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25 अप्रैल 2011

आर्यव के लिए संजीव 'सलिल'

आर्यव के लिए

संजीव 'सलिल'
*
है फूलों सा कोमल बच्चा, आर्यव इसका नाम.
माँ की आँखों का तारा है, यह नन्हा गुलफाम..

स्वागत करो सभी जन मिलकर नाचो झूमो गाओ
इस धरती पर लेकर आया खुशियों का पैगाम.

उड़नतश्तरी के कंधे पर बैठ करेगा सैर.
इसकी सेवा से ज्यादा कुछ नहीं जरूरी काम..

जिसने इसकी बात न मानी उस पर कर दे सुस्सू.
जिससे खुश उसके संग घूमे गुपचुप उँगली थाम..

'सलिल' विश्व मानव यह सच्चा, बच्चा प्रतिभा पुंज.
बब्बा सिर्फ समीर उठे यह बन तूफ़ान ललाम..

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1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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