30 जुल॰ 2016

सर्वदा माँ होती हो तुम

सर्वदा  होती हो तुम माँ
हाँ
भाव के प्रभाव में नहीं
वरन सत्य है मेरा चिंतन
तुम सदा माँ हो ... माँ हो माँ  हो
तुम .... विराट दर्शन कराती हो कृष्ण को
क्योंकि तुम खुद विराट हो...
विराट दर्शाना माँ
जब किसी माँ को
स्तनपान कराते देखता हूँ
तो रोमांचित हो अपलक देखता ही रह जाता हूँ..
सव्यसाची तुम बहुत याद आती हो ........
पूरे विश्व शिशु को
क्षुधा मिटाती माँ
तुम्हारी शत-शत वन्दना क्यों न करूँ ?
सुहाती नहीं है कोई वर्जना
तुम अहर्निश करती जो अमिय-सर्जना
माँ
सोचता हूँ

विराट तुम ही है.. 

28 जुल॰ 2016

इरोम शर्मिला मेरी नज़र से

इरोम तुम ने अन्न न ग्रहण किया
मुझे साल-दर-साल ये व्रत
सालता रहा ........
आज मन खुश है... तुमने उपवास तोड़
मानवीय काम किया है......
अगर ये उपवास तुम कश्मीर के निर्वासितों को लेकर करतीं
तो साल-दर-साल
तुम्हारा व्रत मुझे शायद न सालता !!
इरोम तुम्हारी जीवटता को नमन ..... 
हरेक के मानवाधिकार की रक्षा 
के लिए 
संकल्प लेना ...... अब पर अन्न न छोड़ना ......
सेना .......  देश की रक्षा के लिए ज़रूरी है..