मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
बहुत अच्छी व सच्ची भावना वाली सचाई कही है आपने । प्रयास सराहनीय है ।घुघूती बासूती
abhaar
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
बहुत अच्छी व सच्ची भावना वाली सचाई कही है आपने । प्रयास सराहनीय है ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
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