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8 अग॰ 2010

निखिल श्रीवास्तव समीर लाल रवीश कुमार ,यश भारत ने आज़ जिन्हैं छापा है

की पोस्ट  यश भारत जबलपुर के आज़ यानी 8 अगस्त 2010अंक में 
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1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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