2 सित॰ 2007

जबलपुर दुलार रहा है उसे ...!


"आभास के लिए जबलपुर की एकजुटता !" जबलपुर,२ सितंबर ०७, चक्रवात में आने के बाद आभास के दर्द को समझा संस्कार धानी के लोगों ने व्यक्तिगत ओर सामूहिक कोशिशें तेज़ कर दीं .आभास के लिए पी.आर. ओ. की भूमिका में जुटे "आभास जोशी स्नेह मंच" के सदस्यों द्वारा सघन सम्पर्क शुरू किया गया इस दौरान प्रेमसागर जैसे पिछडे इलाक़े में राजा वन्शकार के नेतृत्व में युवकों की टोली कार्य योजना बना ही चुकी थी , जबकी कुमारी मधु वन्शकार अपनी महिला मंडली को वोटिंग के तरीके बताने तथा खेरमाई मंदिर में पूजा अर्चना की व्यवस्था में व्यस्त थीं . शहर के सांसद श्री राकेश सिंह महापौर श्रीमती सुशीला सिंह , सहित २० से अधिक साहित्यिक साँस्कृतिक संस्थाएं सक्रिय हो गईँ ... ओर नए इतिहास लिखने कोशिश को नमन किया आभास के परिजनों ने

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!