मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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2 जुल॰ 2007
साई-कृपा का आभास
"बावरे-फकीरा"
पोलियो ग्रस्त बच्चों की मदद के लिए भक्ति-एलबम शीघ्र ही आपके हाथ में होगा
*गीतकार:- गिरीश बिल्लोरे मुकुल
*स्वर :- # आभास-जोशी,[स्टार-प्लस , वॉइस-ऑफ़-इंडिया प्रतिभागी ]
# संदीपा-पारे,
# ७० कोरस स्वर दाताओं के साथ
*संगीत :- श्रेयस-जोशी,
*तकनीकी-सहयोग:- स्टूडियो ''स्वर-दर्पण"
आशीष-सक्सेना
सहयोगी:- रविन्द्र-जोशी,हरीश बिल्लोरे,सतीश बिल्लोरे,जितेन्द्र-जोशी
आभास को सुनिये http://www.sendspace.com/file/nk44bz
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!