6 नव॰ 2011

श्रीमति मनोरमा तिवारी की कविता : रानी-बिटिया





श्रीमती मनोरमा तिवारी जबलपुर की वरिष्ठ कवयित्री हैं. आपने अपना सम्पूर्ण जीवन अध्यापन एवं साहित्य सृजन को समर्पित किया है. सेवानिवृत्ति के पश्चात भी आप साहित्यिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़कर स्वयं को धन्य मानती हैं. आपकी लेखनी में काव्य में प्रांजलता का समावेश स्पष्ट देखा जा सकता है. आपकी रचनाओं में विविधता के साथ साथ सारगर्भिता भी दिखाई देती है.
"रानी बिटिया" उनकी कविता है.
डा० विजय तिवारी किसलय के सौजन्य से आभार सहित 

2 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!