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19 नव॰ 2009

चर्चित चर्चा के अलावा प्रभावी हो रही इन चर्चाओं को देखिये

चर्चित चर्चा के अलावा प्रभावी हो रही इन चर्चाओं को देखिये तेजी से इनके ग्राफ में उठाव आ रहा है. इब इनको कोई कब तक इग्नोर करेगा शायद आप भी नहीं. हिंदी ब्लागिंग के लिए ज़रूरी है कि जो करें   गंभीर हो कर करें चर्चा टिप्पणी,लेखन इसमें सब कुछ शामिल है. आभासी दुनिया में जहां भी कहीं विस्तृत सोच का अभाव रहा तो ज़रूर तय है हिंदी चिट्ठाकारिता के बुरे दिन शुरू होने. वैसे हर गलत काम का विरोध करना बेहद ज़रूरी है इसमें किसी को किसी से नातेदारी निभाने की कोई ज़रुरत नहीं अरे जो गलत है सो गलत है जैसा यदि ब्लॉग का उपयोग सलीम खान ब्रांड   दीमकें कुंठा-निकालने के लिए करें तो इसका विरोध न कर उसे इग्नोर करने की सलाह  देने वालों को मेरी सलाह है कि नकारात्मकता को समूल नष्ट करनें का प्रयास खुलकर किया जाए दूसरी ओर जो लेखन आपकी दृष्टी में उत्तम है अवश्य सबके सामने लाएं इन तीन चर्चात्मक चिट्ठों ने सबको जोड़ा है विचार और तरीका सहज है. मुन्ना भाई तो अदभुत शैली की वज़ह से प्रभावी बन रहा.... है!

  1. ब्लॉग चर्चा मुन्ना भाई की
  2. चर्चा हिन्दी चिट्ठो की !!!
  3. समयचक्र 
  4. टिप्पणी-चर्चा
  रिफ्रेश  महाशक्ति जी का ब्रिगेड में स्वागत है. जबलपुर  ब्रिगेड ने तय किया है इनका विवाह जबलपुर में तय कराया जावेगा कोकास जी की जनकपुरी भी  यहाँ है

18 टिप्‍पणियां:

  1. Inse pahle bhi parichay ho chuka hai Gireesh bhaai, lekin aapne inhe sabke saamne lane ka kaam kiya ye achchha laga dekh ke..
    Jai Hind...

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  2. दीपक भाई
    आलेख में एक और सूत्र है

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  3. इतने चिट्ठे बढ गए थे .. तो चिट्ठा चर्चा बढना ही चाहिए था .. सबों को शुभकामनाएं !!

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  4. शुक्रिया जी
    सही का आपने तभी
    तो इनका ज़िक्र कर रहा हूँ

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  5. भाई इन सभी चर्चा के अलावा चाचा टिप्पूसिंह की चर्चा भी हमें अच्छी लगती है,

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  6. us sutra ko bhi dekha sir, aise hi yaron doston ke kuchh bhi likhe ko charcha me shamil karna aur achchhe lekhon ko jagah na dena bhi ek paap hi hai aur anyaay to hai hi..

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  7. मुद्दा मार्के का उठाया है मुकुल भाई आपने। हमें तो लगता है अभी भी कहीं कुछ काम बाक़ी है। चिट्ठा चर्चाएँ तो ग़ज़ब की हो रही हैं पहले कम थीं अब बढ़ चढ़ कर हो रहीं हैं मगर क्या किया जावे चिट्ठाकारी तो महज़ हिन्दू मुस्लिम दंगे में तब्दील होकर रह गई है। पोस्टों के उन्वान कचोटा करते हैं रह रह कर। अब ऐसे में क्या चिट्ठा और क्या चिट्ठाचर्चा ? इग्नोर करने के परिणाम हमेशा अच्छे ही नहीं आते, कभी कभी ..............खै़र हटाइए हमारे कहने से भी क्या होगा ? लोग कहेंगे इग्नोर इट।

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  8. मुद्दा ये भी है की चर्चा का स्वरुप कैसा हो पीठ खुजाई से आगे या "तक"
    आप तो जानते हैं की जहां भी वैचारिक षडयंत्र होगा गुट होगें कटुता होगी ही
    तो क्यों न सार्वभौमिक सार्वकालिक हों हमारी सोच दुश्मन की भी बात हो
    तो उसके गुणों को "इग्नोर" न किया जाए

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  9. बढ़िया स्वस्थ परंपरा है इस तरह नये मंचों का सामने आना. अनेक शुभकामनाएँ.

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  10. समीर भाई
    बेहद सरलता से टिपिया जाते हो
    शुक्रिया गीत की दो पंक्ति देखिये
    नन्हा दिन जाड़े का रोक सका कौन
    गुरसी में आग लोग मुद्दे पे मौन

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  11. आप बहुत दूर की सोच रहे है, इतनी दूर की मत की पहुचने में दिक्कत हो, वैसे अब तो जबलपुर आने में भी डर लग रहा है। :)

    हमारा भी मन था कि हम चर्चा करें, श्री महेन्‍द्र जी ने हमारी मन की बात जान कर हमें आमंत्रित कर लिया, जिसके लिये हम उनके आभारी है।

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  12. सभी को बधाई,मेरे छोटे भाई की जनकपुरी भी वही है जो शरद कोकास की है।

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  13. यह जितनी बढ़े - अच्छा है । इनसे चिट्ठाकारी की प्रोत्साहित होगी । आभार ।

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  14. आखिर चर्चाकारों को भी प्रोत्साहन चाहिये..आज तक ऐसा नही देखने मे आया कि किसी ने पोस्ट लिखी हो. आपने यह पोस्ट लिखकर उस कमी को पूरा कर दिया है. आशा है और भी चर्चाकर किसी के साथ या स्वतंत्र रुप से सामने आयेंगे.

    रामराम.

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  15. समयचक्र का उल्लेख करने के लिए आभारी हूँ . मुझे भी बिग्रेड में शामिल कर लें........

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  16. बढ़िया है जी। मैं तो कहता हूं कि विभिन्न चर्चा मंचों से अधिकाधिक लोगों को जुड़ना चाहिये और चर्चा करनी चाहिये ताकि विविधता और रोचकता बनी रहे।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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