दीजिये .
_____________________________________
                 न्यूज़ -फ्लेश  
राजीव  तनेजा  साहब  ने किन किन के चेहरे सुधारें
हैं जानने क्लिक कीजिये =>;यहाँ   
 _____________________________________

2 जन॰ 2010

गीतिका: तुमने कब चाहा दिल दरके? --संजीव वर्मा 'सलिल'

गीतिका

संजीव वर्मा 'सलिल'
*
तुमने कब चाहा दिल दरके?

हुए दिवाने जब दिल-दर के।

जिन पर हमने किया भरोसा

वे निकले सौदाई जर के..

राज अक्ल का नहीं यहाँ पर

ताज हुए हैं आशिक सर के।

नाम न चाहें काम करें चुप

वे ही जिंदा रहते मर के।

परवाजों को कौन नापता?

मुन्सिफ हैं सौदाई पर के।

चाँद सी सूरत घूँघट बादल

तृप्ति मिले जब आँचल सरके.

'सलिल' दर्द सह लेता हँसकर

सहन न होते अँसुआ ढरके।

**********************

1 जन॰ 2010

"थ्री इडियट्स वर्सेस फाइव पॉइंट समवन या चेतन बनाम आमिर खान "

चेतन भगत   
बनाम 





[GuruDutt_18047.jpg]
                                                                 
                                                      स्वर्गीय गुरुदत्त=>

आज अचानक चेतन का ब्लॉग पर यह लिखना की वे आहत हुए हैं  आमिर को नागवारा गुज़रा वे खबरिया
चैनल को आमिर ने जो इंटरव्यू दिया उससे कहीं साफ़ झलक रहा है की वे किसी हद तक कुछ छिपाना चाहतें हैं
अथवा यदि ऐसा नहीं है तो किसी ने उनसे  कुछ छिपाया है और मीडिया के सामने उनका अब तक का सबसे लचर इंटरव्यू यही था जब वे चेतन को "थ्री इडियट्स" के लिए पर्याप्त क्रेडिट देना साबित कर रहें थे . रहा सवाल अजिताभ जोशी के हवाले से कही इस खबर का "हम चेतन भगत को नोटिस जारी करेंगें !"
स्टार न्यूज़ पर दिखाई यह खबर अगर सही है तो जोशी साहब कुछ घबराए हढ़बढ़ाए से नज़र आ रहें हैं भाई अजिताभ जी देखिये चेतन भगत तो सिर्फ कह रहें हैं कि वे आहत हुए हैं ?  कोई घायल हो उसे नोटिस भेजने की बात करना अजीबो गरीब सा लग रहा है.चेतन जी को गुरुदत्त की फिल्म "प्यासा" याद रखनी ही होगी मायानगरी में सब कुछ संभव है  चेतन भगत साहब यहाँ  सब  कुछ सहना  होता   है कलम को / सुर को / फेन को माया नगरी पर हुनर मंद का हुक्म चलता है ?
_______________________________
चेतन भगत का ब्लॉग 
_______________________________
कुछ और है पहले से हीविकी पीडिया  पर
"इनका पहला उपन्यास "फाइव पॉइंट समवन - व्हाट नॉट टू डू एट आईआईटी " (२००४) , तीन विद्यार्थियों पर आधारित है जो संस्थान के भारी कार्यभार का सामना कर उससे उभरने की कोशिश करतें हैं | यह किताब इंडिया टुडे बेस्टसेलर के लिस्ट में सबसे ज्यादा दिनों तक रही (१९० सप्ताह , जनवरी २००८) | इस किताब ने २००४ में सोसाइटी यंग अचीवर अवार्ड और २००५ में पब्लिशर रेकोग्निसशन अवार्ड जीते | जाने माने हिन्दी फिल्म निर्माता, निर्देशक राजकुमार हिरानी इस किताब पर एक फिल्म बना रहे हैं जिसमें आमिर खान मुख्य भूमिका में दिखेंगें |
_____________________________
ये  देखिये कहाँ है "चेतन भगत"   
का नाम इस सूची में वर्ना वेब दुनियाँ  पर थ्री  इडियट्स की कहानी नई फिल्म मूवी प्रीव्यूके साथ ज़रूर होता उनका नाम ?

बैनर : विधु विनोद चोपड़ा प्रोडक्शन्स
निर्माता : विधु विनोद चोपड़ा
निर्देशक : राजकुमार हीरानी
लेखक : विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार हीरानी, अभिजीत जोशी
गीत : स्वानंद किरकिरे
संगीत :शांतनु मोइत्रा
कलाकार : आमिर खान, करीना कपूर, आर. माधवन, शरमन जोशी, बोमन ईरानी, मोना सिंह, परीक्षित साहनी, जावेद जाफरी