प्रिय अज्ञातानंद जी
“सादर-अभिवादन”
आपका ख़त मिला पड़कर दुःख हुआ कि आप का ज़िक्र नही कर पाया अपनी एक पोस्ट पर भाई साहब ये सही है कि आपका भेजा हुआ वेतन जो ब्लॉगर की हैसियत से लिखने के लिए प्राप्त हो चुका है जिससे मैं अपने बाल-बच्चों का पालन पोषण कर रहा हूँ !.किंतु फ़िर भी आपका नाम न आने से मुझे ख़ुद खेद है यदि आप को कष्ट हुआ तो आप सेवा आचरण अधिनियम के तहत मेरे विरुद्ध कार्रवाई कर दीजिए .पीछे से छिप कर गरियाएं न इससे ब्लागिंग की परम्परा को ठेस पहुंचेगी
अब इन एग्रीग्रेटर्स को मैं कैसे समझाऊं कि वे पहला पेज आप जैसे अज्ञातानंद ब्लॉगर बनाम टिप्पणीकारों के लिए यह पंक्ति लिख दें-"यह एग्रीगेशन उन अनाम अज्ञातानन्दों ब्लॉगर बनाम टिप्पणीकारों की '..............' श्रद्धासुमन अर्पित करता है " अगर इस से आपको शान्ति मिले तो ठीक है वरना कोई बात नहीं अगले पितर-पक्ष में कुछ करूंगा ?
एक बात साफ़ तौर पर सुनो अज्ञातानंद जी आप न तो "शी" समझ में आए न ही "ही" किंतु किसी न किसी जेंडर से ताल्लुक ज़रूर रखतें हैं सो हाल फिलहाल हम आपको कॉमन-जेंडर में दाल के आपसे विनम्र निवेदन कर देते हैं कि ब्लॉग मेरा अपना विचार मंच है इसके लिए मुझे कोई वेतन-भत्ते नहीं आ रहे हैं सो फटे में टांग मत अढ़ाओं क्योंकि टांग फंसी यात्रा रुकी " अगर हम हिन्दी को अंतर्जाल पे फैला रए हैं तो आपको पेट में दर्द होने तक तो ठीक है किंतु पीड़ा का स्तर "प्रसव पीडा" पहुँच जाए तो इसमें अपन का कोई अवदान नहीं है .
एक दिन मेरे एक ब्लॉगर मित्र ने बता यार दिमाग ख़राब है...! क्यों क्या हुआ हमने पूछा ?
भैया बोले:-"यार घर में हूँ....अभी आया बीवी पड़ोस वाली भाभी के साथ किटी-पार्टी में गयीं है सोचा ब्लॉग लिख लूँ ब्लॉग खोला तो तीन महीने पुरानी पोस्ट पे एक भी टिप्पणी नई है ?"
भैया एकाध तो अपुन भेज देते हैं शेष आप अज्ञातानंद बन के "
मुझे लगता है कहीं तुम वही तो नही कोई गल नहीं तुम जो भी हो भैया मेरे मालिक आका कुछ भी नहीं हो किंतु पीछे लगने वाले "........." ज़रूर हो
तुम्हारी वफादारी को सलाम भेजना है "अपन लिंक मुझे दे दे ठाकुर/ठकुराईन........."
नवरात्रि की शुभ कामनाओं के साथ
बेहतरीन तहरीर...
जवाब देंहटाएंShukriya
जवाब देंहटाएंसही आरती उतारी गई है अज्ञातानन्द जी की!!
जवाब देंहटाएंअज्ञातानन्द जी को देने के लिए इससे अच्छी घुट्टी नही हो सकती।
जवाब देंहटाएंथैंक्स टू आल
जवाब देंहटाएंफ़िरदौस जी,समीर जी,
एंड प्रीती बर्थवाल !
वैसे तो मैं उसे पहचान गया हूँ
अज्ञातानंद बिना रीड की हड्डी का जीव है
मैं जान गया हूँ
अब ये समस्या उसकी है न की मेरी
"उगलत निगलत पीर घनेरी "
aapne meri post par likhaa hai uske jawaab me
जवाब देंहटाएंmahaa gauri
इनकी आयु आठ वर्ष की मानी जाती है। इनके समस्त वस्त्र, आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचेवाले दाहिने हाथ में त्रिशुल है। ऊपरवाले बायें हाथ में डमरू और नीचे का बायां हाथ वर मुद्रा में है। मां शांत मुद्रा में हैं। ये अमोघ शक्तिदायक एवं शीघ्र फल देनेवालीं हैं। इनका वाहन वृषभ है।
ab shrimaan ji
girish bhai
alag sa ki post se ye panktiyaan aap ko padhaa du
mahaa gauri
fir
mahaalaxmi ki savaari kya safed haathi nahi hai
pratik se chedkhani nahi
akal se karaamat samjh kar padhen
oh
जवाब देंहटाएंsaty ho kahaa
गज़ब लिखा आपने।बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंअनिल पुसदकर जी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन
आपका-स्नेह है आलेख की पृष्ठ भूमि में एक कुंठित ब्लॉगर है
जो नाम चीन ब्लागर हैं किंतु पोष्ट की सीमाएं आप जानते
हैं उनका ज़िक्र अपनी .चिट्ठा-चर्चा" के बहाने :एक चर्चा और !
पर न दे सका था सो भैया जी तिलमिला गए अब दादा उनसे
मेरा कोई व्यक्तिगत दुराव तो नहीं लगे अब साँप बिना कारण
किसी को तो डसता नहीं साँप से क्षेड़खानी करने की सजा मिली
उनको अब उगलत निगलत पीर घनेरी वाली स्थिति है
पुन:आभार के साथ
आपका गुरु भाई