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9 अग॰ 2008

मेरा सौन्दर्य शास्त्र और उनका गीत


ब्यूटी पार्लर की वज़ह से होता ये कमाल

11 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा...वैसे किसको चिपकाई दिए

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  2. बालकिशनजी की
    वाह! वाह!

    नीतिश राज
    की चिंता
    शोभा का
    सस्नेह
    सब कुछ शिरोधार्य
    साबका आभार

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  3. समीर जी
    कोई पुरानी जान पहचान तो नहीं
    इस माडल से

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  4. मुकुल जी, धार में ना बहो,
    सीधे-सीधे कहो..
    खट्टी मीठी टमाटर के सूप सी..
    कौन है ये रूपसी ?

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  5. सुंदर मुखड़ा देख के पूछें रूपा कौन
    मन ही मन मुस्काए हम मूरत से हो मौन
    हम मूरत से हो मौन पता क्यों इनको देवें
    प्रिय सी छवि जो दिल बसी उसे क्यों खोवें
    कहत मुकुल कविराय छुपाना भी मुश्किल है
    मानो ये इक माडल जिसपे आया दिल है
    मुदगिल भैया लगे रूपा के स्वाद बखाने
    उम्र लिफाफा खोल समीर भी मुस्काने
    राज भाई भी राज को राज न रहने देंगे
    मेरे मुंह से सत्य उगलवा ही लेंगे ...!
    पर हम भी हैं ढीठ सच न बोलेगें
    सुंदर राज़ सामने सबके क्यों खोलेंगे

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  6. jsundar raj ki sundar kavita jo ek sundar taswir par likhi gayi.waise taswir kafi sundar thi :-)

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  7. billore jee
    sach bataao naheen to
    aapake shahar men ......
    chalo hatao chehara sach chand sa hai

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  8. Lovely kumari & ब्लॉग पत्रकार kaa aabhaar
    bhai is tasweer se meraa sampark hua hai par jisake tasweer hai use main sach naheen jaanataa

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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