17 सित॰ 2015

सुश्री दक्षिणा वैद्यनाथन बालभवन जबलपुर में आज

सुश्री दक्षिणा  वैद्यनाथन  17 सितम्बर2015 को अपरान्ह 3 बजे से  Bal Bhavan Jabalpur में अपनी प्रस्तुति देंगी...... Balbhavan Jabalpur में आपका स्वागत है #dakshina_vaidyanathan  https://www.facebook.com/dakshina.vaidyanathan

                Dakshina Vaidyanathan is passion for dance personfied, She is a young and talented dancer who comes from a family of eminent Bharatanatyam dancers. She has undergone rigorous training at Ganesa Natyalaya under the able tutelage of her Grand Mother  Guru Saroja Vaidyanathan and her mother Rama Vaidyanathan. From the tender age of 10 Dakshina has been accompanying her Grand Mother and her Mother for various performance tours in India and abroad.
Dakshina teaches Bharatanatyam and has choreograped several Dance productions at Ganesa Natyalaya. She has conceived and directed numerous group as well as solo productions.Dakshina has a style that amalgamates the delicacies of Bharatnatyam with the Intricacies of modern day issues.She belives in the power of dance for spreading awareness towards social issues.
Dakshina conducts workshops and demonstrations,travels widely within the country through Spicmacay and is an active performer with Soorya.
Dakshina has travelled to UAE, Oman, Qatar, Bahrain, Kuwait, Malaysia, Singapore, Australia, USA and all over India with Soorya for various performance tours. She is also an empanelled artist with the ICCR.
Dakshina is the Honorary President of SARVAM- an NGO started under her Guru for teaching dance to the socially and economically backward, and the mentally and physically challenged.
Dakshina is considered as one of the brightest star in the younger generation of Bharatanatyam dancers.

15 सित॰ 2015

Icon for Jabalpur Milind Sheorey


Milind Sheorey is a name to reckon with when it comes to the Bansuri in today’s world of Indian Classical Music.

Milind was born in Jabalpur in a family of music lovers. His grandfather and his father loved music, and his mother was a poet and dedicated singer.  Having lived in various small villages as his father was in government service he started playing bansuri with folk tunes and film songs with his friends without any formal training.
 
When he moved to Jabalpur for his College studies, itwas a turning point in his life. He  heard Pt. Pannalal Ghosh and PtHari Prasad Chaurasia on the radio for the first time and fell in love with the Hindusthani Classical Bansuri. He learnt from his first guru P.J. BagadadevJi who was an artist at the Jabalpur Radio Station and  a disciple of  Pt. Vijay Raghav Rao.

From there began a long journey of learning the basics of the discipline and techniques which later would forge ahead his talents.

Came the year 1987 when Milind was approved  by All India Radio. as classical performer of Bansuri.Milindji moved to Mumbai in search of advanced training and finally found GurumaAnnapoornadeviji. In her reclusive style and after many manyrequests at her feet the day finally dawned when she took Milind as her disciple .  Exposure to the learned  various styles of Hindustani Classical as Dhrupad, Khayal,Tantrakari and Thumari in pure and detailed form.was an eye opener for Milind and it lifted his renderings with a clear pure passion which till date is a wonderful trait to be found when his lips touch the Bansuri. It was only under her guidance that Milind owes his development of  techniques to enrich Bansuri .

Today Milind Sheorey is a name associated with sweetness, deep emotion, passion, an inner connection to the innate senses and above all a pleasantness in his music which is rare and wonderful to listen.
His ease with which he handles ragas deemed difficult for the Bansuri has earnt him a special place in the hearts of his listeners.

Milind has played in India and abroad in a number of prestigious concerts and today is a highly enamoured Bansuri player.

He has played in respectable circuits like ‘Aarambh’ Bhopal, ‘Acharya  Allauddin Khan Music Circle’ Mumbai , ‘Sur Sagar’ Bangalore , ‘Udayan’ , ‘Chakradhar Sangeet Samaroh’ Raigarh (Chhattisgarh).  and continues to play in concerts all over India.


His performances on recently launched the only classical music T.V.Channel ‘Insync’ are being broadcasted regularly and highly appreciated by music lovers

13 सित॰ 2015

रचनात्मक लेखन की प्रोफ़ेसर नीलांजना सुदेशना को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया सम्मानित


वॉशिंगटन में  10 सितम्बर 2015 को  भारतीय मूल की अमेरिकी रचनाकार नीलांजना सुदेशना लाहिड़ी को  प्रेस्टीजियस नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडल से गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सम्मानित किया . नीलांजना जिन्हें  झुंपा के नाम से जाना जाता है  को यह सम्मान भारतीय अमेरिकियों के अनुभव की  सर्वोत्तम  प्रस्तुति के  के लिए प्रदत्त  गया है । 48 वर्षीय झुंपा पुलित्जर अवॉर्ड से भी नवाजी जा चुकी हैं। ओबामा ने कहा उनको सम्मानित करते हुए कहा कि-इन्हें यह अवॉर्ड इसलिए नहीं दिया गया है कि झुम्पा ने अपने अनुभव से जुड़े सच को उजागर किया है वरन उनको सम्मान  इसलिए दिया गया है, क्योंकि उन्होंने आम लोगों के अनुभवों  का सच्चाई के साथ बयान किया है। एकदम वैसा जैसा कि एक अमेरिकी और इंसान होने पर हम महसूस करते हैं...।
व्हाइट हाउस की ओर से झुंपा की तारीफ में कहा गया, “झुंपा ने लेखन के जरिए भारतीय-अमेरिकियों के एक्सपीरियंसेज को खूबसूरती से बयान किया है ।
इस सम्मान समारोह में कला एवं संस्कृति से जुड़ी कई मशहूर हस्तियां मौजूद थीं । अमेरिका की प्रथम महिला श्रीमति मिशेल ओबामा भी इस अवसर पर उपस्थित थीं . 1996 से जारी ये सम्मान कला-संस्कृति-लेखन सहित अन्य कई  क्षेत्रों की प्रतिभाओं को प्रदान किये जाते हैं इस वर्ष   163 लोगों और 12 संगठनों  को सम्मान दिए गए । झुम्पा को उनके लघुकथा संग्रह इंटरप्रेटर ऑफ मालाडीज के लिए 2000 में पुलित्ज़र एवार्ड एवं  बुक द लोलैंडको मैन बुकर प्राइज के लिए प्रस्तावित  किया जा चुका है ।

12 सित॰ 2015

’’महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चौथे स्तम्भ ने अपनी भूमिका पहचानी’’



    संभागीय उपसंचालक महिला सशक्तिकरण,जबलपुर संभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में महिलाओं के अधिकारों ,उनके लिए बनाए गए मौजूदा कानूनों,शासकीय कार्यक्रमों एवं योजनाओ जैसे लाड़ली लक्ष्मी, स्वगतम लक्ष्मी,लाडो अभियान,बेटी बचाओ,-बेटी पढ़ाओ अभियान आदि पर विषय विशेषज्ञों एवं शासकीय अधिकारियों, इलेक्ट्रानिक मीडिया,प्रिन्ट मीडिया के बीच सार्थक संवाद संपन्न हुआ। उपरोक्त कार्यशाला आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव के निर्देश पर जबलपुर   संभागीय आयुक्त श्री दीपक खांडेकर  के मार्गदर्शन में श्रीमती मनीषा लुम्बा के संयोजकत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में इस विषय का प्रतिपादन करते हुए समस्त केंद्रीय एवं प्रांतीय कार्यक्रमों की जानकारी दी गई।

                                      कार्यक्रम में सर्वप्रथम सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री एस एस ठाकुर ने घरेलू हिंसा ,लैंगिक उत्पीड़न पर प्रकाश डाला। तदोपरान्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री हनुमन्त शर्मा ने मथुरा बाई, श्रीमती माया त्यागी, एवं श्रीमती भंवरी देवी, एवं निर्भया प्रकरणों के पर प्रकाश डालते हुए वैधानिक एवं विधि व्यवस्था में हुए परिवर्तनों एवं उसके असर पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनके प्रभावशली भाषण में समकालीन सामाजिक परिस्थितियों में मीडिया एवं अन्य समस्त स्तंभो की भूमिका विशेष रुप से उल्लेखित की गई।
                                      डा. मुरली अग्रवाल,चिकित्सक,विक्टोरिया चिकित्सालय  ने पीसी पीएनडीटी अधिनियम पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के शुभारंभ में वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार,पत्रकार  श्री मोहन शशी के काव्यपाठ से हुआ। कार्यक्रम का समन्वयन एवं संचालन श्री गिरीश बिल्लौरे ,सहायक संचालक बाल भवन  द्वारा किया गया । आभार प्रदर्शन श्रीमती अजय जैन ,सहायक संचालक ने किया । कार्यक्रम में विशेष सहयोग बाल विकास परियोजना अधिकारी श्री दीपेन्द्र बिसेन एवं श्री अखिलेश मिश्रा सहायक संचालक ।

                                      कार्यक्रम आयोजन की सफलता में श्री शरद बोरकर, श्री राकेश राव,श्री पियूष खरे,श्री इन्द्र पांडे, श्री देवेन्द्र यादव,श्री टेकराम डेहरिया, श्री रामाधार बरमैया,श्री मुकेश विश्वकर्मा एवं अमित का सहयोग उल्लेखनीय रहा ।


9 सित॰ 2015

विश्वहिन्दी सम्मलेन में आपका स्वागत है : श्री शिवराज सिंह चौहान

व्यवस्था में लगे  अधिकारी 
अदभुत समारोह स्थल एक पूर्वावलोकन  
   भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश की सुंदर राजधानी भोपाल में 10 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में देश-विदेश से पधारे सभी हिन्दी-प्रेमियों का साढ़े सात करोड़ मध्यप्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक स्वागत, वंदन, अभिनंदन।
सार्वजनिक जीवन में सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन करने और उनमें शामिल होने के अवसर आते ही रहते हैं। सभी आयोजनों का अपना-अपना विशिष्ट महत्व होता है, लेकिन कुछ अनुष्ठान ऐसे होते हैं, जिनमें थोड़ा-सा योगदान करके भी जीवन में सार्थकता का बोध बढ़ जाता है।
दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के आतिथ्य का अवसर मिलना मेरा परम सौभाग्य है। इस तीन दिन के हिन्दी महाकुंभ में करीब 39 देशों तथा भारत के कोने-कोने से करीब 2500 से अधिक हिन्दी-प्रेमी हिन्दी को और आगे बढ़ाने की दिशा में चिंतन, मंथन करेंगे। सम्मेलन की अवधि में सभी प्रतिभागियों तथा अतिथियों के सत्कार का विनम्र दायित्व निभाते हुए मुझे अत्याधिक आनंद और आह्लाद का अनुभव हो रहा है।
हमारा हर्ष इस एक बात से कई गुना बढ़ जाता है कि हिन्दी के अनन्य भक्त और देश के गौरव, प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदीजी सम्मेलन का शुभारंभ करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के रूप में मात्र 16 माह की अवधि में ही उन्होंने हिन्दी का गौरव बढ़ाने की दिशा में सार्थक प्रयास किये हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर हिन्दी का गौरव बढ़ाने का सबसे पहला प्रयास पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में 1977 में हिन्दी में भाषण देकर किया था। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में ओजपूर्ण भाषण देकर अटलजी के प्रयास को आगे बढ़ाया है। अपने इसी भाषण में मोदीजी ने विश्व योग दिवस मनाये जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे 177 देशों ने सहर्ष स्वीकार किया। फलस्वरूप 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की परम्परा शुरू हुई। मुझे पूरा विश्वास है कि माननीय मोदीजी के सशक्त नेतृत्व में ही हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिलेगी।
हिन्दी अपनी अंतर्निहित शक्ति से दुनिया भर में तेजी से प्रसारित और लोकप्रिय हो रही है। इसके सौन्दर्य और माधुर्य की एक बूँद चखने वाला भी सदा-सदा के लिए इसका अपना हो जाता है। यही कारण है कि दुनिया के 22 देशों में करोड़ों लोग हिन्दी का प्रयोग करते हैं। संसार के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी के पठन-पाठन की व्यवस्था है। वर्धा में अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित है। मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना हो चुकी है। हमारे देश में 70 प्रतिशत से अधिक लोग हिन्दी समझते हैं।
जिन राज्यों में गलत फहमी के कारण पहले हिन्दी का प्रबल विरोध होता था, वहाँ भी आज हिन्दी अपनी जगह बनाते हुए अधिकाधिक स्वीकार्य होती जा रही है। हिन्दी में विभिन्न भाषा-भाषी प्रांतों तथा समुदायों को एकता के सूत्र में पिरोने की अदभुत क्षमता है। नागपुर में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन की अध्यक्षता मराठी भाषी श्री अनंत गोपाल शेवड़े ने की। हिन्दी के सबसे प्रबल पक्षधर महात्मा गाँधी थे। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का पहला आह्वान करने वाले महान कवि श्री नर्मदाशंकर नर्मद भी गुजरात की माटी के ही पुत्र थे।
हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में संत कबीर, मलिक मोहम्मद जायसी, अब्दुल रहीम खा़नखा़ना, रसखान, अमीर खुसरो मुबारक, आलम और शेख जैसी हस्तियों के योगदान को कौन नकार सकता है?
साहित्य में तो हिन्दी ने बहुत ऊँचाइयों को छू लिया है लेकिन राजकाज में इसका अभी वांछित प्रयोग नहीं हो पा रहा। मुझे इस बात का हर्ष है कि हमने परम आदरणीय अटलजी के नाम पर प्रदेश में हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। राजकाज में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग किया जा रहा है। हमारे लगभग सभी विभागों की वेबसाइट हिन्दी में भी हैं। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के लिये पूरा सॉफ्टवेयर हिन्दी में तैयार किया गया है। कम्प्यूटर से किये जाने वाले शासन के सभी कार्यों के लिये प्राक्कलन हिन्दी में बनाये जा रहे हैं। किसानों को सलाह के एसएमएस हिन्दी में भेजे जा रहे हैं। शासकीय नोटशीट पर टीप का अंकन हिन्दी में किया जाता है।
मुझे पूरा विश्वास है कि तीन-दिवसीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह हमारी राष्ट्रभाषा को और अधिक पुष्पित-पल्लवित करेगा। इसकी सुगंध चारों दिशाओं में और तीव्रता से प्रसारित होगी।