मनीष शर्मा जी |
जबलपुर के हवाबाग महिला महाविद्यालय जबलपुर में आज़ पूर्व घोषित कार्यक्रम किंतु सेमेस्टर परीक्षाओं के चलते स्थगित कार्यक्रम "सशक्त महिला:सशक्त समाज" विषयाधारित संगोष्ठी का अंतिम भाग आयोजित हुआ.
हमें करना ये था कि विभाग की ज़रूरी जानकारियां यानी कुपोषण, अटल-बिहारी बाल आरोग्य मिशन, ऊषा-किरण, आदि पर जानकारी देनी थी बेटी-बचाओ अभियान ज़रूरी क्यों इस सवाल से बात शुरु की थी हमने बात निकली दूर तलक जानी ही थी . एक के बाद एक सामाजिक-मसले जारी थे.मेरा सवाल था कि सदृश्य-प्रसूता को अथवा नववधू को आशीर्वाद देते वक़्त ये क्यों नहीं कहा जाता :-"पुत्री वती भव: !!किस बात से भय भीत हैं पुत्री के जन्म को लेकर क्या कारण है कि त्रेता युग में हम सीता की अग्नि-परीक्षा ली गई अब हम कम निष्ठुर नहीं हम तो "भ्रूण में पनपती सीता के ही पीछे पड़ गये हैं..?" क्या यह बर्बरता की वापसी नहीं." सदन सोचने मज़बूर हुआ कि भाई मनीष आ गए और शुरु हुआ डोमेस्टिक-वायलेंस के मामलों ऊषा-किरण योजना और
मनीष शर्मा के आने तक हमने मोर्चा सम्हाला हमें उम्मीद थी नहीं यक़ीन था मनीष शर्मा जी पर न आने की विवषता होती तो टका सा जवाब दे देते पर आने की मंशा थी वक़्त था सो आ ही गए .
आग कहते हैं, औरत को,
जवाब देंहटाएंभट्टी में बच्चा पका लो,
चाहे तो रोटियाँ पकवा लो,
चाहे तो अपने को जला लो,
सच कहा प्रवीण जी
जवाब देंहटाएंसियाना जी आप भी सही हैं