25 जुल॰ 2008

बैंगलुरू विस्फोट: अवनीश तिवारी की रचना

बंगलोर धमाके पर मेरी कुछ क्षणिकाएं -
१.
ये बंगलोर की घटना क्या है ?
अफजल की दुयाएँ ?
या संसद में मरे जवानों की बदुयाएं ?
जो भी हो सफल लगती है |
२.
सुना बंगलोर में धमाका हुया !
याद आया कल ही तो सरकार ने विश्वास जीता है, लोगों का
देर रात दावत के बाद सो रहे होंगे ,
धमाको से भी नही जागते ये |
३.
बंगलोर बम धमाके से
सरकार की धमाका की व्यौरा देने वाली पांडुलिपि ( डायरी ) भर गयी है ,
प्रधानमंत्री से नयी पाण्डुलिपि का आदेश दिया है ,
इस बार कुछ बड़ी और ज्यादा पन्नों वाली |

-- अवनीश तिवारी anish12345@gmail.com

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!