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3 अप्रैल 2008

स्वागत है भाई आशीष का ..... धन्यवाद पंकज स्वामी गुलुश को

यक्ष प्रश्न लेकर भाई आशीष ने आज ब्लागिंग सीख ही ली लगता है, उनका पहला ब्लाग है पेशे से एम० आर० आशीष ने अपनी पोस्ट में कहां "मैं आज से अपने ब्लाग की शुरुआत कर रहा हूं। इसके लिए यह पंक्तियां प्रस्तुत हैं-यक्ष प्रश्न 1 "गर चाहते हो देखना मेरी उड़ान कोतो जाओ पहले ऊंचा करो आसमान कोयक्ष प्रश्न यह है कि यह शेर किसका है ?"
जबलपुर के नवांकुरित ब्लॉगर आशीष दवा विक्रय के पेशे से जुडे हैं ,इस बीच रवीश जी के कस्बे में नई पोस्ट " दवा की जाति के बाद " नई पोस्ट आ गई है। उधर एक ब्लागर किस लय में बहे जा रहें हैं मेरी समझ के परे है, भाई साहब उडन तश्तरी .... ,तथा अन्य जबलपुरियों की पोस्ट,पढकर भी रंग मंच दिवस की सार्थकता पे सवाल उठा रहे हैं । अँगुली कहाँ,कब,कितनी करनी है इस बात का ज्ञान सभी को होना चाहिए, mahendra mishra जी को तक मालूम है gulush को भी मालूम है फिर ये भाई साहब यानी जीजू नमक जीव यानी Dr. Vijay Tiwari "Kislay" को क्यों नहीं मालूम ... ...?
हाँ तो भाइयो बहनो बात आशीष जी के ब्लोंग की करें पूरी उर्जा के साथ कारोबार शुरू किया है, रेंबेक्सी में काम करने वाला ये युवक अब ब्लागर जाती में शामिल हों गया है। बधाइयां।
श्रीराम ठाकुर "दादा"दादा,वहाँ न जाइए,जहाँ मिलै न चाय की तर्ज़ पे अपन कहतें है भैये वहाँ नै जाइयो , जहाँ नाम कहो , नै जाए ...!!


1 टिप्पणी:

  1. चिठ्ठाजगत में न आता तों क्या खोता ? सच कहूँ तो सारी दुनियाँ,चूँकि यहीं मिली मुझें खडे होने के लिए थोडी सी जमीन और देखने को सारा संसार। समीर जी,पंकज जी,गिरीश जी,मुझे सहयोग किया खडे होने में,साधुवाद। आपके इस शानदार स्वागत ने तो मुझे भावुक कर दिया है। शायद कुछ अधिक कह जाऊ कि वो लोग मिल रहे है,जिन्हे ढूँढ रहा था,जिनसे यह दुनिया जीने लायक बची है.........आप सभी। पुनः ह्रदय सें धन्यवाद!

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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