18 जन॰ 2009

एक ख़ास ख़बर का खास असर : सन्दर्भ जबलपुर ब्लागर्स मीट

क्या समीर भैया की शादी की सालगिरह पर ब्लागर्स मीटकी ख़ास ख़बर का असर देखिये कुछऐसा था

उड़न तश्तरी जी
का स्पष्टी करण
अरे नहीं भाई--शादी की सालगिरह अभी नहीं है..काफी समय बाकी है.
इसे तो वो जब घमकी मिली थी, उसी की सालगिरह माने जिसकी याद में रो रहे थे. :)
कल ब्लॉगर्स मीट में मुलाकात होगी.
वर्षा जी ने कहा :कहानी बहुत मज़ेदार लगी !!! जबलपुर से हमारा भी रिश्ता है ..
ब्लॉग पत्रकार का मंतव्य ... भइया जी-ज़रूर आऊंगा -आपसे पहली बार मिलाना होगा
Anonymous said...
वाह हम चाहने वालो को डिनर न कराओगे मुकुलजी
मनीष शर्मा
ये भाई साहब मेरे मित्र परियोजना अधिकारी है उनको भी बुलाया गया है टिप्पणी की वज़ह से
सुप्रतिम बनर्जी साहब ने कहा ..
संस्कारधानी जबलपुर ब्लॉगर्स का गढ़ बनता जा रहा है... और इसका श्रेय ब्लॉगिंग के पुरोधा समीर जी को ही जाती है। मुकुल जी, मैं वहां पहुंच तो नहीं सकता। लेकिन यहीं से सभी को नमस्कार करता हूं।
अनूप शुक्ल उवाच : वहां जो गाना-ऊना गाया जाये उसका हिसाब-किताब मय फोटो-वोटॊ पेश किया जाये।
वर्षा जी :ने पुन: कहा ...
जी हम जबलपुर में होते तो अवश्य आते ..

3 टिप्‍पणियां:

  1. महाराज!! स्पष्टीकरण जरुरी था वरना आप जबरदस्ती बधाई दिलवा देते और हम सबको मिठाई खिलाते नजर आते. :)

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  2. गिरीश जी इच्छा तो बहुत थी आने की मगर कुछ ज़ररी कामो के कारण आ नही पा रहा हूं।जबलपुर आये भी बहुत साल हो गये पहले तो जब मर्ज़ी जबलपुर जाते थे। आप लोगो को एड्वांस मे आयोजन की सफ़लता की बधाई।

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  3. पहली "अन्जुमने-चिट्ठाकारे-जबलपूर" में सभी जबलपुरी ब्ला॓गर्स की उपथिति यादगार बन जाए इसी दुआ के साथ।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!