वो बेज़ुबान कुछ बोलता नहीं
उसे हर बात में शामिल ना करो ।
चांद तो अपनी राह चलता है !
फेंक पत्थर उसको घायल न करो !!
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तुमने समझा है उसे क्या इश्क का दरबान है वो
या तुम्हारी प्रेयसी के चेहरे की मुस्कान है वो !
कोई तो उसको है पड़ता ऐसे
खैयाम का दीवान है वो !!
कुछ भी सोचो मीत मेरे " चांद"
बारे में लेकिन दाग उस पर होने का इल्जाम ना दो !!
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एक बेहतरीन रचना :)
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