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7 जुल॰ 2007

शोक मे डूबे हुए पल
नियति करती लग रही छल
वेदना के शूल चुभते
आंख झरती आज पल-पल,
ईश्वर की व्यवस्था
शोक भी है तय अवस्था !
आपकी इस वेदना में साथ हैं हम !
दूर से ही भले साथी
संवेदना का अनुनाद हैं हम !!
शोक में विश्वास प्रभू का तोड़ना मत
साथियों का साथ साथी छोड़ना मत...
जाने वाले को मिले मुक्ति यहाँ से
आपको भी सहन शक्ति मिले वहां से !!

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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