ई का है भाई? हम हीं घुमाय दिए? कहाँ है रपट और फोटुआ ? अच्छा मुरख बनाय हो बबुआ ! माँई के 'धार' दिए नाही.भूत,परित,पलीतां को याद किये नाही. पूरबजो को,अकाल मरी गए लोगो को सुभ काम में याद करने का रीत नही है का हमारे देस में? है ना? तो फिर 'हमका' काहे भूल गए? हा हा इब हिंया भी ठिठोली किये.बस बिल्लोरे जी को चिपकाय दिए. जय हो.
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता ! आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से ! दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
इन्तज़ार करते हैं..
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षारत हैं।
जवाब देंहटाएंलो पहली सीट पर तो खुद उडन जी ही इंतज़ार करते पाए गए हैं ....हम कोई और ज़ार करेंगे ...पहले आप रिपोर्ट को गुलज़ार करिए ...
जवाब देंहटाएंई का है भाई? हम हीं घुमाय दिए? कहाँ है रपट और फोटुआ ?
जवाब देंहटाएंअच्छा मुरख बनाय हो बबुआ !
माँई के 'धार' दिए नाही.भूत,परित,पलीतां को याद किये नाही.
पूरबजो को,अकाल मरी गए लोगो को सुभ काम में याद करने का रीत नही है का हमारे देस में? है ना? तो फिर 'हमका' काहे भूल गए? हा हा
इब हिंया भी ठिठोली किये.बस बिल्लोरे जी को चिपकाय दिए.
जय हो.
इंतजार है.
जवाब देंहटाएंरामराम
इन्तजार है ....
जवाब देंहटाएंकहना यही है कि छा गये आप ....पूरे पृष्ठ पर ही नही सारे आयोजन पर भी
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