समय का पहिया कब कैसे घूम जाता है कौन जाने....माँ सव्यसाची भाव की पुनर्स्थापना के लिए जन्मी होशंगाबाद जिले के सिवनी -मालवा में । पिता पन्नालाल दीवान [चौरे]एवं चन्द्र भागा देवी के घर , देवल मोहल्ला शुक्ला गली , आभास-श्रेयस की दादी के एन सामने वाला घर जहाँ उनकी किलकारियाँ गूँज रहीं होगीं , वही सिवनी मालवा तब बानापुरा के नाम से भी जाना जाता है। वही कस्बा जहाँ के शर्मा गुरूजी के पढाए विद्यार्थी उनकी कसौटी पे कसे जाते इतने कि यदि अब के शिक्षा कर्मी तब गुरूजी नहीं होते एक प्रतिशत भी करें तो पिट जाएंगे बेचारे .... जी हाँ माँ १९३७ की पोला अमावश्या को जन्मीं थीं । माँ के साथ अभाव और ईमानदारी स्नेह एक साथ उनके मानस में पल-पुस रहे थे। संघर्ष यहीं से सीख रहीं थी माँ अपने भाई भतीजों के साथ ।..........निरंतर
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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26 दिस॰ 2007
कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....?
सव्य साची माँ प्रमिला देवी बिल्लोरे स्मृति दिवस २८/१२/२००७
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मातृ-दिवस के उपलक्ष्य में लिखी एक भाव-विभोर करने वाली उम्दा पोस्ट। आप की माताश्री को हमारा सब का भी कोटि-कोटि नमन।
जवाब देंहटाएंमाता जी को मेरा नमन!!!
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