MANAS BHARADWAJ --THE LAST POEM IS THE LAST DESIRE ब्लाग http://www.manasbharadwaj.blogspot.com/ पर है । अच्छा लिखतें हैं भावों में the last poem: यानी आरकुट वाला नाम झलकता है, कम उम्र में विचार और लय में ताल मेल भी कम रहता है कभी भावातिरेक के कारण क्रुद्ध सा दीखता है नया कवि
बधाई आज फिर वो पन्ना निकल आया था
आज फिर वह पन्ना निकल आया था
जिसमे पीले गुलाब की वो कली रखी थी
जो किसी ने मांगी थी मैं नही दे पाया था
उस तोहफे को मैं तोड़ लाया था
इसी किताब के उस पन्ने मे मैंने चोरी चोरी छुपाया था
आज उस पन्ने को देखकर आंख भींग जाती है
पर पीले गुलाब की वो कली देखकर
मीठी मीठी याद आती हैं
मैं तो बार बार मर रहा था
इसी पन्ने ने मुझे जीना सिखाया था
इसी कली की तो लेकर प्रेरणा
मैंने जीवन को अपनाया था
आज फिर वो पन्ना निकल आया था
मानस के ब्लाग से साभार ,
मानस को सभी ब्लागर्स के स्नेह की ज़रूरत है
बढ़िया रचना है. इन नये ब्लॉगर्स को एग्रीगेटरर्स पर पंजीकृत कराते चलें ताकि सभी को नई पोस्टों की जानकारी मिलती रहे और लोग इनका उत्साहवर्धन कर सकें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
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