6 सित॰ 2007

काँपते हाथों से जब दादा जी ने एस. एम.एस. किया


आभास को जानने वालों मे एक बुज़ुर्ग ऐसे bhee hain जो बीमारी
की वज़ह से अस्पताल में इलाज़ करवा रहे हैं..
उनके पास अपना मोबाइल तो नहीं है पर बच्चों के
सेल फ़ोन से एस. एम. एस. करातें हैं "आभास के लिए" .
आभास के चक्रवात में आने के बाद दादा जी ने बच्चों की
मदद से एस. एम. एस. करना सीखा और कर दिया
एस. एम. एस. आज वे सभी को भी बता रहे हैं ,
और पूछ भी रहे हैं एस एम. एस. किया आपने...
या वार्ड-ब्याय, डाक्टर , वग़ैरा से कभी पूछ रहे होते हैं.
या आप वी. ओ. आई. टाइप करो
फिर वही ज़ीरो फ़ाइव स्पेस देकर टाइप करना और
भेज दीजिए 57827 पर
आज आभास फिर परेशानी में है...
कल रात 10:00 से वोटिंग लाइनें
खुलेंगी आप को वोट करना है और
कराना है.....

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!