2 जन॰ 2009

शिशु सा आकर्षण ले आना

मत झुलसाना न भरमाना
हर घर में खुशियाँ दे आना
आए तो स्वागत नवल वर्ष
अबके आँसू मत दे जाना !
ओ नवल वर्ष ओ धवल वर्ष
शिशु सा आकर्षण ले आना

2 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!