हे राम !
और जय श्री राम में अब अंतर हो गया है
र+अ +म+अ=राम अब सिर्फ़ शब्द रह गया है !
जो भी था राम उस राम में से खो गया है !
तब से अब तक मैं ही पिट रहा हूँ !
चल नहीं बापू मैं तो घिसट रहा हूँ !!
आम आदमीं हूँ न !
ख़ास को मिलने वाले प्रिवलेज से वंचित हूँ
बापू ये न कहना :-"न मिलने पर कुंठित हूँ "
बापू धर्म,वर्ण,वर्ग का शिकार
प्रजातंत्र के ध्वज-वाहकों का सामंती व्यवहार !
बताओ बापू.... अब कितने गाल कहाँ से लाऊं
अपनी इस पीर को कैसे बताऊँ
भरे और भारी मन से तुमको याद कर रहा हूँ......!
बताओ बापू.... अब कितने गाल कहाँ से लाऊं
अपनी इस पीर को कैसे बताऊँ
भरे और भारी मन से तुमको याद कर रहा हूँ......!
वाह क्या बात है ।
जवाब देंहटाएंThank's anil ji
जवाब देंहटाएंRegard
s
बहुत सुंदर लिखा....
जवाब देंहटाएंDidi
जवाब देंहटाएंsadar abhivadan aabhaar
GAMBHEER BAT
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद