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9 दिस॰ 2007

भड़ास: अब तक की सर्वश्रेष्ठ भड़ास

भड़ास: अब तक की सर्वश्रेष्ठ भड़ास

का खिताब देकर यशवंत जी ने मेरी भावना की कद्र की है
सो मित्रो ...!
भड़ास और गाली-गुफ्तार में यही फर्क है। मीठे वचनों की कठोरता , और कठोर शब्दों की नरमी को परखनें का अब समय आ गया है।
मेरे एक मित्र हैं मीठा-मीठा बोलते हैं ...
धीरे-धीरे ज़हर घोलते हैं ।

इन मित्रों को सबक सिखाने के लिए ज़रूरी कि एक कोचिंग क्लास खोलें हम सब मिल कर ब्लॉग पर ही सही या कि एक अभियान सा छेड़ दें अपने अपने ब्लॉग पर ही सही ।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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