मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
सच है आज की यही मानसिकता है |
बहुत अच्छा!
वे सब आज की आधुनिक महिलाएँ थीं. उनके अहम की तुष्टि तभी हुई जब उन्हें आजकल की ख्याति (?) प्राप्त अभिनेत्रियों से जोड़ा गया.आभार.
achchee kahani hai
आपके प्रति आभार
कहानी बहुत बढ़िया लगी . लिखते रहिए . धन्यवाद्.
महेंद्र भैया धन्यवाद जी
आज के प्रगतिशील समाज पर एक अच्छा व्यंग है. आज की प्रगतिशील नारी सीता नहीं केटरीना बनना चाहती है.
भाई साहब नमस्कार टिप्पणीयों के लिए सभी मित्रो का आभार
बिल्लोरे जीआप की कलम में दम है बधाइयां
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
सच है आज की यही मानसिकता है |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा!
जवाब देंहटाएंवे सब आज की आधुनिक महिलाएँ थीं. उनके अहम की तुष्टि तभी हुई जब उन्हें आजकल की ख्याति (?) प्राप्त अभिनेत्रियों से जोड़ा गया.आभार.
जवाब देंहटाएंachchee kahani hai
जवाब देंहटाएंआपके प्रति आभार
जवाब देंहटाएंकहानी बहुत बढ़िया लगी . लिखते रहिए . धन्यवाद्.
जवाब देंहटाएंमहेंद्र भैया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
आज के प्रगतिशील समाज पर एक अच्छा व्यंग है. आज की प्रगतिशील नारी सीता नहीं केटरीना बनना चाहती है.
जवाब देंहटाएंभाई साहब
जवाब देंहटाएंनमस्कार
टिप्पणीयों के लिए सभी मित्रो का आभार
बिल्लोरे जी
जवाब देंहटाएंआप की कलम में दम है
बधाइयां