9 जून 2007

आज का गीत

आज के गीत मे वो बात कहॉ
आज का गीत बिक गया गोया
####
आमने सामने उलझते देखा
गीत को रह से भटकते देखा
दोहरे मापदंड हैं इसके --
गीत को हमने सिमटते देखा
आज का गीत ...........!
####
मेरा हमराज़ नगमा था मेरा
गीत था ! नहीं तगमा था मेरा
साथ मेरे था तो गज़ब बात थी तब
हर इक स्वप्न उसका सपना था मेरा
आज का गीत ..........!
####
वो ग़ज़ल से मेरे मिलाता था
इश्क के कायदे सिखाता था
जब मैं तस्वीर बनाता था उसकी
ग़ज़ल को हाले दिल बताता था
आज का गीत ........!
####
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल "

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!