डिस्क्लैमर
सुधि पाठको.. प्रस्तुत कथा सत्यघटना पर आधारित है.. इसका किसी भी मृत
व्यक्ति से अथवा उसकी भटकती आत्मा से कोई सरोकार नहीं. जिन जीवित व्यक्तियों से
इसका संबंध है..भी तो कोई संयोग नहीं.. जानबूझकर मैं लिख रहा हूं ताकि सनद रहे
वक़्त पर आम आए.. लेखक
|
समय समय पर हथकण्डे बाज़ लोगों की हरक़तें
मंज़र-ए-आम हो जाया करतीं हैं. यक़ीनन लोग अपने किये को अमृत दूसरे के किये को
विष्ठा ही मानते हैं. मुझे बेहद पसंद हैं आमिर
खान उनकी अदद एक पिक्चर की बरस भर
प्रतीक्षा करता हूं . ट्रांजिस्टर से अपनी लाज़ बचाते नज़र आए तो अपनी आस्था के
किरचे किरचे मानस में घनीभूत हो गए . हमको लगा गोया हम नंगे फ़िर रहे हैं. अब भाई
सल्लू मियां की छोड़ो वो तो सिल्वर स्क्रीन पर न जाने कितने बार बेहूदा दृश्य दिखा
चुके हैं. वर्जनाओं के ख़िलाफ़ लामबंद होते ये कलाकार गोया इनके पास मौलिक
रचनात्मकता समाप्त प्राय: हो चुकी है. जैसा प्रगतिशील आलोचक कहा करते हैं-
"बाबा नागार्जुन के बाद विषय चुक गए हैं."
मित्रो, सर्जक को जान लेना चाहिये कि सृजन के विषय समाप्त कदापि नहीं होते. इन नंगों को कालजयी ओर महान कलाकार कहा जाएगा उसकी पुष्टि होगी हज़ारों नज़ीरें पेश की जावेंगी. लोग शोध करेंगे. आदि आदि ... इस सबसे मेरा आपका सबका सरोकार है.. ये वो ज़मात है जिसका दी-ओ-धरम चुक गया है न कि विषय चुके हैं . विषय सदा मौज़ूद थे हैं और रहेंगे भी. आमिर भाई नंगे मत हो ... तुम्हारी अदाकारी से मैं बेहद प्रभावित था पर अब ..आपके इस रूप को देख कर अपने स्नेह से आपको वंचित करते हुए दु:ख हो रहा है. वास्तव में आपको अपनी पब्लिसिटी के लिये ये हथकंडा अपना शोभा नहीं देता. बकौल अशोक बाजपेई
मित्रो, सर्जक को जान लेना चाहिये कि सृजन के विषय समाप्त कदापि नहीं होते. इन नंगों को कालजयी ओर महान कलाकार कहा जाएगा उसकी पुष्टि होगी हज़ारों नज़ीरें पेश की जावेंगी. लोग शोध करेंगे. आदि आदि ... इस सबसे मेरा आपका सबका सरोकार है.. ये वो ज़मात है जिसका दी-ओ-धरम चुक गया है न कि विषय चुके हैं . विषय सदा मौज़ूद थे हैं और रहेंगे भी. आमिर भाई नंगे मत हो ... तुम्हारी अदाकारी से मैं बेहद प्रभावित था पर अब ..आपके इस रूप को देख कर अपने स्नेह से आपको वंचित करते हुए दु:ख हो रहा है. वास्तव में आपको अपनी पब्लिसिटी के लिये ये हथकंडा अपना शोभा नहीं देता. बकौल अशोक बाजपेई
फूल झरता है
फूल शब्द
नहीं!
बच्चा गेंद
उछालता है,
सदियों के
पार
लोकती है
उसे एक बच्ची!
बूढ़ा गाता
है एक पद्य,
दुहराता है
दूसरा बूढ़ा,
भूगोल और
इतिहास से परे
किसी दालान
में बैठा हुआ!
न बच्चा
रहेगा,
न बूढ़ा,
न गेंद, न फूल, न दालान
रहेंगे फिर
भी शब्द
भाषा एकमात्र अनन्त है!
आमिर आप बच्चे नहीं हैं ... मेरी बात समझ गए होगें.. न समझो तो भी आप जैसों से अपेक्षा भी क्या करें.. आप को "निशान-ए-पाकिस्तान" से नवाज़ा जाए या कोळ्ड ड्रिंक्स से नहलाया जावे हम तो आम लोग हैं.. हमें क्या.. "यूं तो हमाम में सब नंगे होते हैं पर भारत तुम्हारा हमाम नहीं बर्खुरदार"
आमिर आप बच्चे नहीं हैं ... मेरी बात समझ गए होगें.. न समझो तो भी आप जैसों से अपेक्षा भी क्या करें.. आप को "निशान-ए-पाकिस्तान" से नवाज़ा जाए या कोळ्ड ड्रिंक्स से नहलाया जावे हम तो आम लोग हैं.. हमें क्या.. "यूं तो हमाम में सब नंगे होते हैं पर भारत तुम्हारा हमाम नहीं बर्खुरदार"
वाह...
जवाब देंहटाएंNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.Top 10 Website
जवाब देंहटाएं