9 फ़र॰ 2010

एक मित्र को पत्र

प्राथमिक शाला में एक मित्र को पत्र लिखना था लिखा किन्तु बेहद त्रुटी पूर्ण होने से मुझे दंड मिला पत्र आज पूरा कर रहा हूँ शायद आप को पसंद आये
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प्रिय मित्र                                            
सादर अभिवादन
किसी की आलोचना करना अच्छी बात है है किन्तु किसी को व्यक्तिगत क्षति पहुंचाकर अपनी श्रेष्ठता साबित करना इंसान को बौना कर देती है. शायद आप हर छोटी छोटी बातों को दिल पर लेकर मुझे फोरम्स पर मित्रों के बीच अपमानित करने की बदस्तूर कोशिश करतें हैं किन्तु आप ये कदापि नहीं जानते के वे लोग जिनके सामने आप किसी व्यक्ति के विरुद्ध कुछ भी कहतें हैं वही व्यक्ति सबसे पहले आपको बौना समझ लेता है. फिर सुनी बातों से हुए अपच के कारण सीधे बात उस इंसान तक पहुंचा ही देता है जिसके बारे में आप चुगलियाँ करतें हैं भले ही अपनी नज़र आपकी बातें आलोचना हो. 
बहार हाल सब कुछ ठीक है घर में दीदी को प्रणाम बच्चे को स्नेह 
शेष अनवरत शुभ 
आपका मुकुल 
[नोट:बिना पते वाले पुराने कार्ड पर इतना ही लिख पा रहा हूँ किन्तु सही जगह पहुंचेगा मुझे भगवान पर यकीं है ]
http://cdn1.ioffer.com/img/item/459/046/46/o_JEFFERSON-POSTCARD-1-CENT.JPG

10 टिप्‍पणियां:

  1. Ola, what's up amigos? :)
    I will be happy to receive any help at the start.
    Thanks and good luck everyone! ;)

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  2. ये त* कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना* वाली चित्ठी है जरूर पहुंच गयी होगी शुभकामनायें आपकी सेहत के लिये शुभकामनायें । आशा है बुखार उतर गया होगा
    धन्यवाद्

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  3. बढिया पत्र .. आशा है पहुंच गयी होगी अबतक !!

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  4. ये क्या है भैया। तफ़्सील से बतलाएँ।

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  5. समझ गए भाई समझ गए, बहुत मार्मिक पोस्ट।

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  6. भाई भजिये का स्वाद याद आया कैसे थे हा हा हा

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  7. संगीता जी पुरानी चिट्ठियाँ हैं पहुंचतीं ज़रूर है. बांचने वाला बांच लेता है किन्तु ....?

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!