कोना कोना याद आता है मुझे मेरा शहर हर वो लोग जो जन्म-भूमि से दूर जाकर याद करते है अपना शहर को ठीक उसी तरह जैसे दाने-चुग्गे की व्यवस्था करते पंछी जिन्हें याद आता है अपना घौंसला
भुलाए नहीं भूलता.तुम्हें मेरे शहर याद आते हो मेरे शहर तब जब देर शाम आफिस से लौटता हूँ अपनी नहीं सी नहीलगती ये शाम यहाँ की शाम में वो बात कहाँ इस शाम सिर्फ दादा जी से बात होती है किन्तु उनका चेहरा नहीं देख पाता हूँ. कालेज से लौटते दादाजी की फरमाइशें गुरु की मनुहार आर्ची की पुकार सब कुछ भूल नहीं पा रहा हूँ.मुझे खीचते चचेरे भाई-बहन भैया ये ला दो वो कर दो......मम्मी से यह कह कर की दोस्तों के साथ जा रहा हूँ एक घंटे में आने का वादा कर तीन घंटे तक निरुद्देश्य घुमाता शहर सदर,मालवीय चौक,इंजीनियरिंग-कालेज,ग्वारीघाट, तेवर,भेडाघाट,बरगी-बाँध,सब कुछ खूब याद है मुझे . वो चाचा की कवि गोष्ठियां,आभास के लिए एस एम् एस कैम्पेनिग, जी हाँ सारा जबलपुर जैसे अपना घर हो निर्भीक होकर घूमते मित्र बिखर गए हैं महानगरों में आलीशान संस्थानों में चुग्गे की व्यवस्था में जुटे हैं. मेरी तरह विदेशों में भी......... घर में बुजुर्ग आँखें हमें देखतीं हैं शायद पथराई सी आँखें यही कहलातीं हैं न ....? उस दिन पूरे चार घंटे सेल फोन पर सुनाया बावरे-फकीरा लांचिंग जश्न पापा ने काश लाइव देख पाता किन्तु चुग्गे-दाने के इंतज़ाम के लिए कुछ तो छूटता ही है वो कुछ जिसे कहतें है घोंसला शायद मेरा भी घोंसला ही छूटा है. आज समझा की क्यों हूक भर के रोतीं हैं बेटियाँ जब छोड़तीं हैं पीहर .....
Wah bete aate hee huge shot
जवाब देंहटाएंसच कहा...शिद्दत से याद किया...आज ही कहीं इसी भाव पर एक कमेंट में मैने लिखा:
जवाब देंहटाएंवो एक शहर
जहाँ कभी
मैं रहा करता था..
अब
वो
मेरे भीतर रहता है....
उसी प्यार से
आज भी मेरी
हर शरारत
मुस्कराते हुए सहता है!!
Wah lekhak bhee ho bhateeje
जवाब देंहटाएंउम्दा कहा भाई।
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