tag:blogger.com,1999:blog-7321728027111115351.post1642527737762215334..comments2024-03-04T16:12:52.959+05:30Comments on The Partnership : for the protection of human rights in Balochistan and Sindhudesh: मुक्तक : माँ के प्रति प्रणतांजलि: संजीव 'सलिल'बाल भवन जबलपुर http://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7321728027111115351.post-77271571415620497242010-05-13T21:56:59.224+05:302010-05-13T21:56:59.224+05:30माँ की ममता को साकार करती हुई आपकी ये कविता बहुत भ...माँ की ममता को साकार करती हुई आपकी ये कविता बहुत भाई ।<br />कौशल्या सी ममता तुममें, पर मैं राम नहीं बन पाया.<br />लाड़ दिया जसुदा सा लेकिन, नहीं कृष्ण की मुझमें छाया.<br />मूढ़ अधम मुझको दामन में लिए रहीं तुम निधि पाई सी.<br />तन पुलकित, मन सुरभित करतीं, माँ की सुधियाँ पुरवाई सी<br />वाह, वाह !Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7321728027111115351.post-27238997541533428392010-05-12T22:18:14.340+05:302010-05-12T22:18:14.340+05:30बहुत भावपूर्ण रचना. आभार.
एक विनम्र अपील:
कृपया...बहुत भावपूर्ण रचना. आभार.<br /><br /><br />एक विनम्र अपील:<br /><br /><b>कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें. विवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.<br /></b><br />हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.<br /><br />-समीर लाल ’समीर’Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com