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23 फ़र॰ 2011

म.प्र. लघुकथाकार परिषद् : वार्षिक सम्मलेन संपन्न लघुकथा लेखन में विशिष्ट अवदानकर्ता सम्मानित

म.प्र. लघुकथाकार परिषद् : वार्षिक सम्मलेन संपन्न
लघुकथा लेखन में विशिष्ट अवदानकर्ता सम्मानित
जबलपुर, २०-२-२०११. म. प्र. लघुकथाकार परिषद् जबलपुर का २६ वां वार्षिक सम्मेलन अरिहंत होटल के सभागार में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. हरिराज सिंह 'नूर' के मुख्यातिथ्य तथा ज्येष्ठ पत्रकार-साहित्यकार डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. अतिथि स्वागतोपरान्त लघुकथा लेखन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु सम्मानित किए जा रहे व्यक्तित्वों का परिचय देते हुए उन्हें प्रथम पंक्ति में आसीन करवाया गया. इसके साथ ही सम्मानितों के व्यक्तित्व-कृतित्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए परिपत्र का वितरण किया गया. 
परिषद् के अध्यक्ष मु. मोइनुद्दीन अतहर ने परिषद् के गठन, उद्देश्यों तथा गतिविधियों पर प्रकाश डाला. सचिव श्री कुँवर प्रेमिल ने लघुकथा के उद्भव, विकास तथा महत्त्व को प्रतिपादित किया.

तत्पश्चात मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष के कर कमलों से आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' संपादक दिव्य नर्मदा, जबलपुर को बृजबिहारी श्रीवास्तव स्मृति सम्मान, श्री पारस दासोत, जयपुर को सरस्वती पुत्र सम्मान, श्री अनिल अनवर, संपादक मरु गुलशन जोधपुर को रासबिहारी स्मृति सम्मान, श्री अशफाक कादरी, बीकानेर को डॉ. श्रीराम ठाकुर 'दादा' स्मृति सम्मान, डॉ. राज कुमारी शर्मा 'राज', गाज़ियाबाद को गोपालदास स्मृति सम्मान से तथा आनंद मोहन अवस्थी सृजन सम्मान से डॉ. के. बी. श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर व मु. मोइनुद्दीन अतहर को सम्मानित किया गया.
अभी बहुत कुछ शेष है....डॉ. तनूजा चौधरी

लघुकथा के वैशिष्ट्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए विशिष्ट वक्ता डॉ. तनूजा चौधरी, अध्यक्ष हिंदी विभाग शासकीय स्वशासी विज्ञानं स्नातकोत्तर महाविद्यालय जबलपुर ने कहा ''लघुकथा स्वस्थ्य सामाजिक संरचना को पुष्ट करने के लिये विसंगतियों को इंगित कर पुष्ट आधार प्रदान करती है. काम शब्दों में मन को स्पर्श करनेवाली चुभन समेटते हुए लघुकथा पाठक के प्रथम आकर्षण का केंद्र होती है तथा इसका अंत सोचने के लिये प्रेरित करता है. साहित्य में लघुकथा की घर में गृहणी से साम्यता स्थापित करते हुए विदुषी वक्ता ने कहा कि इससे यह न मानें कि सभी कुछ समाप्त प्राय या नकारात्मक मात्र है, अपितु इससे यही निष्कर्षित होता है कि अभी भे एबहुत कुछ शेष है जिसकी रक्षा के लिये लघुकथा समर्पित है.''

लघुकथा फिलर नहीं पिलर... डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र'


अध्यक्ष डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' ने अपने संपादन के दिनों की स्मृति तजा करते हुए बताया कि प्रारंभ में लघुकथा को पूरक (फिलर) के रूप में मन जाता था किन्तु अब यह स्तम्भ (पिलर) के रूप में स्थापित हो गयी है.

सम्मेलन में मु मोइनुद्दीन अतहर द्वारा सम्पादित पत्रिका लघुकथा अभिव्यक्ति के अंक १५, कुँवर प्रेमिल द्वारा सम्पादित प्रतिनिधि लघुकथाएं २०११, तथा श्री मनोहर शर्मा 'माया' लिखित लघुकथा संकलन मकडजाल का विमोचन संपन्न हुआ तथा सजरी माया के कृतित्व का परिचय देते परिपत्र का वितरण किया गया.

साहित्य सृजन में विशिष्ट अवदान हेतु स्थानीय रचनाकारों सर्व श्री/श्रीमती प्रभात दुबे, प्रभा पाण्डे 'पुरनम', डॉ. गायत्री तिवारी, रामप्रसाद 'अटल' को यश अर्चन सम्मान से तथा रत्ना ओझा, राजकुमार, मनोहर चौबे 'आकाश', मृदुल मोहन अवधिया, लक्ष्मी शर्मा, ब्रिजेन्द्र पाण्डेय व राजीव गुप्ता को लघुकथा सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया.

अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. हरिराज सिंह 'नूर' ने संस्कारधानी में साहित्य सृजन की स्वस्थ्य परंपरा को अनुकर्णीय बताया तथा लघुकथा के विकास को भावी साहित्य व समाज के लिये दिशादर्शक बताया.

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में अतिथि लघुकथाकारों ने अपनी प्रतिनिधि लघुकथा का वाचन तथा श्री अंशलाल पंद्रे ने एक भक्ति गीत का गायन किया. सञ्चालन श्री राजेश पाठक 'प्रवीण' ने तथा आभार प्रदर्शन श्री प्रदीप शशांक ने किया.
नर्मदा में नौका विहार तथा काव्य गोष्ठी

२१ फरवरी को संस्कारधानी जबलपुर में पधारे डॉ. हरिराज सिंह 'नूर', डॉ, राजकुमारी शर्मा 'राज', श्री अनिल अनवर, श्री अशफाक कादरी तथा श्री पारस दासोत के सम्मान में विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में संगमरमरी चट्टानों के मध्य प्रवाहित सनातन सलिला नर्मदा में नौका विहार तथा धुआंधार जलप्रपात के प्रमाण व सरसकाव्य गोष्ठी से इस सारस्वत अनुष्ठान का समापन हुआ.

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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