आज के गीत मे वो बात कहॉ
आज का गीत बिक गया गोया
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आमने सामने उलझते देखा
गीत को रह से भटकते देखा
दोहरे मापदंड हैं इसके --
गीत को हमने सिमटते देखा
आज का गीत ...........!
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मेरा हमराज़ नगमा था मेरा
गीत था ! नहीं तगमा था मेरा
साथ मेरे था तो गज़ब बात थी तब
हर इक स्वप्न उसका सपना था मेरा
आज का गीत ..........!
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वो ग़ज़ल से मेरे मिलाता था
इश्क के कायदे सिखाता था
जब मैं तस्वीर बनाता था उसकी
ग़ज़ल को हाले दिल बताता था
आज का गीत ........!
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गिरीश बिल्लोरे "मुकुल "
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!