2 मार्च 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक जुटता के लिये


मित्रो
वन्दे-मातरम
इस देश में जहां
तिरंगा सर्वोपरि होना चाहिये वहां सर्वोपरि नज़र आ रही लिप्सा, स्वार्थ,आत्म-सुख,के रंगों में रंगी निष्ठाएं... मुझे कुछ कहा नहीं जाएगा ये तस्वीर देखिये जो क्षुदा को शांत करने के गुंताड़े में लगे बच्ची की है देखिये न
ज़रा गौर से








और देखिये अब ये आलीशान बंगले

तक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।

पत्थरो को सुनाया होगा ये ग़मगीन सा नगमा
महफ़िल को सुनाते तो महफिल को रुला देते।।
भूक से लड़ता रहा वो रात भर सोया नहीं तक़रीर की एवज़ में रोटी ही दिखा देते ।।
हर पाँच बरस में दिखाते हो तमाशा
हम नंगे हैं हैं ये बात पहले ही बता देते ॥











और ये बेबसी 
तो क्या हम एक जुट न हों 

5 टिप्‍पणियां:

  1. bhrashtachar ki ladai aazadi ki ladai se bhi mushkil hai,sab ko ek jut hona padega jo ki kathin hai.

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  2. आपकी दृष्टि ,संवेदना और कलम को सलाम !

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  3. kya kahun samajh nahi aata...... itna hi samajh aata hai ki agar har insaan insaan ke liye soch pata to ye nahi hota... magar daulat ka matvaalapan kuch sochne hi nahi deta shaayad..... bahut sateek post! dhanyawaad

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  4. धन्यवाद
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!