मैंने अपना मामला तो एक सायबर ज्ञानी जी को रेफर कर दिया है। जो शीघ्र ही विस्तार से जानकारी भेजेंगे देखूंगा कि सायबर ज्ञानी अंकित की भेजी जानकारी में क्या खुलासा होता है ।
बहरहाल इस बात को यहीं विराम देते हुए एक रुचिकर समाचार की और आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा समाचार क्या आम ज़िंदगी से जुड़ी बात है कई बार मना करने के बावजूद बाबूजी ने मेरे ड्रायवर को निर्माल्य {पूजा से बचे फूलों } को नर्मदा नदी में विसर्जित करने की जिद्द पकड़ ली थी । बुजुर्गों को सीधे सीधे इनकार करना खतरे से खाली नहीं होता सो हमने उस निर्माल्य को अपने साथ लिया और चल पड़े तय शुदा व्यवस्था के तहत उस किसान परिवार के पास जिसने जैविक खाद के लिए "नाडेप संरचना तैयार कर रखी है। अपशिष्ट प्रबंधन के इस नायाब प्रयोग से मुझे भी बागवानी के लिए खाद मिलेगी अपने घरेलू गमलों के वास्ते माँ नर्मदा भी दूषित नहीं होगी हमारी अंध-भक्ति के कारण ।
सच छोटी छोटी सोच बड़े परिवर्तन की जनक होतीं हैं ।
यार गुरू ये बहुत काम की चीज़ बता दी आपने निर्माल्य के बारे में। हम सोचते हैं सिलुआ के फ़ार्म-हाऊस पर निर्माल्य जैविक ख़ाद का काम ही स्टार्ट कर दिया जाए। क्या ख़याल है ?
जवाब देंहटाएंहाँ, उस दिन 1st एप्रिल को मेरे नाम से किसी ने चिटठाचर्चा मं टिप्पणी की थी।
जवाब देंहटाएंमैंने जाँचा तो वह मेरे प्रोफ़ाईल तक नहीं जाती।पर है तो बात गम्भीर। हम कोई टिप्पणीकार का प्रोफ़ाईल लिंक चेक करके थोड़े उसकी टिप्पणी की पुष्टि करते हैं!
खुलासाहम भी जानना चाहेंगे।
kavita ji
जवाब देंहटाएंankit exam. men busy hain sheeghr khulasa karenge
bawal bhai
जवाब देंहटाएंi am redy to do it