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23 फ़र॰ 2011

राज़भाटिया जी का खजाना



भुले बिसरे गीत....


जी नमस्कार आप सभी को , अगर आप को यहां दो लाईने ही दिख रही हे तो आप इस ब्लाग परिवार के टाईटल पर किल्क करे,या फ़िर Home पर किल्क करे तो आप को तीन लाईने दिखेगी, जी यहां तीन लाईने हे आप की नयी पोस्ट १, ,आप की नयी पोस्ट २ आप की नयी पोस्ट ३,
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आप की नयी पोस्ट १माही....कहीं... दर्द तो नहीं हुआ ? - दिल तोड़ कर मेरा, कहते हो - कहीं... दर्द तो नहीं हुआ ? मेरे ज़ख्मों पर छिड़क कर नमक, कहते हो - कहीं... दर्द तो नहीं हुआ ? इश्क को मेरे मार कर ठोकर, कह...

4 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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