नई दिल्ली। नार्वे में उचित देखभाल नहीं मिलने के आधार पर एक संस्था ने भारतीय मूल के एक दम्पत्ति से तीन साल और दो साल के जिन दो बच्चों को अपने पास रख लिया, उनके दादा-दादी ने सोमवार को यहां नार्वे दूतावास के सामने प्रदर्शन किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) यहां उनके समर्थन में पहुंची। दोनों दलों ने नार्वे सरकार से जल्द से जल्द बच्चों को उनके माता-पिता को सौंपने को कहा। साथ ही केंद्र सरकार से भी कहा कि वह इसके लिए नार्वे सरकार पर दबाव बनाए।
तीन साल और एक साल के दोनों बच्चों के नार्वे में रहने की अवधि बढ़ाए जाने पर चिंता जताते हुए भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने केंद्र सरकार से कहा कि वह नार्वे पर बच्चों की वापसी के लिए दबाव बढ़ाए। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी संसद के बजट सत्र में यह मुद्दा उठाएगी।
यहां नार्वे दूतावास के बाहर बच्चों को परिवार के पास भेजने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे उनके दादा-दादी के साथ एकजुटता जताते हुए स्वराज ने कहा, “यदि 12 मार्च तक बच्चे माता-पिता के पास नहीं पहुंचते तो पार्टी यह मुद्दा संसद में उठाएगी। इसमें कोई राजनीति नहीं है.. पूरा देश नाराज है, क्योंकि वे हमारे बच्चे हैं.. यह बेहद दु:खद है।”
वहीं, बच्चों के दादा मंतोष चक्रवर्ती ने कहा, “वे इस मुद्दे पर समय जाया कर रहे हैं। अभिभावक तथा बच्चे इस दौरान गहरे दु:ख व सदमे से गुजर रहे हैं। प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए हमने धरना देने का निर्णय लिया।”
माकपा नेता वृंदा करात ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा, “नार्वे सरकार इस मामले में स्थापित नियमों की उपेक्षा कर रही है। केंद्र सरकार को उन पर दबाव बनाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही बच्चों से सम्बंधित उसके कानून की आलोचना की है.. यह अपहरण है और कुछ नहीं।”
इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने भी कहा था कि सरकार बच्चों को जल्द से जल्द उनके परिवार के पास लौटाने के लिए सभी प्रयास करेगी
समतुल्य:
ऐसे देश में रहना ही क्यों..
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