22 नव॰ 2009

सलीम खान और मियाँ केरानवी ये देश तुम जैसों की वज़ह से बँट नहीं सकता

आज तक की सबसे बेहतरीन पोष्ट राज तंत्र पर है
कितना भी तोड़ने की कोशिश करो थक जाओगे "माँ-भारती " तुम्हारे नापाक इरादों को अंजाम तक नहीं पहुँचाने देगी .
उसे ज़रूर देखना मेरे बच्चो तुम गुमराह हो लौट आओ किताबों में न तो अल्लाह को लिखा जा सकता न ही भगवान को सब यकीनन एक ही हैं. तुम जिस अल्लाह की बात करते हो उसे मैं भाषा में शब्द-संज्ञा की वज़ह से भगवान कहता हूँ. जो अनादी है अनंत है अभेद्य है उसे न तो परिभाषित कर पाया है न कर पाएगा. इस लिए सिर्फ प्रेम करो मुदित रहो मुदिता के अवसर पाओ अवसर दो यही कुरआन और वेदों का मूल तत्व है. परम पिता को पहचानने के लिए खुद को जानना ज़रूरी है. खुद को जानने के लिए सबको पहचानना ज़रूरी है गैर ज़रूरी है कुतर्क करना वो किताबें जो दिमाग पर नकारात्मकता की पालिश करें उनको संदूकों में ही रखना बेहतर है. उनको ताबूती-दिमागों में मत डालो . मेरे गुरु स्वामी शुद्दानंद नाथ ने कहा है "प्रेम ही संसार की नींव है..." इस सचाई को तुम भी जानते हो तो क्यों अधकचरी ज्ञान की पोटली हर दिन खोल रहे हो अल्लाह के किस सन्देश में कहाँ लिखा है की अपने पिता की तारीफ़ में किसी और के पिता को गालियाँ दो मैं तुमको इग्नोर नहीं करूंगा तुम को उस सीमा तक घसीटना है मुझे जहां से तुम्हारी सच्ची पावन सोच शुरू होती है. अल्लाह-मालिक खुदाहाफ़िज़

8 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है , आप ने जिस तरह से अपनी बात रखी , सच में दिल को छु लिया आपने । लाजवाब

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  2. हे प्रभू उनको माफ़ कर देना वे नही जानते वे क्या कर रहे हैं।अब ये भी एक प्राब्लम है कि वे प्रभू से भी माफ़ी नही ले सकते।क्या करे इनका समझ से परे है। बिगड़े हुये बच्चे हैं समय के साथ ही सुधरेंगे।

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  3. आप समझते है हम ओर सब समझते है इस बात को लेकिन कुछ खास किस्म के लोग नही समझते, ओर आप ने जिस ढंग से समझाया इस तरह तो अब जानवर भी समझ जाये, देखे क्या असर होता है. धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये

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  4. प्रिय मुकुल,

    आपसे सहमती व्यक्त करते हुए मुझे सिर्फ इतना ही निवेदन करना है कि यह दुनिया एक मेला है और इस मेले में भाँति-भाँति के दूकानदार अपना सामान बेच रहे हैं । कुछ सच्चाई के साथ ताज़ा और अच्छा माल बेचते हैं तो कुछ ग्राहक की सरलता का लाभ उठा कर मिलावटी माल बेचने की फिराक में रहते हैं । आप अपने सनातनधर्मी बन्धुओं को आगाह कर सकते हैं कि इस ज़हर से दूर रहें, किसी की दूकान बंद नहीं करा सकते खासकर भारत जैसे देश में जहाँ सरकार से लेकर नीचे तक सारा तंत्र ही भ्रष्ट है । ये जिनका वोट बैंक हैं वे इन्हें इनके जेहादियों समेत पनाह देते हैं । भूल गए क्या हुआ कश्मीर में.... जय श्री राम ।

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  5. lokhak dhanyawad ke patra hain..
    vicharon kee sarthak abhivyaktee..

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  6. बहुत ही उम्दा लहजे में बहुत बड़ी बात कही मुकुल भाई। वाह।

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  7. प्रिय केरानवी
    स्नेह
    आपकी मूर्खताओं पर हसीं आ रही है खुदा-जाने आपकी अक्ल में ये बात क्यों नहीं आ रही है कि हम समाज में सह-अस्तित्व की समता की बात कर रहें हैं है और आप है कि धर्म पंथ की झंडा बरदारी पे उतारूँ हैं ? हजूर सारे देश किसी भी धर्म को अपनाले इस बात से किसी को कोई शिकायत नहीं बस हम अमन चाहतें हैं आप हैं की बेसंगत बातें लाकर मुद्दा बदल रहे हैं इस्लाम हमारी सांस्कृतिक विरासत में सम्मानित था सम्मानित है किन्तु उस वक्त आप सरीखे प्रतिक्रियावादी न थे जो आप सरीखे दुनिया को ये बताते फिर रहे - कि इतनों ने फलां धर्म छोड़ा फलां अपनाया ? आप तो मुझे उसे फेरी वाले से नज़र आ रहें हैं है जो कहता है इसे ले लो इसे फलां ने खरीदा इसने खरीदा/ उसने खरीदा अरे अल्पप्रज्ञ अल्लाह-के रास्ते को वस्तु मत बना मेरे भाई अल्लाह की इबादत तो सबसे पावन बात है तुझे क्या मालूम मेरे यार मुझे अज़ान कितनी ताज़गी देती है......... तू क्या जाने चर्च की घंटियों का अध्यात्म तुझे तो गुरुद्वारे के लंगर में स्वर्ग का आनंद कभी नहीं मिला होगा. अल्लाह सब से पहले तुझ जैसों का इन्साफ करेगा ताकि सब देखेंगें हकीकत..............!
    तुम्हारी टिप्पणी मैंने डिलीट कर दी है जो गुमराह कर रही थी इस देश को बक्शो यहाँ पवित्रता और समरसता ही ज़िंदा होगी ता......क़यामत.......!

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!