तलाशा होता दिल से तो न कहते आप ये
कोई मिला ही नहीं जिस को वफ़ा देते ॥
कोई धोखा नहीं देता यही है फेर नज़रों का
क्यों हम सामने सबके हैं हाल ए दिल बता देते ॥
पत्थरो को सुनाया होगा ये ग़मगीन सा नगमा
महफ़िल को सुनाते तो महफिल को रुला देते।।
भूक से लड़ता रहा वो रात भर सोया नहीं
तक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।
हर पाँच बरस में दिखाते हो तमाशा
हम नंगे हैं हैं ये बात पहले ही बता देते ॥
बहुत खूब! लेखनी जारी रखें।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया ।
जवाब देंहटाएंPrakaash ji
जवाब देंहटाएंAnil ji
Shukriya
पत्थरो को सुनाया होगा ये ग़मगीन सा नगमा
जवाब देंहटाएंमहफ़िल को सुनाते तो महफिल को रुला देते।।
बहुत खूब। एक तकरीर ये भी-
दूध की नदियाँ बहे या दूध में नदियाँ बहे।
दूध है नदियाँ भी हैं फिर क्या कमी बतलाइये।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.
Shymlal ji
जवाब देंहटाएंyah sachai hee to hai
aap kee sahamati
ke liye aabhaar
भूक से लड़ता रहा वो रात भर सोया नहीं
जवाब देंहटाएंतक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।
बेहद भावुक कर गयी ये पंक्तियाँ.....
Regards
समकालीन परिवेश पर केन्द्रित सुन्दर गजल। बधाई।
जवाब देंहटाएं-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
SHUKRIYA
जवाब देंहटाएंआज तो शेर में लपेट लपेट के
जवाब देंहटाएंसटीक थोडा बहार से कमज़ोर
हर पाँच बरस में दिखाते हो तमाशा
जवाब देंहटाएंहम नंगे हैं हैं ये बात पहले ही बता देते ॥
पत्थरो को सुनाया होगा ये ग़मगीन सा नगमा
जवाब देंहटाएंमहफ़िल को सुनाते तो महफिल को रुला देते।।
बहोत खूब....!!
हर पाँच बरस में दिखाते हो तमाशा
हम नंगे हैं ये बात पहले ही बता देते ॥
बहोत सुन्दर....!!
Harkeerat ji shukriya
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