17 मई 2016

चूमते पंखुरी चुभ जाएं हैं कांटे तुमको, ऐसे फूलों से गुलदान सजाते क्यों हो ?

रोज़ हालात रंजिश के  बनाते क्यों हो ....?
सुलह करने  मुंसिफ तलक जाते क्यों हो .?
चूमते पंखुरी चुभ जाएं हैं कांटे तुमको
ऐसे फूलों से गुलदान सजाते क्यों हो ?
मेरे किरदार में शामिल हो मुझसे ज़्यादा
तोहमतें मुझपे अक्सर लगाते क्यों हो ?
चैन से रहने दो उनको क़यामत के लिए
गड़े मुद्दों को, उखाड़ के लाते क्यों हों ?
उसकी फितरत है आस्तीन में छिप जाने की
सरे बाज़ार, आस्तीन, चढाते क्यों हो ?

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!