31 मार्च 2010

काव्य रचना: मुस्कान --संजीव 'सलिल'

काव्य रचना:

मुस्कान

संजीव 'सलिल'

जिस चेहरे पर हो मुस्कान,
वह लगता हमको रस-खान..

अधर हँसें तो लगता है-
हैं रस-लीन किशन भगवान..

आँखें हँसती तो दिखते -
उनमें छिपे राम गुणवान..

उमा, रमा, शारदा लगें
रस-निधि कोई नहीं अनजान..

'सलिल' रस कलश है जीवन
सुख देकर बन जा इंसान..

*************************

पहेली का ज़वाब :किसी ने नहीं दिया

"मुकुल और महाशक्ति ": इस पहेली का ज़वाब :मिलेगा ज़नाब ?
इस लिंक को क्लिक कीजिये और गौर से देखिये फ़िर बताइये एक गलती हुई थी हमारे प्रिय एग्रीगेटर ”ब्लाग वाणी” से हमने एक सवाल किया था जो समीर जी ओर वकील साब भी हल न कर सके इस प्रतियोगिता में तीन विजेता होने थे किंतु दो प्रतिभागी ने अपनी कोशिश की अब हम तमाम प्रतियोगिता के विजेताओं को खुला आमंत्रण देते शायद कोई इस सवाल को हल करे

29 मार्च 2010

कविता: कवि-मनीषी -आचार्य श्यामलाल उपाध्याय

साधना संकल्प करने को उजागर
औ' प्रसारण मनुजता के भाव
विश्व-कायाकल्प का बन सजग प्रहरी
हरण को शिव से इतर संताप
मैं कवि-मनीषी.

अहं ईर्ष्या जल्पना के तीक्ष्ण खर-शर-विद्ध
लोक के श्रृंगार से अति दूर
बुद्धि के व्यभिचार से ले दंभ भर उर
रह गया संकुचित करतल मध्य
मैं कवि-मनीषी.


*

28 मार्च 2010

एक दर्द बयां करती टिप्पणी



सेG.N. J-puri
कोgirishbillore@gmail.com
दिनांक२८ मार्च २०१० ४:५० PM
विषय[भारत-ब्रिगेड] जबलपुर के बारे में पूछ कर बहुत हत प्रभ किया पाबला ... पर नई टिप्पणी.
इसके द्वारा मेल किया गयाblogger.bounces.google.com
के द्वारा हस्ताक्षरितblogger.com
विवरण छिपाएं ४:५० PM (19 घंटों पहले)

G.N. J-puri ने आपकी पोस्ट " जबलपुर के बारे में पूछ कर बहुत हत प्रभ किया पाबला ... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

यह नाम बदलने का झंझट छोडो, और नेतागिरी से असली मुद्दों पर आओ.

जबलपुर में चौबीसों घंटे लगभग हर एक मंदिर पर लाउडस्पीकर पर बेसुरी रामचरितमानस चलती रहती है, मंदिर ख़रीदे बेचे जाते हैं. हिन्दू धर्म के नाम पर चल रही इस गुंडागर्दी और धंधे को बंद कराओ.

गर्मी में ही नालियाँ चोक हो रही हों बदबू मार रही हों. तालाब और झील मिटाकर बिल्डर माफिया बिल्डिंगें तान रहा हो.

नगर निगम का कचरा सुबह सुबह सारे शहर में जलाया जाता है, (राईट टाउन और स्नेह नगर में भी). पोलीथिन जलने से ज़हरीला धुँआ सुबह से लोगों की सांस में जाता है. नगरनिगम के लोगों ने खुद कचरे का कोन्त्रक्ट ले रखा है, खुद ही चोर खुद ही दरोगा. इसके खिलाफ आवाज़ उठाओ.

कलेक्टोरेट में दलालों, कमीशनखोरों और घूसखोरीका किस कदर शिकंजा है, कभी जाकर देखो. कलेक्टर भी इनसे डरता है. यह समाप्त करवाओ.

जबलपुर के बिल्डर माफिया, डेरी माफिया के खिलाफ आवाज़ बुलंद करो.

भारत का सबसे प्रदूषित शहर है जबलपुर. दमा और ब्रोंकाइटिस महामारी की तरह फ़ैल रहा है, इसे कम कराओ. कम से कम शहर और उसके आसपास सघन वृक्षारोपण अभियान छेड़ दो. हरित जबलपुर २०२०.

और भी हजारों मुद्दे हैं.

पर नहीं हमें फ़ालतू के मुद्दों पर नेतागिरी करना है. क्योंकी इन सबके खिलाफ अगर आवाज़ उठाई तो क्या होगा यह "जबालीपुरम" वाले अच्छे से जानते हैं. इसीलिए शिगूफे छोड़ते रहो. लगे रहो!



G.N. J-puri द्वारा भारत-ब्रिगेड के लिए २७ मार्च २०१० ११:५० PM को पोस्ट किया गया

बावरे-फकीरा रिलीज़ 14 मार्च को एक बरस पूरा हुआ सव्यसाची कला ग्रुप द्वारा नए अगले एलबम हेतु सुरों की तलाश जारी

सव्यसाची  कला  ग्रुप  को उत्साहित  और प्रेरित कर रही है पिछले बरस की यादें जो  बावरे फकीरा की लांचिंग 14 मार्च 2009 से बाबस्ता हैं हम कर रहें हैं नए एलबम की तैयारी आप भी कीजिये  तैयारी  के लिए  यदि प्रतिभा वान और मेहनती गायक हैं है, तो भेजिए एम पी थ्री  फ़ाइल  में 3 मिनिट अधिकतम कोई गीत मेल के ज़रिये और पाइए एक मौका छा जाने का

आभास जोशी के स्वरों में साईं भाव गीत बावरे-फकीरा एलबम के बाद अब शीघ्र ही सव्यसाची कलाग्रुप अपने एलबम की तैयारी में है. हमें अपने स्वरों में किसी गैर फ़िल्मी गीत की ३ मिनिट की एम् पी ३ फ़ाइल मेल कीजिये चुने हुए प्रतिभागी को गाने का अवसर ज़रूर दिया जावेगा




27 मार्च 2010

जबलपुर के बारे में पूछ कर बहुत हत प्रभ किया पाबला जी ने

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 ज्ञानरंजन 
भिलाई से ब्लॉग-जगत में  मशहूर ब्लॉगर मित्र श्री बी एस  पाबला जी ने आज मुझे तब हतप्रभ कर दिया जब उन्हौने जबलपुर शहर के बारे में चर्चा की. सामान्य रूप से जबलपुर यानी jabalpur या पुराने लोग jabblpore के नाम से जानते. हैं   साहित्यकार मोहन शशि आमादा हैं इस  संस्कारधानी-जबलपुर  को जाबाली-ऋषि की तपोभूमि होने की वज़ह से जिद पर अड़े हैं कि इस शहर का नाम जाबालिपुरम हो. ये अलग बात है कि बम्बई मुंबई ज़ल्द हो गया किन्तु जबलपुर के 'जाबालिपुरम' होने के कोई आसार दूर तक नहीं दिखाई देते.  हालाकि विकीपीडिया हिन्दी ने जबलपुर से   परिचित कराया है किन्तु हिन्दी की मुझ जैसे लोगों ने जो नेट पर हिन्दी के कंटेंट को बढावा देना चाहते हैं ने अभी तक गंभीरता से इस दिशा में काम नहीं किया. इंग्लिश वाले भी कोई कमाल नहीं कर रहे हैं देखिये विकीपीडिया [अँग्रेजी] में भी सूचनाएं कम ही हैं  jabalpur या  jabbalpore.के बारे में फिर भी हिन्दी संस्करण के सापेक्ष विक्की के अँग्रेजी संस्करण में अधिक सूचनाएं हैं. 

जबलपुर के बारे में विकी  हिन्दी में उपलब्ध जानकारी का उदाहरण देखिये नर्मदा के तट के घाटों का विवरण विहीन उल्लेख देखिये घाट के रूप में  :भेड़ाघाट,तिलवारा घाट,जिलहरी घाट,ग्वारी घाट का बिना किसी बाहरी लिंक के केवल नाम उल्लेखित किये गए हैं जबकि अँग्रेजी में एक सिलसिलेवार जानकारी अंकित है. और इसी नेट-खंगाली की वज़ह से मैं ये जान पाया कि अर्जुन-रामपाल 
 भी जबलपुर में Date of Birth (Birthday):  26 November, 1972 - जन्मे हैं पाबला जी का कहना है कि:'अपने शहर के बारे में अधिकाधिक सूचना हिन्दी भाषा में डाली जा सकें तो बेहतर होगा, हिन्दी का प्रयोग कर अधिकाँश विद्द्यार्थी / पर्यटक/विशेषज्ञ आदि क्यों करना चाहेंगे जब कि उनको अपेक्षित सामग्री उपलब्ध न हो. जैसे जबलपुर  के प्रसिद्द व्यक्तियों की सूची हिन्दी विकी पर देखिये

प्रसिद्ध व्यक्ति

देखिये यह अंग्रेज़ी विकी परFamous Personalities
  • Rani Durgavati Queen Of Gondvana, at mandala ,Fought with Muslim invader of Mugal Dynasty
  • Sharon Lazarus—CEA, EXL Services.
  • K.S.Sudarshan former RSS Sarsangh Chalak First batch Graduate of Electronics And Telecommunication Govt.Engg.College Jabalpur www.thehindu.com/fline/fl1706/17060330.htm
  • Pt Bhawani Prasad Tiwari (Padmashree (1972 Art & Literature)), Ex Mayor & Rajya Sabha Member), Famous Writer,Poet & Social Reformer
  • Osho (Rajneesh Chandra Mohan), Philoshopher & Spiritual Leader
  • Prem Nath, Famous Bollywood Actor
  • Chandu Sarvate, Indian Test critcket player.
  • Baburao Paranjape Former Parliamentarian.
  • Harishankar Parsai (1924–1995), Hindi writer and satirist
  • Arjun Rampal, Famous Indian Model & Bollywood Actor[21]
  • Rajindernath, Famous Bollywood Actor
  • Raghuvir Yadav, Famous Indian Television Actor of Mungerilal Ke Haseen Sapne fame
  • Ashutosh Rana, Bollywood Actor, Studied in Jabalpur
  • Aadesh Shrivastava, Bollywood Music Director, Brought up in Jabalpur
  • Deepak Sareen, Bollywood director of Aaina and Jab Pyar Kisi Se Hota Hai fame
  • Ajai Chaudhary, Co-founder HCL Technology
  • Maharishi Mahesh Yogi, Founder of Transcendental Meditation[22]
  • Kailash Iyer, friend of Sayee ganesan spend his childhood in this historic town
  • Dr. Bhaskar Khandekar India's First Music Therapist, Classical violinist, www.indiasfirst.com *
  • Dr. Ghulam Mustafa Khan, Researcher, Author, Scholar of Urdu Literature & Linguistics, Educationists & Spiritual Leader of Pakistan [23]
  • Subhadra Kumari Chauhan, Famous Hindi poet settled in the city after her marriage [24]
  • Madhu Yadav, International women's Hokey Captain
  • Prof. H. P. Dixit, Former Vice Chancellor of IGNOU
  • Shaleen Bhanot, Famous Television Actor
  • Sharad Yadav, Famous politician, Studied in Jabalpur
  • Brajesh Mishra, Former National Security Advisor
  • Pt. Kunjilal Dubey, Padma Bhushan, Ex speaker of MP assembly
  • Jadugar Anand - President, All India Magic Federation, World Famous Magician
  • Neha Uppal - MTV Speed Diva
  • Kiron Kher - Famous Actress, Studied in Jabalpur, (St. Joseph's Convent)
  • Shourabh Modi- Famous Phillumenist,painter (Limca Book of Records Holder) 1 International, 1 national and 2 times state level gold medalist for his extremely beautiful penmanship.
  • Shiv Khare, Executive Director, Asian Forum of Parliamentarians on Population and Development (AFPPD), Bangkok, Thailand
  • Vivek Sharma Film Director of bollywood. (Bhootnath and Kal Kissne Dekha)[25]
  • Yunus Khan Announcer Radiojockey (vividh bharati)and Columnist (Dainik Bhaskar)[26]
  • Pt. Vishwa Nath Dubey - Ex mayor of Jabalpur. NECC Vice President and Owner of Phoenix Group of Industries.
  • M. Naseer Khan, Director, Elevate Institute, Famous motivational speaker
  • Gurmeet Choudhary, Famous Actor, as Lord Rama in Ramayan (2008 TV series)NDTV Imagine,partcipant of reality show "Pati,Patni Aur Woh" in NDTV Imagine, studied in Jabalpur
  • Aabhash joshi singer, voice of India,star plus
  • Dr. Prof. S.N Singh,Ex Dean of Faculty of Commerce RDVV,Ex principal G.S college,Ex Director DSPSR,DIMAT,Nominated for Rshatriya Gaurav Award for contribution in field of Education
     यदि आज पाबला जी ने जबलपुर की चर्चा न की होती तो शायद यह पोस्ट जो आत्मावलोकन है नहीं लिख पाता. अब वे पूछ रहे थे भाई वो मेडिकल-कॉलेज के पास जैन धर्मावलम्बियों का एक मंदिर है क्या कहते हैं उसे
'मैंने कहा :- पिसनहारी की मढ़िया  ' इस पर पाबला जी का प्रश्न  बोधक सुझाव था कि इसके पीछे जो कहाने है उसे आप पेश कर सकतें हैं सचित्र यही तो सार्थक ब्लागिंग है गुरु.....!
मित्रों सच एक ये काम भी है जो छोट रहा था मुझसे/हमसे अगली पोस्ट ज़रूर इसी पर आधारित होगी किन्तु कब ? सरकारी आदमीं हूँ इकतीस मार्च ख़त्म हो जाए तब . तब तक  स्वर साधिका तापसी नागराज की अपील  सुनिए

23 मार्च 2010

राम नवमी पर विशेष: श्री राम भजन:बाजे अवध बधैया --स्व. शांति देवी वर्मा

बाजे अवध बधैया

बाजे अवध बधैया, हाँ-हाँ बाजे अवध बधैया...

मोद मगन नर-नारी नाचें, नाचें तीनों मैया.
हाँ-हाँ नाचें तीनों मैया, बाजे अवध बधैया..

मातु कौशल्या जनें रामजी, दानव मार भगैया
हाँ-हाँ दानव मार भगैया, बाजे अवध बधैया...

मातु कैकेई जाए भरत जी, भारत भार हरैया
हाँ-हाँ भारत भार हरैया, बाजे अवध बधैया...

जाए सुमित्रा लखन-शत्रुघन, राम-भारत की छैयां
हाँ-हाँ राम-भारत की छैयां, बाजे अवध बधैया...

नृप दशरथ ने गाय दान दी, सोना सींग मढ़ईया
हाँ-हाँ सोना सींग मढ़ईया, बाजे अवध बधैया...

रानी कौशल्या मोहर लुटाती, कैकेई हार-मुंदरिया
हाँ-हाँ कैकेई हार-मुंदरिया, बाजे अवध बधैया...

रानी सुमित्रा वस्त्र लुटाएँ, साड़ी कोट रजैया
हाँ-हाँ साड़ी कोट रजैया, बाजे अवध बधैया...

विधि-हर-हरि दर्शन को आए, दान मिले कुछ मैया
हाँ-हाँ दान मिले कुछ मैया, बाजे अवध बधैया...

'शान्ति'-सखी मिल सोहर गावें, प्रभु की लेंय बलैंयाँ
हाँ-हाँ प्रभु की लेंय बलैंयाँ, बाजे अवध बधैया...


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अश्लीता को बढा रहा है इलैक्ट्रानिक मीडिया :लिमिटि खरे

''आभास जोशी से एक मुलाक़ात''  के बाद आज़ लिमिटी खरे  जी से खुल के बातचीत हुई.

19 मार्च 2010

अनिल पुसदकर जी के नाम पाती किन्तु इससे उनका कोई लेना देना नहीं जो........व्यक्तिगत विचारों को सर्वोपरि मानते हैं......?

अनिल  पुसदकरजी के ब्लॉग 'अमीर-धरती ........'  पर प्रकाशित आलेख 'लड़कियां मोबाईल का प्लान नही है टाटा सेठ जो चाहे रोज़ बदल लो! '  पर टिप्पणी कर मेरे अभिन्न मित्र राज़-भाटिया जी ने टिप्पणी कर के आफत मोल ले ली है आपके ब्लॉग पर. दर असल भाटिया जी क्या हर कोई तिलमिलाया है गलीच विज्ञापनों की बाढ से.मुझे 1992-93 का  पुराना वाकया याद आ रहा है.... किसी स्कूली बच्चे का ख़त मिला टूटी फूटी भाषा में जो कलेक्टर महोदय को संबोधित था उसमें उस बच्चे ने कहा था 'सर , अमुक स्थान के विज्ञापन फलक पर एविटा साबुन का गंदा विज्ञापन लगा है उसे हटवा दीजिये...'बच्चे की इस गुहार को अविभाजित मध्य-प्रदेश के समय जबलपुर कलेक्टर रहे श्री विवेक डांड जी जो अब आपके प्रदेश में सचिव हैं ने तुरंत उस एड को हटवाया.था . जब एक बच्चा तिलमिला सकता है तो हम क्यों खामोश होकर यह सब देख रहें हैं. तब इस तरह का कोहराम नहीं मचा न ही कोई वाक्विलास हुआ. आपका उददेश्य यही था न कि पुरजोर विरोध हो ऐसे विज्ञापनों का.......किन्तु यहाँ तो कुछ और हो गया जबकि होना यह था कि हम  सब ब्लॉगर मिल कर  भले ही प्रथक-प्रथक किन्तु सूचना-प्रसारण मंत्री  जी को लिखते.... ऐसा न करते हुए हम सिर्फ बयान बाज़ी और खम्बा-नौच-काम्पीटिशन में जुट गए.... ये क्या उचित है.....यदि यही हिंदी ब्लागिंग है तो फिर मुझे भी ओरों की तरह कहना होगा कि हिंदी ब्लागिंग अनुशासन हीन हो रही है. जो  गलत है. मुझे तो उन बहनों और बेटियों से भी शिकायत  है जो गंदे विज्ञापनों में काम करतीं हैं. क्या उनको इस बात का ध्यान नहीं कि इसके परिणाम क्या होंगे. अधिकाँश लोग विज्ञापन न देखे जाने की बात कह रहे हैं. खैर ये तो  क्या होगा. आपने सही कहा 

 
Anil Pusadkar रचना जी उस विज्ञापन को मैने समय निकाल कर नही देखा,वो इतनी बार दिखाया जा रहा है कि आप अगर समाचार देखें या आई पी एल के क्रिकेट मैच,वो विज्ञापन टीवी की स्क्रीन पर आ ही जाता है।आप कितनी बार रिमोट का इस्तेमाल करेंगे चैनल बदलने के लिये?मुझे खराब लगा इस्लिये मैने उसे लिख दिया।वह अकेला नही है और भी बहुत से विज्ञापन आपत्तिजनक है कुछ पर मैं लिख चुका हूं और बाकी पर भी लिखूंगा।
        जहां तक हमारे दायित्वों का सवाल है यदि राज़ जी ने [भले तल्ख़ अंदाज़ में ] याद दिलाये तो किसी का नाम लेकर तो कहा नहीं किसी को बुरा मानना भी नहीं चाहिए. हाँ सब मिल कर कोई पत्र आई टी मंत्रालय को / क़ानून मंत्रालय को लिखें  तो शायद ऐसे  विद्रूप विज्ञापन आने बंद हों. .... न भी हों तो भी एक सही आन्दोलन का शंख नाद तो होगा. आप सभी में से जो भी क़ानून के जानकार हैं वे जानते हैं कि भारत में नारी के अशिष्ट विरूपण के विरुद्ध क़ानून हैं सरकारों को इस और ध्यान देना ही होगा.
    मित्रों:-     अब आप उस विज्ञापन को याद कीजिये जो परफ्यूम का है एक मेहमान युवक मेजबान के घर में चल रहे उत्सव में भाग लेने निकलता है उस घर की एक स्त्री उसकी मदालस गंध से वशीभूत हो कर उसे देह अर्पित करती है. फिर एड में पता चलता है की वह उस स्त्री का स्वप्न था....! आप को यह  एड भी कभी नज़र न आया होगा....कदाचित............? यदि आया है तो फिर हम सब मौन क्यों. पुसदकर जी की तरह इन गलीच व्यापारिक सोच को कुचल क्यों नहीं देते......... क्या संकोच है... क्यों संकोची हैं हम सब .............

18 मार्च 2010

निमाड़ी दोहा: संजीव 'सलिल'

पाठक बंधुओं!

वन्दे मातरम.

मैं मूलतः खड़ी बोली हिन्दीभाषी हूँ. देश के विविध भागों में हिन्दी विविध रूपों में बोली जाती है. मेरा प्रयास उन रूपों को समझकर उनमें लिख, पढ़ कर बोलने योग्य होना है. आज मैं आपके साथ निमाड़ी के दोहे बाँटने आया हूँ. इन्हें पढ़ें और समझें. राष्ट्रीय भाषिक एकता के लिए आवश्यक है कि हम अपनी मूल भाषा के साथ अन्य भाषाओँ को जानें. आशा है आप मेरा साथ देंगे. आगे अन्य भाषाओँ-बोलियों की रचनाएँ लेकर आऊँगा.

निमाड़ी दोहा:
संजीव 'सलिल'
*
जिनी वाट मंs झाड नी, उनी वांट की छाँव.
नेह मोह ममता लगन, को नारी छे ठाँव..
*
घणा लीम को झाड़ छे, न्यारो देस निमाड़.
धुला रंग कपास को, जंगल नदी पहाड़..
*
लाल निमाड़ी मिर्च नंs, खूब गिराई गाजs.
पचरंग चूनर सलोणी, अजब अनोखी साजs.
*
पेला-काला रंग की, तोर उड़दया डाल.
हरी मूंग-मक्की मिली, गले- दे रही ताल..
*
ज्वारी-रोटो-अमाड़ी, भाजी ताकत लावs.
नेह नरमदा मंs नहा, खे चल जीवन-नावs..
*
आदमी छे पंण मनुस नी, धन नी पंण धनवान.
पाणी छे पंण मच्छ नी, गाँव छे णी हनमान..
**********************************

--- दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

17 मार्च 2010

15 मार्च 2010

कलयुगी श्रवण कुमार की कहानी : अशोक खत्री की जुबानी

जबलपुर में चिट्ठा चर्चा पर दोहे: ---'सलिल'

जबलपुर में चिट्ठा चर्चा पर दोहे:

चिट्ठाकारों को 'सलिल', दे दोहा उपहार.
मना रहा- बदलाव का, हो चिट्ठा औज़ार..

नेह नरमदा से मिली, विहँस गोमती आज.
संस्कारधानी अवध, आया- हो शुभ काज..

'डूबे जी' को निकाले, जो वह करे 'बवाल'.
किस लय में 'किसलय' रहे, पूछे कौन सवाल?.

चिट्ठाकारों के मिले, दिल के संग-संग हाथ.
अंतर में अंतर न हो, सदय रहें जगनाथ..

उड़ न तश्तरी से कहा, मैंने खाकर भंग.
'उड़नतश्तरी' उड़ रही', कह- वह करती जंग..

गिरि-गिरिजा दोनों नहीं, लेकिन सुलभ 'गिरीश'.
'सलिल' धन्य सत्संग पा, हैं कृपालु जगदीश..

अपनी इतनी ही अरज, रखे कुशल-'महफूज़'.
दोस्त छुरी के सामने, 'सलिल' न हो खरबूज..

बिना पंख बरसात बिन, करता मुग्ध 'मयूर'.
गप्प नहीं यह सच्च है, चिटठाकार हुज़ूर!..

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13 मार्च 2010

वरिष्ठ कवि प्रो. श्यामलाल उपाध्याय, मंत्री हिंदी वांग्मय पीठ कोलकाता की कवितायेँ--

वरिष्ठ कवि प्रो. श्यामलाल उपाध्याय, मंत्री हिंदी वांग्मय पीठ कोलकाता की कवितायेँ--

१. तितीर्षा

भाव की प्रत्यंच धर
कार्मुक सजीला कर्म का
ज्ञान का शर सिद्ध हो
अनिरुद्ध हो पथ व्यक्ति का.

डूब जाएँ सिन्धु में
सागर-महासागर सभी
पर तितीर्षा लोक जीवन की
शमित होगी नहीं.

डांड छूटे, नाव डूबे
पर कभी डूबा न दुर्बल
बाहु का पतवार हो
पतवार का हो बाहु संबल..


****************************
२. उपेक्षित


मैं नागरिक भारत का
धन-सम्पदा-परित्यक्त
भू-संपत्ति अपहृत
अधिकार प्रवंचित
चिर प्रवासी
किसान से मजदूर
विधुर विपन्न.

जगन्नियंता नारायण!
कितने करुण,
कैसे बने थे दीनानाथ
अवढरदानी!
पर भूमिगत लक्ष्मी के
प्रयाण ने
तुम्हें भी अधिकार विहीन
कर दिया., वरन कृपानाथ के रहते
मेरी दुर्गत न होती..


********************

12 मार्च 2010

गीत: ओ! मेरे प्यारे अरमानों --संजीव 'सलिल'

गीत:

ओ! मेरे प्यारे अरमानों

संजीव 'सलिल'
*
ओ! मेरे प्यारे अरमानों,
आओ, तुम पर जान लुटाऊँ.
ओ! मेरे सपनों अनजानों-
तुमको मैं साकार बनाऊँ...
*
मैं हूँ पंख उड़ान तुम्हीं हो,
मैं हूँ खेत, मचान तुम्हीं हो.
मैं हूँ स्वर, सरगम हो तुम ही-
मैं अक्षर हूँ गान तुम्हीं हो.

ओ! मेरी निश्छल मुस्कानों
आओ, लब पर तुम्हें सजाऊँ...
*
मैं हूँ मधु, मधु गान तुम्हीं हो.
मैं हूँ शर संधान तुम्हीं हो.
जनम-जनम का अपना नाता-
मैं हूँ रस रसखान तुम्हीं हो.

ओ! मेरे निर्धन धनवानों
आओ! श्रम का पाठ पढाऊँ...
*
मैं हूँ तुच्छ, महान तुम्हीं हो.
मैं हूँ धरा, वितान तुम्हीं हो.
मैं हूँ षडरसमधुमय व्यंजन.
'सलिल' मान का पान तुम्हीं हो.
ओ! मेरी रचना संतानों
आओ, दस दिश तुम्हें गुंजाऊँ...
***********************

7 मार्च 2010

नवगीत : चूहा झाँक रहा हंडी में... --संजीव 'सलिल'

नवगीत :

चूहा झाँक रहा हंडी में...

संजीव 'सलिल'
*
चूहा झाँक रहा हंडी में,
लेकिन पाई सिर्फ हताशा...
*
मेहनतकश के हाथ हमेशा
रहते हैं क्यों खाली-खाली?
मोती तोंदों के महलों में-
क्यों बसंत लाता खुशहाली?
ऊँची कुर्सीवाले पाते
अपने मुँह में सदा बताशा.
चूहा झाँक रहा हंडी में,
लेकिन पाई सिर्फ हताशा...
*
भरी तिजोरी फिर भी भूखे
वैभवशाली आश्रमवाल.
मुँह में राम बगल में छूरी
धवल वसन, अंतर्मन काले.
करा रहा या 'सलिल' कर रहा
ऊपरवाला मुफ्त तमाशा?
चूहा झाँक रहा हंडी में,
लेकिन पाई सिर्फ हताशा...
*
अँधियारे से सूरज उगता,
सूरज दे जाता अँधियारा.
गीत बुन रहे हैं सन्नाटा,
सन्नाटा निज स्वर में गाता.
ऊँच-नीच में पलता नाता
तोल तराजू तोला-माशा.
चूहा झाँक रहा हंडी में,
लेकिन पाई सिर्फ हताशा...
*************************
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

4 मार्च 2010

सामयिक दोहे : संजीव 'सलिल'

बजट गिरा बिजली रहा, आम आदमी तंग.
राज्य-केंद्र दोनों हुए, हैं सेठों के संग.

इश्क-मुश्क छिपते नहीं, पूजा जैसे पाक.
करो ढिंढोरा पीटकर, हुए विरोधी खाक..

जागे जिसकी चेतना, रहिये उसके संग.
रंग दें या रंग जाइए, दोनों एक ही रंग..

सत्य-साधना कीजिये, संयम तजें न आप.
पत्रकारिता लोभ से, बन जाती है पाप..

तथ्यों से मत खेलिये, करें आंच को शांत.
व्यर्थ सनसनी से करें, मत पाठक को भ्रांत..

जन-गण हुआ अशांत तो, पत्रकार हो लक्ष्य.
जैसे तिनके हों 'सलिल', सदा अग्नि के भक्ष्य..

खल के साथ उदारता, सिर्फ भयानक भूल.
गोरी-पृथ्वीराज का, अब तक चुभता शूल..

होली हो ली, हो रही, होगी 'सलिल' हमेश.
क्यों पूजें हम? किस तरह?, यह समझें कमलेश..

लोक पर्व यह सनातन, इसमें जीवन-सत्य.
क्षण भंगुर जड़ जगत है, यहाँ न कुछ भी नित्य..

उसे जला दें- है नहीं, जिसका कुछ उपयोग.
सुख भोगें मिल-बाँटकर, 'सलिल' सुखद संयोग..

हर चेहरे पर हो सजा, नव जीवन का रंग.
कहीं न कुछ बदरंग हो, सबमें रहे उमंग..

नानाजी की देह का, 'सलिल' हो गया अंत.
वे हो गए विदेह थे, कर्मठ सच्चे संत..

जो सत्य लिखा होता, हाथों की लकीरों में.
तो आपको गिन लेता, यह वक़्त फकीरों में..

नानाजी ने जब दिया, निज शरीर का दान.
यही कहा तेरा नहीं कुछ, मत कर अभिमान..

नानाजी युग पुरुष थे, भारत मा के पूत.
आम आदमी हित जिए, कर्म देव के दूत..

राजनीति के तिमिर में, नानाजी थे दीप.
अनगिन मुक्ता-मणि लिए, वे थे मानव-सीप..

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इसे  यहाँ  भी  देखिये  जी