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20 जुल॰ 2009

वाह सभा पति जी वाह

अपना दिल तो साफ़ है : जीhttps://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiyFFcw_55los1kSzDJa85UZMqEw0UZahhQzOTeFLTxtkNoGWkMtR0MLOZ4E4iF0e-1okV5r_iTyraCX-89a4WQutAQvARtmi8jHZgehX5BGYvuZGyXNGZ0cXVt6_s-aP41E2g398xeS7tZ/s320/netaji.jpg हाँ खुली किताब है ...
पिछले दिनों जबलपुर ब्लाक में आँगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं की भर्ती बैठक में जैसे ही चयन समिति के सदस्य की पुत्र वधु का आवेदन देखा तो ससुर साहब श्री देवी सिंह पटेल भौंचक रह गए फौरन सदस्यों को उन्हौने अवगत कराया कि यह आवेदन मेरी पुत्र वधु का है जो मेरी जानकारी के बिना भरा गया है अत: इसे निरस्त किया जावे मध्य-प्रदेश सरकार के महिला बाल विकास विभाग ने आँगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं की भर्ती के लिए जो प्रावधान किए हैं कि अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया में शामिल किसी भी निर्वाचित जन प्रतिनिधि/अधिकारियों के रिवार का सदस्य नहीं होने चाहिए इस अनुकरणीय कार्य को देख समस्त सदस्य ने कहा वाह सभापति जी वाह हो सकता है की इसका दूसरा पहलू

भी हो ........जैसे कि हो सकता है सभापति जी फिसले और बोले "हर गंगे"


7 टिप्‍पणियां:

  1. आशाजनक बात बतलाई आपने मुकुल साहब।

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  2. जाने इसके पीछॆ कितना बड़ लफड़ा निकल कर आये..मगर अभी तो वाह सभापति जी वाह!!

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  3. जाने इसके पीछॆ कितना बड़ लफड़ा निकल कर आये..मगर अभी तो वाह सभापति जी वाह!!

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  4. हो सकता है
    सभापति जी फिसले और बोले "हर गंगे "

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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