मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी .....
मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
Ad
28 फ़र॰ 2008
यश भारत जबलपुर ने याद किया सुदर्शन जी को
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता ! आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से ! दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!