25 मार्च 2011

समीर लाल की बज़ पर बाज़ीगरी


पता नही किस चक्की का आटा खा रहे हैं है समीर  लाल जी  बज़ पर ऐसी बज़री बिछा देते हैं कि सभी जुट जाते हैं 
एक नमूना देखिये
भारत आस्ट्रेलिया के  दौरान बज़ जारी हुई
कंगारू Vs भंगारू 

उससे पहले ये चली थी :- 
Sameer Lal - Buzz - Public
चलो, चलें........बस तुम और मैं...
Vivek Rastogi - कहाँ अहमदाबाद क्रिकेट मैच देखने08:40
Sameer Lal - अरे नहीं, वो तो टी वी पर देख लेंगे. ये तो उससे पूछ रहा था घूमने चलने के लिए, बस..मौसम अच्छा हुआ है न!!08:41
Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा - अच्छा तो मेरी इको फ्रेंडली वोल्वो के ग्राहक खींचने के लिए इको फ्रेंडली साईकिल रिक्शा ले आये हैं ?
बहुत ना इंसाफी है |
मेरी वोल्वो में तो एक होर्स पॉवर सामने जुता हुआ दिखता है |
इस साईकिल रिक्शा में होर्स पॉवर कहाँ है ?
डंकी पॉवर से चलती है क्या ?
08:42
Sameer Lal - अब क्लियर लिख दिया...ताकि कन्फ्यूजन न हो. :)08:43
Sameer Lal - मैन पॉवर से चलता है...08:43
Vivek Rastogi - होर्स पॉवर से नहीं, लेग पॉवर से चलेगी ये तो08:43
Sameer Lal - मैन पॉवर08:44
Vivek Rastogi - चन्दौसी की याद आ गई, ये रिक्शा देखकर, सबसे ज्यादा रिक्शे में मैं वहीं बैठा हूँ..08:44
Vivek Rastogi - हाँ मैन की लैग पॉवर08:44
Sameer Lal - 1MP=2LP08:45
Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा - मैन तो दिखाई नहीं दे रहा है !!! पॉवर लेने गया है क्या ?08:45
Sameer Lal - झाड़ी के पीछे छिप कर इन्तजार कर रहा है. :)08:46
Vivek Rastogi - मैन ही तो कह रहा है, जब कोई जाने को तैयार हो तभी तो..08:46
Sameer Lal - अभी तो इन्तजार है..पूछा है..देखो, क्या जबाब आता है.08:47
Vivek Rastogi - "कोई" नहीं "वो"08:47
Vivek Rastogi - "कोई" नहीं "वो"08:48
Sameer Lal - :) समझ जायेंगे...अपने आप से08:48
Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा - झाड़ी के पीछे छिप कर तो इंतजार नहीं - और ही कुछ किया जाता है | फारिग हो जाये तो बताइयेगा |08:48
Sameer Lal - लगता है कभी छिप कर इन्तजार नहीं किये...08:49
Sameer Lal - रिक्शा में घंटी भी लगवा लिये हैं...08:51
Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा - 1MP = 2LP अर्थात एक एम्पी बराबर दो लातें ?
तो पार्लियामेंट में कितनी लातें हैं ?
उस हिसाब से देश को कितने नए रिक्शा चालक मिल सकते हैं ?
08:52
Sameer Lal - वो चौपाये हैं..रिक्शा चलाना उनके बस का नहीं...रिक्शा और सरकार में यहीं तो अंतर है....08:54
Vivek Rastogi - चलिये शुभरात्रि हमें आप सबको शुभदिन, देखते हैं कि रिक्शा गाथा कहाँ तक जाती है, जब आज क्रिकेट मैच का टॉस हो रहा होगा।08:54
Sameer Lal - आपका दिन शुभ हो....भारत टीम आपकी झोली खुशियों से भर दे.08:55
indu puri goswami - हमारे यहाँ तो रिक्शा मे छह को बैठा लेते हैं इसलिए अपन तो कहीं भी फिट हो जायेगे फिर कहियेगा
चलो, चलें........बस तुम और मैं...और..................'ये'
रिक्शा वाले ! जल्दी भगा रिक्शा अभि डॉ महेश,पीडी,ललितजी,पाबलाजी,शिखा,लोरी,मुक्ति,पद्म,राजीव .....आते ही होंगे ....चल भाग ..भाग दौड़ा रिक्शा..............हा हा
11:50 (edited 11:50)
meenakshi dhanwantri - पिछले पहिए में हवा कम है :)18:04
archana chaoji - 11:50 am से दौड़ा रही है इन्दू जी रिक्शेवाले को और उनकी लिस्ट से अब तक कोई पकड़ नही पाया है उन्हें....18:14 (edited 18:15)
Sameer Lal - फोटू में हवा कम दिख रही है, वैसे चैक कर लिया..बढ़िया है.18:42
Girish Billore - आज़ समाली रिक्शे वाला खूब याद आ रहा है. वो अब दुनियां मे नही है
उसका ये रिक्शा है बस.
Edit18:48
Sameer Lal - अरे ये तो मेरा रिक्शा है. गुरन्दी में कबाड़ी के यहाँ से खरीदा है.18:51
Girish Billore - समाली का है मुझे मालूम है
डिलाइट से चोरी गया था. गुरन्दी में बिका फ़िर
आपने खरीदा होगा वहीं से, मै इस रिक्शे में खूब घूमा हूं जब आप लम्ब्रैटा रैंपते थे याद है.
Edit18:57 (edited 18:58)
Girish Billore - देखिये इस रिक्शे का एक सीक्रेट मुझे मालूम हैEdit18:59 (edited 19:03)
Girish Billore - जल्दी बताइयेEdit19:10
Girish Billore - मैच देखना हैEdit19:11
Sameer Lal - मैच देख रहा हूँ19:16
Girish Billore - मुझे रिक्शे मे उलझा के मै चला लीजिये ये ये ये च्च्च्चलाआआआआआआआआआआआEdit19:20
indu puri goswami - सब मेच देखिये गोस्वामीजी भी देख रहे हैं.तब तक मैं और डोली फोर्ट पर घूम आते हैं.ठीक?
रिक्शा वापस ले आऊँ तो आपकी किस्मत ...अन्यथा चित्तोड के कबाड मार्केट से वापस खरीद लीजियेगा.......... ओके ??? दादा!
अब ऐसीच हूँ मैं तो -चोर भी हूँ
19:23 (edited 19:24)
Girish Billore - कौन चलायेगा फ़ूफ़ा
वो ही तो घसीट रए है गाड़ी
Edit19:25
Girish Billore - जा ले जाओ जल्दी फ़टाफ़ट अभीEdit19:25
Sameer Lal - सीट के नीचे डिब्बा में ५ रुपये हैं..चाय पी लेना.19:39
indu puri goswami - नाश्ता के रूपये कौन देगा? कंजूस.
बोला ना फूफा जी मेच देख रहे हैं.रिक्शा तो डोली चलाएगी.जबलपुर वाले बड़े बहादुर और मेहनती होते है.
ही हा
19:42 (edited 19:42)
Sameer Lal - नाश्ता घर से बांध कर ले जाओ...19:49
indu puri goswami - घर से??? तो जल्दी भेजिए ना बाँध कर.19:52
Sameer Lal - गिरीश का घर रास्ते में पड़ेगा...वहीं से ले लेना.19:54
Vivek Rastogi - नाश्ता !! हम भी कर लेंगे हमारे लिये भी भेजना19:56
Sameer Lal - गुलाबजामुन तो अकेले डकार गये थे..19:57
archana chaoji - हा हा हा....अब फ़िर से जबाब नही देंगे .......गुलाबजामुन अकेले डकार जाने वाले...वो भी २५-२५ ग्राम वाले हा हा20:01
Vivek Rastogi - अरे तो क्या हुआ हम तो सबकी सेहत का ध्यान रखना चाहते थे, इसीलिये अकेले खा लिये.. :(21:16
Sameer Lal - सेहत का ख्याल रखने का आभार..ऐसे ही मेन्टेन हो पाऊंगा .आपसे मित्रों की सख्त जरुरत है.23:22
Raj Bhatia - अजी ध्यान से देखे आप के रिकक्षे का पिछला टायर पंचर हे, पहले उसे लगाये23:22
Girish Billore - लो जी हम आ गये. रक्सा ले गए रए कमानिया तकन, मछरहाई में हिलडुल-पान भंडार में पान-रत्ना३०० +बाबा १२० +किमाम+चटनी+भूंजी सुपारी+कतरी, वाला मीठा पत्ता और बेगम साहिबा के लिये मीठाEdit00:39

24 मार्च 2011

घोटालों के भीड़ तंत्र को - त्याग सिखाने आ जाओ !!


आज़ादी का मतलब मक़सद, तुम समझाने आ जाओ
घोटालों के भीड़ तंत्र को - त्याग सिखाने आ जाओ !!
****************
किसने किसको कैसे लूटा, किसने किसकी गरदन नापी
कुर्सी की लपटा-झपटी नित,सुबक रही है  जनता प्यासी  
क्योंकर तुम झूले फ़ंदे पे, ये बात  बताने आ जाओ !!
****************
भूल गये हम त्याग तुम्हारा, ये आज़ादी कैसी है..?
लाज लुटाने पे आमादा, ये आबादी कैसी है..?
क्यों कर दी तुमने आज़ादी, इन्हैं बताने आ जाओ
****************
 अपनी अपनी सबकी ढफ़ली,अपना अपना सबका राग
 एक  ओर  बुझ  ही पाती, दूजी  ओर  सुलगती  आग !
 बिखरे बिखरे इस भारत को- एक बनाने आ जाओ 
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20 मार्च 2011

नवगीत: तुमने खेली हमसे होली -------संजीव 'सलिल'

नवगीत:                                                                    

तुमने खेली हमसे होली

संजीव 'सलिल'
*
तुमने खेली हमसे होली
अब हम खेलें.
अब तक झेला बहुत
न अब आगे हम झेलें...
*
सौ सुनार की होती रही सुनें सच नेता.
अब बारी जनता की जो दण्डित कर देता..
पकड़ा गया कलेक्टर तो क्यों उसे छुडाया-
आम आदमी का संकट क्यों नजर न आया?
सत्ता जिसकी संकट में
हम उसे ढकेलें...
*
हिरनकशिपु तुम, जन प्रहलाद, होलिका अफसर.
मिले शहादत तुमको अब आया है अवसर.
जनमत का हरि क्यों न मार ही डाले तुमको?
जनगण को ही रहे मराते हो तुम अक्सर.
जो रिश्वत ले,
शीश कटाये वही अकेले...
*
रंग-अबीर न आज चाहिए, रक्त-धार हो.
सीमा पर मरने अफसर-नेता तयार हो.
सुख-सुविधा जो भोग रहे उसकी कीमत दो-
नगद रहे हर सौदा ना कुछ भी उधार हो.
वीर शहीदों की समाधि पर
हों अब मेले...
*********

6 मार्च 2011

होली गीत: स्व. शांति देवी वर्मा

होली गीत: 

स्व. शांति देवी वर्मा 

होली खेलें सिया की सखियाँ                                                                                                     


होली खेलें सिया की सखियाँ,
                       जनकपुर में छायो उल्लास....
रजत कलश में रंग घुले हैं, मलें अबीर सहास.
           होली खेलें सिया की सखियाँ...
रंगें चीर रघुनाथ लला का, करें हास-परिहास.
            होली खेलें सिया की सखियाँ...
एक कहे: 'पकडो, मुंह रंग दो, निकरे जी की हुलास.'
           होली खेलें सिया की सखियाँ...
दूजी कहे: 'कोऊ रंग चढ़े ना, श्याम रंग है खास.'
          होली खेलें सिया की सखियाँ...
सिया कहें: ' रंग अटल प्रीत का, कोऊ न अइयो पास.'
                  होली खेलें सिया की सखियाँ...
 गौर सियाजी, श्यामल हैं प्रभु, कमल-भ्रमर आभास.
                   होली खेलें सिया की सखियाँ...
'शान्ति' निरख छवि, बलि-बलि जाए, अमिट दरस की प्यास.
                      होली खेलें सिया की सखियाँ...
***********




               होली खेलें चारों भाई                                                                                  
होली खेलें चारों भाई, अवधपुरी के महलों में...
अंगना में कई हौज बनवाये, भांति-भांति के रंग घुलाये.                                                
पिचकारी भर धूम मचाएं, अवधपुरी के महलों में...
राम-लखन पिचकारी चलायें, भरत-शत्रुघ्न अबीर लगायें.
लख दशरथ होएं निहाल, अवधपुरी के महलों में...
सिया-श्रुतकीर्ति रंग में नहाई, उर्मिला-मांडवी चीन्ही न जाई.
हुए लाल-गुलाबी बाल, अवधपुरी के महलों में...
कौशल्या कैकेई सुमित्रा, तीनों माता लेंय बलेंयाँ.
पुरजन गायें मंगल फाग, अवधपुरी के महलों में...
मंत्री सुमंत्र भेंटते होली, नृप दशरथ से करें ठिठोली.
बूढे भी लगते जवान, अवधपुरी के महलों में...
दास लाये गुझिया-ठंडाई, हिल-मिल सबने मौज मनाई.
ढोल बजे फागें भी गाईं,अवधपुरी के महलों में...
दस दिश में सुख-आनंद छाया, हर मन फागुन में बौराया.
'शान्ति' संग त्यौहार मनाया, अवधपुरी के महलों में...
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2 मार्च 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक जुटता के लिये


मित्रो
वन्दे-मातरम
इस देश में जहां
तिरंगा सर्वोपरि होना चाहिये वहां सर्वोपरि नज़र आ रही लिप्सा, स्वार्थ,आत्म-सुख,के रंगों में रंगी निष्ठाएं... मुझे कुछ कहा नहीं जाएगा ये तस्वीर देखिये जो क्षुदा को शांत करने के गुंताड़े में लगे बच्ची की है देखिये न
ज़रा गौर से








और देखिये अब ये आलीशान बंगले

तक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।

पत्थरो को सुनाया होगा ये ग़मगीन सा नगमा
महफ़िल को सुनाते तो महफिल को रुला देते।।
भूक से लड़ता रहा वो रात भर सोया नहीं तक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।
हर पाँच बरस में दिखाते हो तमाशा
हम नंगे हैं हैं ये बात पहले ही बता देते ॥











और ये बेबसी 
तो क्या हम एक जुट न हों