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30 जन॰ 2009

बंदौं संत असज्जन चरणा


इस ब्लॉग सहित मेरे सभी ब्लॉग'स पर
गूगल बाबा की झोली से फोटो जुगाड कर
पोस्ट किए गएँ हैं . साथ ही इन ब्लॉग'स की
किसी विषयवस्तु से किसी को कोई आपत्ति हो
तो कृपया आप मुझे मेल करें ताकि भावातिरेक/व्यस्तता
में लिखी किसी-पोस्ट/उसके अंश का सुधार किया जा सके.
सार्थक प्रतिक्रयाएँ देकर सृजन शीलता की दिशा दीजिए
मेरा मिशन "हिन्दी-ब्लागिंग" में नए हस्ताक्षरों को
जोड़ना है न कि अनावश्यक विवादों की भूमि
बनाना है. फ़िर भी मानवीय भूलों के लिए आपकी सचेतक
ध्वनियाँ स्वागत योग्य हैं किंतु हंगामा स्वीकार्य नहीं

: एक लाईना कोशिश की


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया।जारी रखें।बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. जारी रहें,,,,,,,,,यानि कुछ ....कमीं रह गई है
    अगली सुधार लूंगा
    टिपियाने को दौनों अग्रजों का आभार

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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