अगरतला के अहंकारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की निंदा जरूरी है
मित्रों पिछले कुछ दिनों से शायद 27 अप्रैल 2021 से एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जो किसी भी स्थिति में ना तो न्याय पूर्ण है और ना ही मानवता मापदंडों के लिए अनुकूल ही है।
घटना कुछ इस तरह की है कि दिनांक 26 फरवरी अप्रैल 2021 को रात्रि 10:00 से 10:15 के आसपास अगरतला के डिस्टिक मजिस्ट्रेट श्री शैलेश यादव जो 2013 में आईएएस ने अगरतला के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक परिवार को अपमानित किया। मौका था डॉक्टर साहब की बेटी की शादी का। लड़का बेंगलुरु में रहता है। और यह शादी एक मैरिज हॉल के अंदर पूर्व अनुमति के साथ हो रही थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 नाइट कर्फ्यू में अनुमति के लिए प्रस्तुत आवेदन में डॉक्टर देव अर्थात वधु के पिताजी ने बाकायदा विधिवत आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें उन तमाम बातों का जिक्र था जो एक प्रशासनिक अनुमति के लिए आवश्यक है।
अभी जन्म इस बात का भी जिक्र था कि शादी का मुहूर्त रात्रि 11:30 बजे का है। समाचार माध्यमों से पता चलता है कि संभ्रांत डॉक्टर परिवार ने पहले ही कोविड-19 प्रोटोकॉल पालन करते हुए नियमानुसार उतने ही लोगों को बुलाया जितने कानूनी तौर पर बुलाए जा सकते थे। किंतु अपनी टेरिटरी में स्वयं को ऑलमाइटी यानी सर्वशक्तिमान मानने वाले डीएम साहब ने बड़े असामाजिक तरीके से 31 लोगों को पुलिस थाने में पुलिस वालों पर दबाव डालकर डिटेन कराया। इतना ही नहीं पंडित जी को अपमानजनक तरीके से मारा भी।
वीडियो में आप देख सकते हैं कि उस समय श्री यादव आज के जनरल डायर से कम नजर नहीं आ रहे हैं।
पुलिस वालों को भी पैसा लेने वाला बताकर और पुलिसिंग का सबक सिखाने की धमकी देखकर जबरन दबाव डाला कि वह बल प्रयोग करें। वीडियो में साफ नजर आता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अहंकार की शराब के नशे में चूर होकर सभी को अपमानित कर रहे थे। मित्रों प्रश्न इस बात का है कि डिस्टिक मजिस्ट्रेट पर लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने का दायित्व है तथा उन पर आम जनता ही नहीं बल्कि पूरे तंत्र का पूर्ण विश्वास होता है। अपनी 31 साल की नौकरी में मैंने ऐसे डिस्टिक मजिस्ट्रेट आज तक नहीं देखे। आईएएस ऑफिसर भारतीय प्रजातांत्रिक कार्यपालिका की मजबूत रीड की हड्डी होते हैं। इन पर सभी का बहुत विश्वास होता है। मित्रों ऐसे अधिकारी को पब्लिक डीलिंग की डीएम जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने का अब अगर चीफ सेक्रेट्री त्रिपुरा निर्णय लेते हैं तो यह दुखद होगा। इस कार्य की जितनी भी निंदा की जाए कम है। आजाद भारत का जनरल डायर जो शादी जैसे पवित्र माहौल में राक्षस का चेहरा लेकर उपस्थित होता है एक सम्मानजनक पद पर होते हुए ऐसे व्यक्ति को क्या आप कभी माफ करेंगे। आप मेरी बात से किस हद तक सहमत है मैं नहीं जानता परंतु अपमान कारी डिस्टिक मजिस्ट्रेट के अहंकारी स्वरूप को जिंदगी भर ना भुला पाऊंगा शायद आप भी कभी नहीं भुला सकते। आप मुख्य सचिव त्रिपुरा को ईमेल के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं।
मित्रों पिछले कुछ दिनों से शायद 27 अप्रैल 2021 से एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जो किसी भी स्थिति में ना तो न्याय पूर्ण है और ना ही मानवता मापदंडों के लिए अनुकूल ही है।
घटना कुछ इस तरह की है कि दिनांक 26 फरवरी अप्रैल 2021 को रात्रि 10:00 से 10:15 के आसपास अगरतला के डिस्टिक मजिस्ट्रेट श्री शैलेश यादव जो 2013 में आईएएस ने अगरतला के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक परिवार को अपमानित किया। मौका था डॉक्टर साहब की बेटी की शादी का। लड़का बेंगलुरु में रहता है। और यह शादी एक मैरिज हॉल के अंदर पूर्व अनुमति के साथ हो रही थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 नाइट कर्फ्यू में अनुमति के लिए प्रस्तुत आवेदन में डॉक्टर देव अर्थात वधु के पिताजी ने बाकायदा विधिवत आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें उन तमाम बातों का जिक्र था जो एक प्रशासनिक अनुमति के लिए आवश्यक है।
अभी जन्म इस बात का भी जिक्र था कि शादी का मुहूर्त रात्रि 11:30 बजे का है। समाचार माध्यमों से पता चलता है कि संभ्रांत डॉक्टर परिवार ने पहले ही कोविड-19 प्रोटोकॉल पालन करते हुए नियमानुसार उतने ही लोगों को बुलाया जितने कानूनी तौर पर बुलाए जा सकते थे। किंतु अपनी टेरिटरी में स्वयं को ऑलमाइटी यानी सर्वशक्तिमान मानने वाले डीएम साहब ने बड़े असामाजिक तरीके से 31 लोगों को पुलिस थाने में पुलिस वालों पर दबाव डालकर डिटेन कराया। इतना ही नहीं पंडित जी को अपमानजनक तरीके से मारा भी।
वीडियो में आप देख सकते हैं कि उस समय श्री यादव आज के जनरल डायर से कम नजर नहीं आ रहे हैं।
पुलिस वालों को भी पैसा लेने वाला बताकर और पुलिसिंग का सबक सिखाने की धमकी देखकर जबरन दबाव डाला कि वह बल प्रयोग करें। वीडियो में साफ नजर आता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अहंकार की शराब के नशे में चूर होकर सभी को अपमानित कर रहे थे। मित्रों प्रश्न इस बात का है कि डिस्टिक मजिस्ट्रेट पर लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने का दायित्व है तथा उन पर आम जनता ही नहीं बल्कि पूरे तंत्र का पूर्ण विश्वास होता है। अपनी 31 साल की नौकरी में मैंने ऐसे डिस्टिक मजिस्ट्रेट आज तक नहीं देखे। आईएएस ऑफिसर भारतीय प्रजातांत्रिक कार्यपालिका की मजबूत रीड की हड्डी होते हैं। इन पर सभी का बहुत विश्वास होता है। मित्रों ऐसे अधिकारी को पब्लिक डीलिंग की डीएम जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने का अब अगर चीफ सेक्रेट्री त्रिपुरा निर्णय लेते हैं तो यह दुखद होगा। इस कार्य की जितनी भी निंदा की जाए कम है। आजाद भारत का जनरल डायर जो शादी जैसे पवित्र माहौल में राक्षस का चेहरा लेकर उपस्थित होता है एक सम्मानजनक पद पर होते हुए ऐसे व्यक्ति को क्या आप कभी माफ करेंगे। आप मेरी बात से किस हद तक सहमत है मैं नहीं जानता परंतु अपमान कारी डिस्टिक मजिस्ट्रेट के अहंकारी स्वरूप को जिंदगी भर ना भुला पाऊंगा शायद आप भी कभी नहीं भुला सकते। आप मुख्य सचिव त्रिपुरा को ईमेल के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं।
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!