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6 जन॰ 2009

लड़का क्या करता है..

लड़का क्या करता है....?जी ब्लॉगर हैं ।तो ठीक है उसकी शादी फीमेल से नहीं -मेल से कर दीजिए। शतरंज के खिलाडी हिन्दी के ब्लॉगर एक आभासी हार जीत का मज़ा लेना हो तो इन ब्लॉगर (जिनमें मैं भीशामिल हूँ) की भाव-भंगिमा से बांचा जा सकता है। हर बाजी "पोस्ट" को विजेता के भाव सेलिखते हम सच अदद टिप्पणियों / आगंतुकों की प्रतीक्षा में लग जातें हैं। कम टिप्पणियों केबाबजूद हार मानना हमारी विशेषता हैं। नाते चिट्ठों पे टिपिया के मांग लेतें हैं टिप्पणी मिल भीजातीं हैं। कुछ आपसी पीठ खुजाई में बदस्तूर लगे रहतें हैं किंतु यहाँ क्रिया की प्रतिक्रया कासिद्धांत लागू होता है , यदि दो बार के बाद टिप्पणी रिटर्न गिफ्ट से आए तो अपन उस ब्लॉग पेटिपियाना तो दूर उधर निगाह भी नहीं करते। गिव एंड टेक का मसला है भई !! कुछ विस्तार से बागर-चर्चा हो इस हेतु मैं अपनी तुच्छ बुद्धि से ब्लॉगर वर्गीकरण करने की सोची समझी गलती कर रहाँ हूँ .......

"A" सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर के लिए सब कुछ जायज होता है। ये लोग एक समूह में काम करतें हैं तू मेरी खुजा मैं तेरी पीठ खुजाऊं की तर्ज़ पे हिन्दी ब्लागिंग जारी है।
"B"
इस सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर जहाँ बम वहाँ हम भी का पूरी निष्ठा से पालन करें हैं
"C"
सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर बेचारे किस्म के होते हैं जो समझ ही नहीं पाते कि "किस राह पे रुकना है किस छत को भिगोना है "
इन प्रमाण पत्रों के रंग से भी आप समझ लीजिये रेड ज़ोन से जुड़ना है -यलो या ग्रीन ज़ोन से । मेरी राय तो यात्री -या-माल गाड़ी से बन जाइए . ब्लॉग परिचालन प्रणाली का अनुपालन कीजिए मज़े से ब्लागिंग कीजिए । बिंदास होके



8 टिप्‍पणियां:

  1. पहली टिप्पणी मैं ही दाल देता हूँ कहीं मेरी पोस्ट कुंवारी ही दम न तोड़ दे ?
    भई...! निकाल ली न भडास अरे इतनी .....खैर छोडो भी !!

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  2. लीजिए अब आप घराती होने का सुख उठाइए । पहली टिप्पणी हमारी ही मानी जाए । वैसे मालगाडी बनने में भी कोई बुराई नहीं । जिसे मर्ज़ी हो टिपियाए ,ना भी टिपियाए तो बुरा मानने का नहीं ।

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  3. Thank's Sareetha ji
    जिसे मर्ज़ी हो टिपियाए ,ना भी टिपियाए तो बुरा मानने का नहीं ।
    jeyee sahee hai

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  4. पहली पंक्ति में लिखा चुटकुला पसन्द आया.

    हमें भी कोई ग्रेड दे दो. ए,बी,सी न सही डी, ई,एफ ही सही...

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  5. भाई
    गज़ब की बात है
    क्या जबलपुर में ही रहते हो ब्लॉगर भाई

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  6. जिसे मर्ज़ी हो टिपियाए ,ना भी टिपियाए तो बुरा मानने का नहीं!!!!सरकार!!!!
    प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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