22 अग॰ 2007

आभास के संस्कार...!

" आभास को आपकी जरूरत हमेशा ही रहेगी.!!"
आभास एक जीवट कलाकार ही नहीं बेहद संजीदा बच्चा भी है । मैंनें उसे बहुत देर में पहचाना, अपने करीब जो होता है उसकी नियति ही यही होती है लोग उसे देर से ही पहचान
पातें हैं।आपने देखा होगा इस हरफ़न मौला कलाकार को किशोर दा के गीत को गाते हुए ॥
अमित और सुमित भोंचक रह गए थे ।
"ये दुनियाँ उसी की" में रफी का मानो अवतरण हों रहा हों ...?
"बावरे-फकीरा" की रिकार्डिंग के दौरान आभास ने मुझे चौंका दिया ....

हुआ यूँ कि उस वक़्त श्रेयश हो निर्देशन में गाने में तल्लीन आभास ने बाहर आकर मुझे प्रणाम किया
मेरे ड्रायवर को भी ठीक उसी तरह प्रणाम किया ।
मेरे ड्रायवर की आंखें भर आयीं इस सम्मान से आज भी उस घटना का ज़िक्र करते हुए हुए रोहित भावुक हों जाते हैं....
इन्सान की इज्ज़त करने वाले कलाकार को दुनियां भर में ख़ूब प्यार और दुआएं मिलतीं हैं...!

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!